ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम की पेंच रिपेयरिंग शाखा सड़क के गड्ढे भरने में पूरी तरह फेल हो गई है। जिन सड़कों पर चार दिन पहले पेंच रिपेयरिंग की गई थी वहां फिर गड्ढे हो गए हैं। हालात यह है कि सड़कों पर वाहन चलाना मुश्किल हो रहा है। यह स्थिति पूरे शहर की बनी हुई है लेकिन ताजा उदाहरण राजमाता चौराहे से उच्च न्यायालय तक जाने वाला मार्ग है। इस मार्ग पर पिछले सप्ताह पेंच रिपयेरिंग की गई थी। लेकिन गुणवत्ताहिन युक्त सामग्री का इस्तेमाल करने से हालात जस के तस हो गए। सोमवार को निगम अमले ने फिर से सड़क के गढ्डे भरने के लिए डामर युक्त गिट्टी डालकर रोलर चलवाया। उम्मीद है कि अब यह गड्ढे फिर से नहीं दिखेंगे।
दरअसल नगर निगम की पेंच रिपयेरिंग शाखा भ्रष्टाचार का अड्डा बनी हुई है। यहां साल भर के लिए गिट्टी एवं डामर सहित खाका एवं अन्य सामग्री की खरीददारी की जाती है। लेकिन यह समाग्री कब खत्म हो जाती है इसका कोई पता नहीं चलता। इतना ही नहीं पेंच रिपेयरिंग के नाम पर खाका और गिट्टी डालकर काम चला लिया जाता है। बारिश के मौसम में अधिकारी डामर न चिपकने का बहाना बनाकर मुरम और खाके का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बारिश से पहले की पेंच रिपयेरिंग को भी देखा जाए तो उसमें भी डामर की जगह काला तेज मिलाकर गिट्टी बिछाई जा रही थी। इस बात से कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह नाराज हुए थे और उन्होंने प्रभारी मंत्री तुलसी राम सिलावट की बैठक में खुलकर स्वीकार किया था कि नगर निगम गुणवत्ता हीन कार्य कर रही है। इसके बाद प्रभारी मंत्री ने कलेक्टर को ही पेंच रिपयेरिंग की मॉनिटरिंग करने का दायित्व सौंपा था। इसके तहत कलेक्टर ने जयेन्द्र गंज में की जा रही पेंच रिपेयरिंग का औचक निरीक्षण किया और अधिकारियों को फटकार लगाते हुए जेल भेजने तक की बात कही। हालांकि अपर कलेक्टर ने हस्तक्षेप करते हुए अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही न करने के लिए कलेक्टर को मना लिया। इसके बावजूद न तो सड़कों की पेंच रिपयेरिंग में गुणवत्ता युक्त सामग्री का इस्तेमाल होना शुरू किया गया न सभी सड़कें ठीक की गई।
कलेक्टर के आदेश हवा, मौके पर नहीं रहते अधिकारी :
कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने पेंच रिपेयरिंग कार्य होते समय संबंधित क्षेत्र के उपयंत्री को मौके पर मौजूद रहने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस आदेश का पालन एक ही दिन किया गया। इसके बाद न तो कोई भी उपयंत्री मौके पर मौजूद रहता है न ही प्रभारी अधिकारियों को फुर्सत है। यही वजह है कि लाख फटकार के बावजूद गुणवत्ता हीन कार्य होने पर रोक नहीं लग सकी है।
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