ग्वालियर मेला : नहीं मिली हरी झंडी, अब तक सिर्फ आश्वासन

आयोजन की आस में व्यापारियों ने मेला दफ्तर से लेकर मेला परिसर को किया सेनीटाइज। उद्योग मंत्री सकलेचा से हो चुकी है कई दौर की मुलाकात, केंद्रीय मंत्री तोमर व सिंधिया से भी लगा चुके हैं गुहार।
ग्वालियर मेला : नहीं मिली हरी झंडी
ग्वालियर मेला : नहीं मिली हरी झंडीसांकेतिक चित्र

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। मेला को लेकर सरकार भले ही वेट एण्ड वॉच की स्थिति में हैं, लेकिन ग्वालियर मेला में रोजगार हासिल करने वाले व्यापारियों को अभी भी पूरी विश्वास है कि देर कितनी भी हो जाए लेकिन ग्वालियर व्यापार मेला का आयोजन इस वर्ष भी उसकी गरिमा के अनुरूप होगा। इसी उम्मीद के साथ शनिवार को मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारी सेनीटाइटर लेकर मेला पहुंचे और वहां मेला दफ्तर के साथ मेला परिसर को सेनीटाइज किया।

यहां बता दें कि मेला आयोजन को लेकर आशान्वित कुछ व्यापारी बाहर से अपना सामान लेकर ग्वालियर मेला परिसर में आ गए हैं और इस आस में यहां पड़ेें हैं कि मेला का आयोजन होगा तो तो उन्हें यहां रोजी रोटी कमाने का मौका मिलेगा। जो व्यापारी मेला की उम्मीद में अपना सामान लेकर आ गए हैं, व्यापारी संघ ने स्प्रे मशीन से उनके सामान को सेनीटाइज किया। इस मौके पर मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेन्द्र भदकारिया, महेश मुदगल, उमेश उप्पल, अनिल पुनियानी, महेन्द्र सेंगर, आदित्य बल्लभ त्रिपाठी, बब्बन सेंगर, कल्ली पंडित, सुरेश हिरयानी, राजकुमार जैन, रमेश शर्मा, अजय गुप्ता, गुड्डू जैन, राघवेंद्र सिंह, मोर साहब की टीम, गोविंद गुप्ता, ललित अग्रवाल, साकिर खान, राजीव तिवारी,चंदन सिंह बैस, रिंकू कैन, प्रेम मंडेलिया आदि लोग मौजूद रहे।

अब तक सिर्फ आश्वासन :

मेला को लेकर व्यापारी संघ का प्रतिनिधि मंडल मेला आयोजन को लेकर अब तक कई बार उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा से मिल चुके हैं। इसके साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी गुहार लगा चुके हैं,लेकिन अभी उन्हेें फिलहाल कहीं से भी आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है।

व्यापारिक संगठनों में बिखराव :

मेला आयोजन में सबसे बड़ी कठिनाई जो नजर आ रही है वो है व्यापारिक संगठनों में बिखराव। शुरूआत में चेंबर ऑफ कॉमर्स मेला आयोजन की मांग को लेकर सक्रिय नजर आ रहा था, लेकिन जब से मेला व्यापारी संघ के साथ कैट के पदाधिकारी नजर आने लगे, चेंबर ने खुद को इस मुद्दे से अलग कर लिया। कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि चेंबर के एक पदाधिकारी शहर के एक मंत्री के नजदीकी होने की वजह से कैट को मेला आयोजन का श्रेय नहीं लेने देना चाहते, जिससे मेला आयोजन की तिथि अटकी हुई है।

मेला आयोजन की कठिनाईयां :

  • कोरोना वैक्सीनेशन जब शुरू हुआ है ऐसे में सरकार किसी तरह की रिस्क नहीं उठाना चाहती है।

  • ग्वालियर मेला में हर रोज हजारों एवं रविवार एवं छुट्टी के दिन एक लाख तक लोग पहुंचते हैं, ऐसे में सोशल डिस्टेसिंग का पालन कैसा होगा?

  • सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराने यदि दुकान आवंटन की संख्या कम की गई तो जिन्हें दुकान नहीं मिलेगी वे विरोध करेंगे।

  • मेला की बाउंड्रीवॉल सुरक्षित नहीं होने की वजह से इसमें लोगों की संख्या को सीमित करना आसान नहीं हैं।

ऐसे संभव है आयोजन :

  • ग्वालियर मेला का आयोजन कर व्यापार भी प्रभावित नहीं हो और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो जाए, इसके लिए मेला में इस बार पैड एंट्री की जा सकती है, जिसके माध्यम से मेला में आने जाने वालों का डाटा भी कलेक्ट किया जा सकता है।

  • मेला में सबसे ज्यादा भीड़ झूला सेक्टर में होती है, तो झूला झूलने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की भी व्यवस्था की जा सकती है, ताकि वहां जरूरत से ज्यादा भीड़ एकत्रित न हो।

  • मनोरंजन के पांडालों में भी यह व्यवस्था लागू की जा सकती है।

  • बिना मास्क के मेला परिसर मेें घूमने वालों पर जुर्माना किया जा सकता है।

  • मेला गेट पर सशुल्क मास्क उपलब्ध कराया जा सकता है।

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