उन्नयन पर खर्च होंगे 20 करोड़ रूपए
उन्नयन पर खर्च होंगे 20 करोड़ रूपएRaj Express

Gwalior : उन्नयन पर खर्च होंगे 20 करोड़ रूपए, डॉक्टर और स्टाफ की ओर ध्यान नहीं

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : जिला अस्पताल में लम्बे समय से नहीं हुई भर्ती प्रक्रिया, खाली पड़े हैं पद। अस्पताल में कई विभाग ऐसे जहां दस पद पर एक चिकित्सक है। जिला अस्पताल के उन्नयनीकरण का कार्य हुआ शुरू।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जिला अस्पताल मुरार के उन्नयनीकरण का कार्य प्रारंभ हो गया है। 20 करोड़ रूपए की लागत से इसका उन्नयन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार शासकीय अस्पतालों में मरीजों को आधुनिक इलाज देने के लिए काफी पैसा खर्च कर रही है, लेकिन कमी है तो सिर्फ चिकित्सकों की। जिला अस्पताल भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। यही कारण है कि यहां आने वाले गंभीर मरीज को जयारोग्य अस्पताल के लिए रैफर कर दिया जाता है। इससे जेएएच में मरीजों का भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है,दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

मुरार, जिला अस्पताल में लम्बे समय से चिकित्सकों की भर्ती नहीं हुई है और हर वर्ष डॉक्टर सेवानिवृत होते जा रहे हैं। इस वजह से अब अस्पताल में चिकित्सकों की कमी खलने लगी है। अस्पताल प्रबंधन मेडिसिन, रेडियोलॉजी के साथ ही सर्जरी विभाग में मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने में असमर्थ नजर आता है। वहीं कई विभागों में तो ऐसी स्थिति है कि डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं । मेडिसिन विभाग की बात की जाए तो यहां डॉक्टरों के दस पद हैं, लेकिन एक ही डॉक्टर उपलब्ध है।

6 पोस्ट पर एक चिकित्सक तैनात :

सिविल सर्जन डॉ.राजेश शर्मा के मुताबिक मेडिसिन डॉ.ऋिसेश्वर का रिटायर्डमेंट करीब है, जबकि नियमानुसार मेडिसिन के 6 डॉक्टर आईसीयू में चार ओपीडी में एवं एक गायनिक विभाग में होना चाहिए। ठीक इसी प्रकार सर्जरी विभाग में 6 पोस्ट हैं पर यहां पर भी केवल एक ही चिकित्सक की पोस्टिंग है, उन्हें भी संविदा पर रखा है। अस्पताल में चर्म रोग विभाग और फिजियोथरेपिस्ट के चिकित्सक के पद खाली पड़े हुए हैं।

अल्ट्रासाउंड कराने होना पड़ता है परेशान :

जिला अस्पताल मुरार में अल्ट्रासाउंड कराने की सुविधा है। यहां अच्छी खासी संख्या में मरीज अल्ट्रासाउंड कराने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन चार बजे के बाद अल्ट्रासाउंड की जांच नहीं हो पाती, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन के पास केवल एक ही रेडियोलोजिस्ट है। जो सुबह 9 से शाम 4 बजे तक अपनी सेवाएं देता है। उसकी ड्यूटी समाप्त होने के बाद मरीजों की जांच नहीं हो पाती हैं। इस कारण जिला अस्पताल में आए दिन विवाद होता रहता है।

पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है :

जिला अस्पताल चिकित्सक ही नहीं स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है। यहां वार्ड बॉय से लेकर सफाई कर्मचारियों तक के कई पद खाली पड़े हैं, लेकिन लम्बे समय से भर्ती प्रक्रिया ना होने के कारण, यहां अस्थाई रूप से या रोग कल्याण समिति के माध्यम से कर्मचारियों को रखा गया है। शासन और प्रशासन को जिला अस्पताल के उन्नयन के अलावा चिकित्सक और स्टाफ की भर्ती की ओर भी ध्यान देना चाहिए। तभी अस्पताल का उन्नयन सिद्ध साबित होगा। नहीं तो इलाज के अभाव में मरीज परेशान होते रहेंगे।

व्हीआईपी के आगमन पर लगती है ड्यूटी :

अस्पताल एक तो पहले से ही चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। दूसरी ओर शहर में किसी भी व्हीआईपी की एंट्री की खबर मिलते ही जिला अस्तपताल से ही चिकित्सक की ड्यूटी लगा दी जाती है। इस वजह से शहर में व्हीआईपी मूमेंट वाले दिन अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को बिना परामर्श लिए ही वापस लौटना पड़ता है।

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