Gwalior : कछुआ गति से चल रहा जेयू के स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीवाजी विश्वविद्यालय में स्वीमिंग पूल का काम कछुआ गति से चल रहा है। इसी का नतीजा है कि करीब पांच वर्ष होने पर आ गए, लेकिन अभी तक पूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
कछुआ गति से चल रहा जेयू के स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य
कछुआ गति से चल रहा जेयू के स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्यRaj Express

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जीवाजी विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन स्वीमिंग पूल का काम कछुआ गति से चल रहा है। इसी का नतीजा है कि करीब पांच वर्ष होने को आ गए, लेकिन अभी तक पूल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।पीआईयू स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य कर रही है। जेयू अधिकारी भी पैसा देने के बाद स्वीमिंग पूल को भूल गए हैं। वर्तमान कुलपति और कुलसचिव अब तक एक बार भी स्वीमिंग पूल का जायजा लेने नहीं पहुंचे और संबंधित ठेकेदार के साथ कोई बैठक भी नहीं की।

जेयू में वर्ष 2017-18 में तत्कालीन कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला के कार्यकाल में स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। करीब पांच वर्ष पूर्ण होने को आ गए हैं, लेकिन पीआईयू ने अभी तक स्वीमिंग पूल को जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन के हैण्डओवर नहीं किया है। पूल के हैण्डओवर न होने के पीछे कारण यह भी है कि यह पूल अभी तक तैयार नहीं हो पाया है। पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस पूल के निर्माण में अभी और कितना समय लगेगा।

यहां बता दें कि स्वीमिंग पूल का निर्माण कार्य वर्ष 2017-18 में शुरू हुआ था। तब इसकी लागत 4 करोड़ 70 लाख रूपए थी, लेकिन फिर इसकी लागत में 1 करोड़ 69 लाख रूपए की बढ़ोत्तरी की गई थी। राशि में बढ़ोत्तरी और समयावधि बीत जाने के बाद भी पीआईयू ने अभी तक स्वीमिंग पूल को हैण्डओवर नहीं किया है।

इन खामियों की वजह से भी हुई देरी :

  • जेयू ने स्विमिंग पूल के निर्माण की राज्य शासन व नगर निगम से अनुमति नहीं ली है। निर्माण ही अवैध करा दिया है। प्रतियोगिताएं कराने के लिए अनुमति अनिवार्य है।

  • स्विमिंग पूल की लंबाई 50 मीटर व चौड़ाई 25.40 मीटर होना चाहिए। यह चौड़ाई व लंबाई मानकों के अनुसार नहीं दिख रही है। लेजर डिस्टेंस मीटर से नापने के बाद राष्ट्रीय व अंतर राष्ट्रीय स्तर की कमेटी से खेल टूर्नामेंट कराने की अनुमति ली जाए।

  • गैलरी में बैठने वालों को दो से तीन लेन नजर नहीं आएंगी।

  • फव्वारे के माध्यम से पानी का फिल्टरेशन होना चाहिए। यह व्यवस्था भी नहीं है।

  • पानी ओवरफ्लो होता है तो साइड गटर लाइन होनी चाहिए, यह भी नहीं है।

यह भी की गलतियां :

पूल के निर्माण की शुरुआत होने के बाद समय-समय पर सलहाकार को बुलाना था, लेकिन उन्हें नहीं बुलाया गया। करीब तीन साल बाद उन्हें पूल देखने बुलाया। जेयू के खेल विभाग के डायरेक्टर को पूल के निर्माण से दूर रखा गया। जब उन्होंने भुगतान की फाइल पर आपत्ति कर दी तो फाइल ही नहीं दिखाई गई। एक आर्केटेक्ट की निगरानी में इसका निर्माण चलता रहा। लगातार गलतियां होती रहीं।

अधिकारी भी नहीं दिखा रहे रूचि :

स्वीमिंग पूल के निर्माण कार्य में अधिकारी भी अपनी रूचि नहीं दिखा रहे हैं। उसी का नतीजा है कि पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी स्वीमिंग पूल तैयार नहीं हो सका है। इतना ही नहीं नवनियुक्त कुलपति प्रो.अविनाश तिवारी और कुलसचिव आरके बघेल ने भी इस संबंध में अभी तक पीआईयू अधिकारियों के साथ कोई बैठक भी नहीं की है।

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