भाजपा में महापौर के लिए माया-सुमन के बीच फंसा पेंच
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Gwalior : भाजपा में महापौर के लिए माया-सुमन के बीच फंसा पेंच

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : कांग्रेस ने अपना महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया है और उसने प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है, लेकिन भाजपा अभी तक एक नाम तय करने में ही उलझी हुई है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कांग्रेस ने अपना महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया है और उसने प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है, लेकिन भाजपा अभी तक एक नाम तय करने में ही उलझी हुई है। फिलहाल भाजपा के अंदर पूर्व मंत्री माया सिंह व सुमन शर्मा के बीच पेंच फंसा हुआ है और दो में से किसी एक नाम पर सोमवार तक सहमति बनाकर मुहर लग सकती है। इस बार भाजपा में जिस तरह से खैमेबाजी दिख रही है उसके चलते वह महापौर के लिए नाम तय करने में पिछड़ रही है, क्योंकि भाजपा के क्षत्रपो के बीच सहमति बनाना काफी अहम है।

ग्वालियर की नगर सरकार पर पिछले 60 सालों से भाजपा का कब्जा है इसलिए इस बार रिकॉर्ड बना रहे उसके लिए भाजपा संभलकर काम कर रही है और नामों को लेकर क्षत्रपो से सहमति लेने का काम किया जा रहा है। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से उनको भी तवज्जौ देना अहम हो गया है। अंचल मेें सिंधिया की बात को गंभीरता से सुनकर उस पर अमल करने का काम भाजपा संगठन कर रहा है। ग्वालियर महापौर पद के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार के आने के बाद से भाजपा के अंदर अब वजनदार प्रत्याशी तलाशने की चुनौती आ गई है। वैसे भाजपा के पास कई दमदार चेहरे है, लेकिन सामान्य महिला वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने से कई भाजपा नेता कह चुके है कि टिकट सामान्य वर्ग की महिला को ही दिया जाना चाहिए। अगर यह पेंच नहीं फंसता तो पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता भाजपा के लिए बेहतर चेहरा फिर साबित हो सकती थी, लेकिन इस बार पेंच सामान्य का फंस गया है। वैसे दावेदार तो कई है, लेकिन उसमें से फिलहाल पूर्व मंत्री माया सिंह व सुमन शर्मा का नाम प्रमुखता से आगे-पीछे चल रहा है।

सिंधिया चाहते हैं माया सिंह को मिले टिकट :

भोपाल में हुई बैठक में एक नाम पर क्षत्रपो को बीच सहमति नहीं बन सकी है। बैठक में माया सिंह व सुमन शर्मा के नाम रखे गए थे और उन पर विचार भी किया गया। सूत्र का कहना है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि माया सिंह को महापौर पद का प्रत्याशी बनाया जाऐ, जबकि दूसरा खेमा सुमन शर्मा को मैदान में उतारना चाहता है। सुमन शर्मा पूर्व विधायक स्व. धर्मवीर शर्मा की पुत्र वधु हैं और सुमन भाजपा के अंदर लम्बे समय से सक्रिय होकर काम कर रही हैं। बैठक में जब सिंधिया पहुंचे तो उसके तत्काल बाद केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बाहर निकल आए जिसको लेकर कई तरह की राजनीतिक कयास लगाएं जाने लगे है, लेकिन नरेन्द्र सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह विरोध की राजनीति कभी करते नहीं है और हमेशा खामोश रहकर सभी की बात सुनने का काम जरूर करते है, लेकिन नरेन्द्र सिंह की सहमति लेना जरूरी है। यही कारण है कि फिलहाल भाजपा के अंदर महापौर पद के प्रत्याशी के लिए माया सिंह व सुमन शर्मा के बीच पेंच फंसा हुआ है और क्षत्रपो की सहमति के बाद ही किसी एक नाम पर मुहर लग सकती है और अगर दोनों नामों पर भाजपा के क्षत्रप सहमत नहीं हुए तो फिर जो अन्य दावेदारी कर रही हैं उनमें से किसी को मौका मिल सकता है।

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