ग्वालियर : इलेक्शन गाइडलाइन से अधिक संख्या सभा में होने पर दर्ज करें मुकदमा

उच्च न्यायालय ने अंचल के सभी 9 जिलों के जिला कलेक्टर्स को आदेशित किया है कि प्रचार आयोजनों में जारी गाइडलाइन से अधिक संख्या एकत्रित होने पर संबंधित पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करें।
इलेक्शन गाइडलाइन से अधिक संख्या सभा में होने पर दर्ज करें मुकदमा
इलेक्शन गाइडलाइन से अधिक संख्या सभा में होने पर दर्ज करें मुकदमाSocial Media

हाइलाइट्स :

  • उच्च न्यायालय ने 9 जिलों के मजिस्ट्रेट्स को दिए आदेश।

  • राजनीतिक दलों को दी सलाह, आयोजन न करें, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का लें सहारा।

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने अंचल के सभी 9 जिलों के जिला कलेक्टर्स को आदेशित किया है कि कोविड-19 के संक्रमण के चलते विधानसभा उपचुनाव के प्रचार आयोजनों में चुनाव आयोग की गाइडलाइन से अधिक अगर संख्या एकत्रित होती है तो संबंधित पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करें। इसके साथ ही न्यायालय ने सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी है कि वे इस प्रकार के आयोजन करने से परहेज करें तथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का सहारा लें।

उपरोक्त जानकारी देते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने बताया कि न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति राजीव कुमार श्रीवास्तव की युगल पीठ ने शनिवार को दिए अपने 9 पेज के फैसला आदेश में सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी है कि वे कोरोना संक्रमण की स्थितियों को देखते हुए विधानसभा उपचुनाव में प्रचार के लिए विशाल आयोजन न करें। न्यायालय ने कहा है कि बेहतर होगा कि राजनीतिक दल इलेक्ट्रोनिक माध्यमों के माध्यम से अपना चुनाव प्रचार करें जिससे आम जनता को कोरोना के संक्रमण से राहत मिल सके। इस मामले में न्यायालय ने चुनाव आयोग की गाइडलाइन को सर्वोपरि रखते हुए अंचल के सभी 9 जिला मजिस्ट्रेट्स को आदेशित किया है कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन से अधिक अगर किसी समारोह या आयोजन में भीड़ एकत्रित होती है तो संबंधित दल एवं उसके उम्मीदवार के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करें।

यह था पूरा मामला :

जनहित याचिका आशीष प्रताप सिंह ने लगाई थी जिसमें कहा गया था कि कोरोना संक्रमण के चलते समाज में शादी विवाह तथा अन्त्येष्टि तक में लोगों की संख्या को सीमित कर दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल रैलियां व बड़े आयोजन कर रहे हैं जिससे कोरोना संक्रमण फैल रहा है। इस पर न्यायालय ने तीन अधिवक्ताओं संजय द्विवेदी, राजू शर्मा एवं बीडी शर्मा को न्यायमित्र बनाते हुए आदेशित किया था कि वे इस बात की हकीकत का पता लगाएं तथा उसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को सौंपे। न्यायमित्रों ने अखबार में छपी फोटों एवं अन्य फोटोग्राफ पेश करके अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि राजनीतिक दलों ने गाइडलाइन का पालन नहीं किया है तथा संक्रमण को फैलाने में मदद की है। इस पर न्यायलय ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों से बात की तथा उसके बाद यह फैसला दिया।

यह अधिवक्ता रहे केस में :

याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वीर सिंह सिसौदिया तथा सुरेश अग्रवाल उपस्थित थे। राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव तथा अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी उपस्थित रहे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को की जाएगी।

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