भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर नहीं हुई कार्यवाही, इसलिए बढ़ी रिश्वत खोरी

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : नगर निगम में पद भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही न होने से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। कई ऐसे मामले हैं जो लोकायुक्त एवं ईओडब्लू में चल रहे हैं।
नगर निगम मुख्यालय, ग्वालियर
नगर निगम मुख्यालय, ग्वालियरSocial Media

हाइलाइट्स :

  • लगातार सामने आते रहे मामले, लेकिन अधिकारियों ने नहीं की कार्यवाही

  • निगम कर्मियों ने बिकवा दी थी मोदी हाउस की सरकारी जमीन

  • शौचालयों के निर्माण में हुई थी हेराफेरी

  • आउट सोर्स कर्मचारियों के ईपीएफ का मामला भी पड़ा ठंडा

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम में पद भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही न होने से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। कई ऐसे मामले हैं जो लोकायुक्त एवं ईओडब्लू में चल रहे हैं। इसमें तीन बड़े मामले हैं जिनकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय एवं सीएम हाउस तक की गई थी। पीएम कार्यालय से पत्र भी जारी किए थे। इन मामले में पूर्व संभागायुक्त एमबी ओझा पर भी आरोप लग थे और जांच भी शुरू हुई। लेकिन तीनों ही मामलो में किसी भी संबंधित अधिकारी पर कार्यवाही नहीं हुई। यही वजह है कि निगम में लगातार रिश्वत खोरी बढ़ती जा रही है।

पूर्व सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को ईओडब्लू ने 5 लाख की रिश्चत के साथ गिरफ्तार किया और दूसरे मामले में जेडओ मनीष कन्नोजिया को 50 हजार की रिश्चत के साथ ट्रेप किया गया। अगर समय रहते भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच होती और संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही हो जाती तो हालातों में सुधार होना तय था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते भ्रष्ट अधिकारियों के हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं। अब भी भ्रष्टचार से जुड़े मामलो की तरफ अधिकारियों का ध्यान नहीं है। ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में अन्य अधिकारी ट्रेप होंगे और निगम की छवि पर बट्टा लगना तय है। तीन बड़े मामले इस बात की सत्यता को प्रमाणि कर रहे हैं। हालांकि यह तीनों मामलो पूर्व निगमायुक्त संदीप माकिन के कार्यकाल से जुड़े हैं लेकिन जनवरी 2021 में निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कमान संभाली और उनके आते ही भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों ने सांठगांठ कर इन मामलों को पूरी तरह दबा दिया। अगर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं हुई तो आगे भी ऐसे मामले आते रहेंगे।

इन तीन बड़े मामलों को दबाने की साजिश :

1. निगम स्वामित्व की जमीन बेची :

  • निगम स्वामित्स की ग्राम महलगांव सर्वे क्रमांक 471 की 46125 वर्गफीट भूमि वर्ष 1949 में 99 वर्ष की लीज पर सावलदास मोदी पुत्र श्रीदेवचंद को आवंटित की गई।

  • सांवलदाय की मृत्यु के पश्चात उक्त लीज भूमि पर वर्ष 1984 मे तत्कालीन आयुक्त आदेशानुार उनके पुत्रों चिम्मत भाई मोदी, जयंती भाई मोदी एवं मोहन भाई मोदी का नांमकन किया गया। वर्ष 1992 में जयंती भाई मोदी द्वारा अपने आधिपत्य की लीज भूमि में से 2133 वर्गफुट भूिम निर्माण सहित श्रीमति रीना शिवहरे एवं 1786 वर्गफीट भूमि निर्माण सहित श्रीमति राज शिवहरे को पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा विक्रय कर दी गई।

  • सांवलदास पुत्र देवचंद मोदी द्वारा निगम से किए गए अनुबंध दिनाक 2-8-1952 की कंडिका 4 के अनुसार लीजग्रहिता को लीज भूमि को अंदर म्याद किराए पर अथवा लीज पर दिए जाने का अधिकार था।

