Gwalior : पार्षद और महापौर पद के दावेदार सोशल मीडिया पर सक्रिय
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पार्षद और महापौर चुनाव के लिए प्रमुख दलों ने भले ही अभी तक अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं किए हो, लेकिन दावेदार सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं। दावेदारों द्वारा अपने को भावी प्रत्याशी के रूप में पेश किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ये प्रत्याशी क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के लिए अपने फोन नंबर भी दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर ये प्रत्याशी अपनी उपलब्धियों को गिना रहे हैं। लोगों को यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह वे मोहल्ले में लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए आगे रहते हैं।
कुछ दावेदारों ने तो सोशल मीडिया पर अपने प्रत्याशी घोषित कर पोस्टर बनाकर डाले हैं, जिसमें उन्होंने अपना फोन नंबर भी दिया है, इन दावेदारों की और से क्षेत्र के लोगों से क्षेत्र की बिजली, पानी आदि समस्याओं के निराकरण के लिए फोन पर संपर्क करने को कहा गया है। इन प्रत्याशियों में कांग्रेस से जुड़े नेता अधिक है, जबकि भाजपा में केवल उम्मीदवारी जताते हुए स्वयं का प्रचार किया जा रहा है। भाजपा में कुछ नेता अपने को प्रत्याशी घोषित कर चुके थे, लेकिन पार्टी में जैसे ही इस पर हलचल हुई तो यह सिलसिला थम गया। सोशल मीडिया पर दावेदार अपनी पकड़ बनाने के लिए प्रयास में लगे हुए हैं। टिकट की घोषणा तक ये दावेदार ऐसा कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं जिससे कि उनके हाथ से टिकट छिन जाए।
पेमप्लेट बनाने वाले किये बुक :
इंटरनेट मीडिया ग्रुप पर स्लोगन के मैसेज संबंधित स्टीकर बनाने वाले बुक कर लिए हैं। यह लोग आकर्षक स्टीकर बनाकर दावेदारों को देते हैं। दावेदार इन स्टीकरों को अपने ग्रुप में भेज देते हैं। क्षेत्र के लोगों के मोबाइल अब स्लोगन व स्टीकर से भरने लगे हैं। राममंदिर निवासी विष्णु राठौर ने बताया कि वह वार्ड क्रमांक-38 में निवास करते हैं। दावेदार स्टीकर व अन्य स्लोगन भेज रहे हैं। जिससे गैलरी भर चुकी है। पहले से वह अधिक ग्रुपों से जुड़े हुए हैं।
कोरोनाकाल के जख्म इस चुनाव में भर सकते हैं :
नगरीय निकाय चुनाव में होर्डिंग्स, झंडे बैनर का भी अहम रोल रहता है। विधानसभा उपचुनाव के बाद से इस पेशे के लोगों का धंधा चौपट है। कोरोना काल में तो उनकी माली हालत और ज्यादा दयनीय हो गई थी। इसलिये प्रचार सामग्री के पेशे से जुड़े कई लोग तो इस लाइन से ही अलविदा कह गए थे। अब चुनावो के जोर पकड़ते ही उनके चेहरे पर मुस्कान लौटी है। लेकिन अभी उन्हें प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार है। उनकी बेसब्री ठीक उसी तरह है जैसी कांग्रेस, भाजपा के दावेदारों को लेकर है। दुकानदारों ने कच्ची सामग्री मंगा ली है और नौकरी छोड़ चुके लोगों को टटोलना शुरू कर दिया है। फ्लैक्स कारोबारी मनीष चौहान ने बताया कि कोरोना काल के आर्थिक संकट के कुछ जख्म इस चुनाव में जख्म भर सकते हैं।
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