पुलिस विभाग की फूट फिर आई सामने, SI पर मामला दर्ज
पुलिस विभाग की फूट फिर आई सामने, SI पर मामला दर्ज Priyanka Yadav - RE

पुलिस विभाग की फूट फिर आई सामने, SI पर मामला दर्ज

गुना, मध्यप्रदेश : विगत चार साल पुराने मामले में आरोपियों पर मामला दर्ज होने के साथ ही 2015 में पदस्थ एसआई पर हुआ मामला दर्ज।

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के गुना जिले में ट्रक ड्राइवर की पेट्रोल डालकर आग लगाने के मामले में चार साल बाद अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। विभागीय जांच के दौरान यह बात सामने आई के 2015 में थाना धरनावदा में पदस्थ एसआई रामवीर सिंह ने दस्तावेजों में विवेचना के दौरान तथ्य छुपाए। वहीं एक महिला को जीवित अवस्था में भी मृत घोषित कर दिया गया । इस मामले में पूर्व थाना प्रभारी एसआई रामवीर सिंह के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर दिया गया है । इस मामले में चौकानें वाले तथ्य सामने निकल कर आ रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि 2015 में दर्ज किए गए इस मामले में अचानक एसआई पर मामला दर्ज करने की बात सामने आई, जबकि इस मामले में फरयादी की तरफ से कोई भी आवेदन नहीं दिया गया था ।

वहीं तथ्य की विवेचना उस समय हेड कांस्टेबल हरिमोहन के द्वारा की गई थी। साथ ही साथ मृतक माखन की मृत्यु की जांच हेड कांस्टेबल हरिमोहन के द्वारा करने के समय जिस महिला को मृत घोषित किया गया था, उसका इस मामले से कोई सरोकार नहीं था, क्योंकि मृतक की मौत से पहले ही उसकी पत्नी किसी अन्य युवक के साथ चली गई थी । जिसके बाद उसके तीन बच्चे भी हुए। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह रही कि इस मामले में ऐसे कौन से तथ्य थे जिनके चलते अज्ञात में 166 a, 167 आईपीसी 197 कायमी की गई । जिस पर विशेषज्ञ मानते हैं कि इन धाराओं में कभी भी अज्ञात में कार्यवाही नहीं की जाती ।

इस मामले में एसआई रामवीर सिंह ने कहा है कि उनके खिलाफ फरियादी पक्ष या उनके किसी रिश्तेदार ने ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया, जिस पर यह कार्रवाई की गई हो। वहीं अगर कार्यवाही करनी थी तो उस समय के विवेचक पर कार्यवाही की जाना चाहिए, क्योंकि विवेचना विवेचक के द्वारा की जाती है और कहा रामवीर कि उनके द्वारा केवल खारजी तत्कालीन एसडीओपी को अग्रेषित की गई थी। यदि उसमें कोई आपत्ति थी तो उसी समय उसका निराकरण किया जा सकता था ।

तत्कालीन एसडीएम के पास भी खारजी स्वीकृति के लिए भेजी गई थी। रामवीर सिंह ने बताया यह उनके द्वारा 4 नवंबर 2015 को खारजी भेजी गई। जिसकी स्वीकृति 18 महीने बाद 27 जुलाई 2017 को की गई। यदि इस मामले में किसी को कोई संशय था तो इसकी जांच उसी समय भी की जा सकती थी। वहीं रामवीर सिंह ने पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी यह कार्रवाई वैमनस्यता पूर्ण है। इससे पहले भी पुलिस अधीक्षक ने उनके ऊपर इसी तरह से दो मामले दर्ज करवाये हैं। जिसके चलते अपराधियों के हौसले और बढ़ गए हैं। वहीं गलत प्रथा भी शुरू हो गई है। इस पर किसी भी अपराधी को पकड़ने से पहले पुलिसकर्मियों को कई बार सोचना पड़ता है कि, कहीं उन पर भी कोई मामला दर्ज ना हो जाए।

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