ग्वालियर, मध्यप्रदेश। मंगलवार को दिल दहलाने वाले हादसे के बाद भले ही पुलिस के आला अधिकारियों ने अधीनस्थों को सजग रहने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बाद भी धरातल पर वह सजग नहीं दिखे। एक ऑटो में 12 सवारिया बैठाकर जो ऑटो दौड़ रहा था उसमें बस ने टक्कर मार दी थी जिससे चालक सहित 13 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना ने शहर के लोगों को हिला दिया था, लेकिन बुधवार को ही एक ऑटो में 10 सवारियां उसी रोड पर बैठी दिखाई दीं।
ऑटो-बस भिड़ंत की घटना में 13 लोगों की मौत के बाद पूरा प्रशासन सक्रिय हो गया था और बुधवार को पुलिस अधीक्षक ने शहर के हर चौराहों पर पुलिस कर्मियों को तैनात कर ओवरलोड सवारी बैठाने वाले वाहनो नजर रखने के निर्देश दिए थे। अब एसपी ने तो निर्देश दे दिए लेकिन उसका पालन हो रहा है कि नहीं इसको देखने वाला कोई नहीं है। पुलिसक कर्मी भी अपनी ड्यूटी निभाते दिखे ओर ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी बैठी दिखाई दी। बुधवार के दिन ऑटो क्रमांक एमपी 07 आरजे 4556 बहोड़ापुर तिराहे से निकला जिसमें 10 सवारी बैठी हुई थी। मंगलवार की घटना याद आते ही एक व्यक्ति ने इस ऑटो के संबंध में तिराहे पर तैनात पुलिस कर्मियों को सूचना दी लेकिन उन्होंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद संबंधित व्यक्ति ने बहोडापुर थाना प्रभारी को भी फोन पर अवगत कर बताया कि ऑटो में 10 सवारी बैठी निकल गई है। अब सूचना दे रहा है, लेकिन इसके बाद भी कोई कार्यवाही न होना यह दर्शाता है कि पुलिस कितनी सजग है। जब थाना प्रभारी भी सूचना पर नहीं जागे तो संबंधित ने एसपी को फोन कर सूचना दी। एसपी ने सूचना मिलते ही वायरलेंस से पॉइंट दिया उसके बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाई और 10 सवारी बैठाकर जा रहे ऑटो को मोतीझील के पास रुकवा कर अपने कब्जे में लिया। पुलिस ने ऑटो चालक के खिलाफ कार्यवाही करते हुए ऑटो को थाने में खड़ा करा लिया। मंगलवार को हुए हादसे के बाद एसपी ने सख्त निर्देश दिए थे कि ऑटो में तीन सवारी से अधिक नहीं बैठे मिलना चाहिए। एसपी के इस निर्देश के बाद भी पुलिस कर्मी सजग नहीं दिखाई दिए जो ऑटो में 10 सवारी बैठे होने की सूचना देने के बाद पता चला।
चौराहों पर तैनात कर दिया पर वह सजग तो रहे :
ऑटो-बस दुर्घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं कि उनके इलाके में ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी बैठी नहीं मिलना चाहिए। एसपी ने बुधवार को शहर के हर तिराहे व चौराहों पर पुलिस के जवान तैनात कर ऐसे वाहनों पर नजर रखने को कहा था जो ओवरलोड सवारी बैठाएं हुए है। अब एक ऑटो 10 सवारी बैठा कर निकल गया पर बहोड़ापुर तिराहे पर तैनात पुलिस जवानों को वह नजर ही नहीं आया। नजर नहीं आने के बाद सूचना भी दी पर उसके बाद भी सक्रियता नहीं दिखाई तो फिर चौराहो व तिराहे पर तैनाती से क्या फायदा होगा?
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