Gwalior : किसके नाम होगा एक हजार बिस्तर का अस्पताल?

ग्वालियर में नवनिर्मित 1000 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल का नामकरण राज्य सरकार के लिए सिर दर्द बनता दिख रहा है। अलग-अलग नेताओं द्वारा अस्पताल के नामकरण के लिए अलग-अलग नाम सुझाए गए हैं।
किसके नाम होगा एक हजार बिस्तर का अस्पताल?
किसके नाम होगा एक हजार बिस्तर का अस्पताल?Raj Express

हाइलाइट्स :

  • भाजपाई धड़ों से निकले अलग-अलग नाम

  • स्व. माधवराव, अटलजी, मुखर्जी के साथ मोदी के भी नाम की चर्चा

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। एक हजार बिस्तर के अस्पताल का सपना कई दशकों का पुराना है, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है, हालांकि कुछ समय पूर्व इसका निर्माण तो आरंभ हो गया है, लेकिन इसे पूर्ण होने में अभी भी लगभग दो साल का समय लगेगा। मजे की बात यह है कि अस्पताल अभी बनकर तैयार भी नहीं हुआ है और राजनेता इसके नामकरण को लेकर अपना अपना राग अलाप रहे हैं।

शहर को लोगों को इंतजार है कि एक हजार बिस्तर का अस्पताल जल्द से जल्द तैयार हो ताकि उन्हें चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सकें, वहीं राजनेताओं को इंतजार है कि अस्पताल तैयार हो ताकि वे अपने हिसाब से अस्पताल का नामकरण कर सकें। अलग-अलग नेताओं द्वारा अस्पताल के नामकरण के लिए अलग-अलग नाम सुझाए गई हैं। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि किसके बात मनेगी।

ग्वालियर में नवनिर्मित 1000 बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल का नामकरण राज्य सरकार के लिए सिर दर्द बनता दिख रहा है। ग्वालियर से लोकसभा सदस्य विवेक शेजवलकर ने इस अस्पताल का नाम डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने का अनुरोध मुख्य मंत्री से किया है। केंद्रीय मंत्रीज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक कुछ लोग माधव राव सिंधिया के नाम अस्पताल का नाम रखने के लिए पिछले दिनों ज्ञापन भी दे चुके हैं। भाजपा का एक धड़ा अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर अस्पताल का नाम रखने की मांग कर रहा है। डॉ मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन ग्वालियर से उनका कोई सीधा संबंध नहीं रहा। ग्वालियर के 2 सपूत माधव राव सिंधिया और अटल बिहारी वाजपेई दोनों पर ग्वालियर गौरव करता है। अब देखने का दिलचस्प होगा कि अस्पताल का नाम किसके नाम पर किया जाता है। जब से सिंधिया ने भाजपा की प्रदेश की सत्ता मेें वापसी कराई है तब से वे भाजपा में जो चाह रहे हैं उन्हें मिल रहा है। प्रदेश की सत्ता में अपने समर्थकों को मंत्री पद दिलवाने के बाद वे स्वयं भी केंद्र में मंत्री बनकर खुद के महत्व को साबित कर चुके हैं, ऐसे में स्व. माधवराव के नाम पर यदि अस्तपाल का नाम रख दिया जाता है तो किसी को अचरज नहीं करना चाहिए।

एक पूर्व आईएएस ने तो अपनी फेसबुक वॉल पर व्यंग्यात्मक लहजे में यहां तक लिख दिया है कि लोगों ने नामकरण को लेकर अपनी अपनी जिद नहीं छोड़ी तो एक हजार बिस्तर के अस्पताल का नाम नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा जा सकता है, हालांकि इसकी उम्मीद बहुत ही कम है। व्यंग्यात्मक लहजे में उन्होंने अहमदाबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम का नाम नमो करने का भी जिक्र किया है जिसका विरोध किसी ने नहीं किया है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com