ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों ने नहीं किया काम
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Gwalior : ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों ने नहीं किया काम, मरीज होते रहे परेशान

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : गजराराजा मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने नीट पीजी-2021 की काउंसिलिंग कराने की मांग को लेकर मंगलवार को ओपीडी में काम नहीं किया।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। गजराराजा मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने नीट पीजी- 2021 की काउंसिलिंग कराने की मांग को लेकर मंगलवार को ओपीडी में काम नहीं किया। डॉक्टरों और सीनियर रेजीडेंट ने ही मरीजों को देखा। ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी कतार लगी रहीं। जूनियर डॉक्टरों के काम नहीं करने के कारण मरीजों को दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। मरीजों की इस परेशानी के बीच ओपीडी में पूरी व्यवस्थाएं आज अव्यवस्थित नजर आईं। वहीं ओपीडी से कुछ ही कदमों की दूरी पर संचालित मिल्क पार्लर पर जूनियर डॉक्टर धूप सेंकते नजर आए और नीट पीजी की काउंसिलिंग कराने की मांग बुलंद की।

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों का नया बैच नहीं आने के कारण हम पर काम का ओवर लोड हो गया है। ऐसे में हम क्या करें। दरअसल गजराराजा मेडिकल कॉलेज सहित देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों का नया बैच अब तक नहीं आ पाया है। नया बैच नहीं आने के कारण मौजूदा जूनियर डॉक्टरों पर काम लोड बढ़ गया है। यही वजह है कि नए बैच की प्रवेश प्रक्रिया के लिए नीट पीजी-2021 की काउंसिलिंग कराने की मांग को लेकर देश भर के मेडिकल कॉलेज की तरह ग्वालियर में भी जूनियर डॉक्टरों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहे, और ओपीडी में काम का बहिष्कार किया।

यहां बता दें कि पीजी काउंसलिंग के परिणाम घोषित नहीं होने से अब तक नए डॉक्टरों की भर्ती नहीं की गई है। लिहाजा, जूनियर डॉक्टर्स के कांधों पर काम का भारी लोड आ रहा है। इसके चलते मानसिक तनाव का शिकार भी होना पड़ रहा है। इसका असर मरीजों के इलाज पर भी पड़ रहा है।

इसलिए नहीं हुई काउंसिलिंग :

मेडिकल पीजी परीक्षा के बाद जूनियर डॉक्टर अस्पताल में आते हैं। कोरोना के कारण जनवरी में होने वाली परीक्षा देरी से सितंबर में हुई। अक्टूबर में परिणाम भी आ गया, लेकिन काउंसिलिंग का परिणाम आने से पहले ही ओबीसी में 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस में 10 प्रतिशत आरक्षण आया और यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया।

इनका कहना है :

अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को ओपीडी में व वार्ड मेें भर्ती मरीजों को इलाज मिल सके, इसके लिए रेजीडेंस डॉक्टर सहित सभी सीनियर कंसलटेंट डॉक्टरों की तैनाती की गई है।

डॉ.समीर गुप्ता, डीन, जीआरएमसी

मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स में नए बैच हर साल 1 मई से आ जाता था, लेकिन ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है, जिस पर 6 जनवरी को निर्णय आने की बात की जा रही है। ऐसे में जूडा मांग करता है कि काउंसिलिंग की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। ताकि क्षमता के हिसाब से डॉक्टर्स की कमी को पूरा किया जाए। इससे जो सीधा बोझ जूनियर डॉक्टरों को उठाना पड़ रहा हैं वह कम होगा।

डॉ. श्रीकांत शर्मा, जूडा अध्यक्ष, जीआरएमसी

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