MP में अब नहीं 'लव जिहाद'! राज्यपाल ने धर्म स्वातंत्र्य कानून को दी मंजूरी

भोपाल, मध्यप्रदेश : MP सरकार द्वारा लव जिहाद के मामले रोकने के लिए बनाए गए धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश को राज्यपाल ने दी मंजूरी, राजपत्र में प्रकाशन के बाद लागू होगा कानून।
MP में अब नहीं 'लव जिहाद'!
MP में अब नहीं 'लव जिहाद'! Priyanka Yadav-RE

भोपाल, मध्यप्रदेश। कोरोना संकट के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई थी, शिवराज कैबिनेट के अनुमोदन के बाद अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के लिए भेजा गया था। बता दें कि "लव जिहाद" के खिलाफ शिवराज सरकार के सख्त कानून धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की हरी झंडी मिल गई है।

राजपत्र में प्रकाशन के बाद लागू होगा कानून :

बता दें कि शिवराज सरकार द्वारा लव जिहाद के मामले रोकने के लिए बनाए गए धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है, राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित होगी और उसके बाद से अध्यादेश प्रभावी हो जाएगा। बताते चलें कि राज्यपाल ने धर्म स्वतंत्र अध्यादेश के साथ ही सरकार के दूसरे अध्यादेशों को भी मंजूरी दे दी है, बता दें कि धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश के अलावा मिलावटखोरी रोकने के लिए दंड विधि में संशोधन करके आजीवन कारावास सहित अन्य कड़े प्रविधान वाला अध्यादेश भी बनाया गया है, राजभवन के अधिकारियों ने राज्यपाल द्वारा अध्यादेशों को स्वीकृति दिए जाने की पुष्टि की है।

बता दें कि अपना धर्म छिपाकर धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम का उल्लंघन करने पर तीन साल से दस साल तक के कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड और सामूहिक धर्म परिवर्तन का प्रयास करने पर 5 से 10 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। नए कानून में धर्म संपरिवर्तन के आशय से किया गया हैं। विवाह शून्य घोषित करने के साथ महिला और उसके बच्चों के भरण पोषण का हकदार करने का प्रावधान भी किया गया है। ऐसे विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की संपत्ति के उत्तराधिकारी होंगे। धर्मांतरण के लिए होने वाली शादियों पर रोक लगाने के लिए प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम को कठोर बनाने के साथ कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो देश के किसी भी राज्य में अब तक नहीं हैं।

  • नए मसौदे के प्रावधानों में धर्म परिवर्तन के अपराध में पीड़ित महिला और पैदा होने वाले बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी तय की गई है,

  • पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखने का प्रावधान शामिल किया गया है।

  • लव जिहाद जैसे मामलों में सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।

  • बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा, यह अपराध गैर जमानती होगा।

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