  • तत्कालीन निगमायुक्त संदीप माकिन द्वारा शासन को लिखे पत्र में बताया गया कि नगर निगम को 20 करोड़ के राजस्व की हानि हुई है। इसके बावजूद किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई।

2.सक्षम स्वीकृति बिना बना दिए पब्लिक टॉयलेट :

  • नगर निगम अधिकारियों द्वारा 25 जुलाई 2019 को 2.45 करोड़ के 16 सार्वजनिक शौचालय (पीटी) व 3.84 करोड़ के 29 सीटी (कम्यूनिटी टायलेट) निर्माण हेत टेंडर लगवाए गए थे।

  • निगमायुक्त के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला होने पर भी परीषद की स्वीकृति नहीं ली गई। अधिकारियों ने बिना स्वीकृति के टेण्डर लगा दिए। साथ बिना बजट व व्यय स्वीकृत लिए 31 अगस्त 2019 को ठेकेदारी फ र्म (सुलभ इंटरनेशनल) से अनुबंध कर लाभ देने के लिए परफॉरमेंस गारंटी (बीजी) जमा नही कराई और कार्य के भुगतान हेतु 24 दिसंबर 2019 को एक करोड़ राशि का पहला बिल लेखा शाखा में पहुंचावा दिया।

  • आरएडी शाखा ने भी बिना जांच किए आंखें बंद रखते हुए भुगतान के लिए फाई पारित कर दी। इसके बाद 16 पीटी निर्माण की फाइल लेखा शाखा में पहुंचने पर स्वच्छ भारत मिशन की जगह निगम शौचालय व मूत्रालय के केवल एक करोड़ राशि वाले हेड (खाते) से ठेकेदारी फ र्म को 30 जनवरी 2020 को 35 लाख का भुगतान जारी किया गया।

  • इस मामले में अधीक्षण यंत्री प्रदीप चतुर्वेदी, सीसीओ प्रेम पचौरी, सहायक यंत्री सतेन्द्र यादव, उपयंत्री राजेश परिहार व एक क्र्लक को अपनी अपनी जिम्मेदारी में अनदेखी के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। 2.45 करोड़ के पब्लिक टायलेट घोटाला में 7 दिन में नोटिस का जबाव देना था। अब तक किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई।

3. कर्मचारियों के पीएफ में 9 करोड़ का घोटाला :

  • वर्ष 2016 में 934 कर्मचारी ठेके पर रखे गए। इसके बाद कर्मचारियों की संख्या लगभग 2800 तक पहुंच गई। इन कर्मचारियों का पीएफ नियम से जमा नहीं हुआ।

  • 2019 में पीएफ घोटाले की शिकायत हुई। इसके बाद राज सिक्योरिटी कंपनी द्वारा 531 कर्मचारियों के ईपीएफ खोलने की जानकारी दी गई थी। इसके बाद कुल 1730 कर्मचारियों के खाते खोले गए।

  • इसमें पैसा बहुत ही कम जमा कराया गया। किसी खाते में 5000 तो किसी में 10000 रुपय ही डाले गए हैं। साथ ही कई ऐसे कर्मचारी थी जिनका फर्जी भुगतान किया जा रहा था उन्हें निकालने के आदेश भी जारी किए गए हैं।

  • वर्ष 2015 में सेंगर सिक्योरिटी, 2016-17 में ग्लोबल सिक्योरिटी एवं इसके बाद राज सिक्योरिटी कंपनी द्वारा ठेके पर कर्मचारी रखे गए थे। इन तीनों कपंनियों पर पीएफ का पैसा डकारने के आरोप लगे हैं। कर्मचारियों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी तब जांच शुरू हुई लेकिन अब तक किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई।

इनका कहना है :

यह तीनों मामले मेरे संज्ञान में नहीं थे। आपने बताया है तो अवश्य ही इन मामलों से संबंधित दस्तावेजों की जांच कराई जायगी। जो भी भ्रष्टाचार का दोषी होगा उसके खिलाफ हम कार्यवाही भी करेंगे।

शिवम वर्मा, निगमायुक्त

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