हजार बिस्तर अस्पताल
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Gwalior : हजार बिस्तर अस्पताल तैयार करने वाली कम्पनी पर प्रतिदिन लग रहा 1 करोड़ का जुर्माना

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : 1 सितम्बर 2022 से प्रतिदिन काटी जा रही राशि, अब तक 10 करोड़ कटे। 338 करोड़ का था प्रोजेक्ट, 397.05 करोड़ पर पहुंचा।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। हजार बिस्तर अस्पताल तैयार करने वाली कम्पनी पर प्रतिदिन 1 करोड़ का जुर्माना लग रहा है। यह जुर्माना 1 सितम्बर 2022 से वसूला जा रहा है। दस दिन बीत गए हैं और काम पूरा नहीं हुआ है। इस हिसाब से अब तक कम्पनी के 10 करोड़ रूपए काटे जा चुके हैं। अस्पताल की लागत में भी बढ़ोत्तरी हुई है। अस्पताल का शिलान्यास हुआ था, जब इसकी लागत 338 करोड़ रूपए थी। जो अब 397.05 करोड़ पर पहुंच गई है।

राजकोट गुजरात की मेसर्स जे.पी. स्ट्रक्चर्स प्रा. लि. कम्पनी हजार बिस्तर अस्पताल को तैयार करने में जुटी हुई है। कम्पनी को 12 माह में 400 बिस्तर और 18 महीने में 600 बिस्तर कुल मिलाकर एक हजार बिस्तर का अस्पताल तैयार करके जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को सौंपना था, लेकिन कम्पनी ने अभी तक इस भवन को हैण्डओवर नहीं किया है। कई बार अस्पताल को हैण्डओवर करने के लिए समयावधि भी बढ़ाई गई, लेकिन तय समय से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कम्पनी अस्पताल को कॉलेज प्रबंधन को नहीं सौंप सकी। इस बात पर अब पीआईयू के प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री सीपी वर्मा ने एक्शन लिया है। उन्होंने कम्पनी को एक पत्र लिखा है, इसमें 31 अगस्त के बाद प्रतिदिन लिक्विडिटी डेमेट की राशि से रूपए 100.00 लाख प्रति दिवस के हिसाब से काटने की बात लिखी है। 22 सितम्बर 2022 तक भी यह कार्य पूर्ण नहीं हुई तो यह राशि और भी बढ़ाई जाएगी। इस पत्र के बाद कम्पनी के कार्य में कुछ गति दिखने लगी है।

प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री ने यह लिखा पत्र में :

प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री सीपी वर्मा ने मेसर्स जे.पी. स्ट्रक्चर्स प्रा. लि. कम्पनी को दिए पत्र में लिखा है कि- आपके द्वारा उक्त निर्माण कार्य अनुबंधित समय में पूरा नहीं किया गया। आपके आवेदन पर सक्षम अधिकारी द्वारा 22 जून तक की समयावधि बढ़ाई गयी थी, उक्त अवधि में भी आपके द्वारा कार्य पूरा नहीं किया गया और कार्य के पुनरीक्षित माइल स्टोन से भी आप पिछड़ गये हैं। ज्ञात हो कि उपरोक्त कार्य शासन की महत्वपूर्ण परियोजना है। जिसकी शासन की ओर से सम्भागीय आयुक्त द्वारा सतत मानीटरिंग की जा रही है। संभागायुक्त की अध्यक्षता में प्रत्येक सप्ताह स्थल पर बैठक होती है। पूर्ववर्ती बैठकों में आपके ही द्वारा आपकी कार्य योजनानुसार कार्य को 31 अगस्त को पूर्ण करने का आश्वासन दिया था, आप उक्त दिनांक को भी कार्य पूर्ण करने में असफल रहे, एवं आपने अपनी नयी कार्य योजना अनुसार कार्य पूर्ण करने के लिए नवीन दिनाक 22 सितम्बर 2022 तक का समय मांगा है। आपके इस कृत्य से क्षेत्र की जनता शासन की इस महती योजना के लाभ से वंचित है। संभागायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिये गये निर्देश के पालन में अनुबंध की कंडिका-15 के प्रावधान अनुरुप आपके आगामी देयकों से 31 अगस्त 2022 के बाद के दिवसों के लिये लिक्विडिटी डेमेज की राशि रु. 100.00 लाख प्रति दिवस के हिसाब से काटी जावेगी। यदि आप 22 सितम्बर तक भी कार्य पूर्ण करने में असफल रहे तो यह राशि बढाई भी जा सकेगी।

अस्पताल की प्रमुख समस्याएं ,जिन्हें दूर किए बिना नहीं रख सकते मरीज :

निर्माण कार्य अधूरा :

  • सी-ब्लाक लगभग तैयार है पर सातवें फ्लोर पर सिविल वर्क बाकी है।

  • ए व बी ब्लाक में फालसीलिंग का काम नहीं हुआ।

  • कुछ आपरेशन थिएटर में इलेक्ट्रिक प्वाइंट नहीं दिए गए।

  • पूरे अस्पताल में करीब 200 इलेक्ट्रिक प्वाइंट देना अभी शेष है।

  • अस्पताल में रंगाई,पुताई सहित पूरा फिनीशिंग वर्क होना शेष है।

  • रेडियोलोजी विभाग में सिविल वर्क होना शेष है।

  • डक्ट पर लगे गेट में कुंडी नहीं है।

इन कार्यों की एनओसी लेना है :

अस्पताल का उद्घाटन से पहले फायर एनओसी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिल्डिंग तैयार होने का प्रमाण पत्र, भवन में कितने मरीज रखे जा सकते है, उसका प्रमाण पत्र, इलेक्ट्रिक सेफ्टी का प्रमाण पत्र आदि लेना अभी शेष है।

निर्माण कार्य की राशि में भी हुआ इजाफा :

अस्पताल का शिलान्यास केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5 मार्च 2019 को कांग्रेस सरकार में किया था। जब इस प्रोजेक्ट की कीमत 338 करोड़ थी। अब वह 397.05 करोड़ पर पहुंच गई है।

इनका कहना है :

हां, मैंने हजार बिस्तर अस्पताल को तैयार करने वाली मेसर्स जे.पी. स्ट्रक्चर्स प्रा. लि. कम्पनी, राजकोट गुजरात को पत्र लिखा है। कम्पनी को लगभग 350 करोड़ का भुगतान हो चुका है। शेष भुगतान से राशि काटी जाएगी। कितनी काटी जाएगी यह हमारे चीफ इंजीनियर तय करेंगे। हमें पूरी संभावना है कि 22 अगस्त तक अस्पताल का कार्य पूर्ण हो जाएगा, क्योंकि वहां पुताई और फिनिशिंग के अलावा कोई कार्य शेष नहीं बचा है।

सीपी वर्मा, प्रभारी, संभागीय परियोजना यंत्री, लो.नि.वि.पी.आई.यू. ग्वालियर

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