कमलनाथ की गाइडलाइन साइडलाइन
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Gwalior : कमलनाथ की गाइडलाइन साइडलाइन, दिए दूसरे वार्ड के लोगों को टिकट

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : कांग्रेस में गाइडलाइन तो कई तरह की बनती है, लेकिन उसका पालन नहीं हो पाता यह परंपरा बन गई है, क्योंकि इस गाइडलाइन में अपने ही सिमटते दिखते है तो उसको तोड़ दिया जाता है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कांग्रेस में गाइडलाइन तो कई तरह की बनती है, लेकिन उसका पालन नहीं हो पाता यह परंपरा बन गई है, क्योंकि इस गाइडलाइन में अपने ही सिमटते दिखते है तो उसको तोड़ दिया जाता है। निकाय चुनाव के दौरान पार्षद पद के टिकट के लिए कमलनाथ ने एक पत्र प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षो को भेजा था, जिसमेें कहा गया था कि दूसरे वार्ड में रहने वाले को टिकट न दिया जाए। इस पत्र के बाद पालन किया जाता, लेकिन भोपाल से ही उसे साइड लाइन कर दिया गया और दूसरे वार्ड में रहने वालो को कांग्रेस ने टिकट दिए।

कांग्रेस में पार्षद पद को लेकर लम्बी जद्दोजहद चली थी और किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी। ऐसे में संबंधित विधानसभा के विधायक व विधायक प्रत्याशी रहने वालो को पार्षद के नाम तय करने की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी और उन्ही के हिसाब से कांग्रेस के टिकट भी हुए। पार्षद टिकट के दौरान ही कमलनाथ के पास जब कई तरह की शिकायते पहुंची तो उन्होंने एक गाइडलाइन तय कर दी थी और प्रदेश की सभी जिलाध्यक्षो को पत्र भेजकर कहा गया था कि पार्षद प्रत्याशी उसी वार्ड का निवासी होना चाहिए। इस मामले को लेकर राज एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित कर उल्लेख किया था कि कांग्रेस ने गाइडलाइन सिर्फ तोड़ने के लिए बनती है और उस पर पार्षद टिकट वितरण के बाद मुहर भी लग गई।

जिलाध्यक्ष ने किया पालन पर भोपाल से टूटी गाइडलाइन :

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ जो गाइडलाइन को लेकर जो पत्र आया था, उसको लेकर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष ने पालन करते हुए दो तरह की सूची बनाई थी और दोनों ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को देते हुए बताया था कि यह सूची गाइडलाइन के तहत है, जबकि दूसरी गाइडलाइन के बाहर की है। अब भोपाल के पाले में गेंद चली गई तो कमलनाथ पर दवाब बनाया गया तो उन्होंने कुछ नामो को एडजेस्ट करने के लिए स्वंय की बनाई गाइडलाइन को ही दर किनार कर दिया।

यह नाम हुए दूसरे वार्ड में रहने वालो के फाइनल :

कांग्रेस मेें जिसका पॉवर उसी की जय-जयकार होती है। यही कारण है कि पॉवर के चलते कई को टिकट मिल जाते है और जिनको मिलना चाहिए वह देखते रह जाते है। कमलनाथ की गाइडलाइन के विपरीत जिनको टिकट दिया गया है उसमें वार्ड 40 से गंगा अलबेल घुरैया का नाम आता है जो कि वार्ड 39 में रहती है। इसी तरह संजय उपासना यादव 41 नंबर वार्ड में रहती है, जबकि उनका टिकट 54 नंबर वार्ड से हुआ है। कैलाश चावला 50 में रहते है, जबकि टिकट 49 से मिला, हेवरन कंसाना 30 में रहते है जबकि 59 में चुनाव लड़ रहे है। वहीं परणिता कदम 34 में रहती है, जबकि उनको वार्ड 36 से टिकट मिला है और वह भी टिकट भाजपा के पूर्व सांसद भागीरथ प्रसाद की सिफारिश पर मिला। इससे अंदाजा लगाया जाता है कि जो गाइडलाइन तय की है उसको नजरअंदाज तो किया ही गया साथ ही दूसरे दल के नेता की सिफारिश पर टिकट भी देने का खेल चल रहा है।

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