शासन को रिक्त पदों का हर माह भेज रहे प्रस्ताव, फिर भी पड़े हैं खाली
शासन को रिक्त पदों का हर माह भेज रहे प्रस्ताव, फिर भी पड़े हैं खालीRaj Express

Gwalior : शासन को रिक्त पदों का हर माह भेज रहे प्रस्ताव, फिर भी पड़े हैं खाली

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : जिला अस्पताल मुरार जूझ रहा चिकित्सकों की कमी से। कई विभागों में दस पदों पर सिर्फ एक चिकित्सक तैनात।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। जिला अस्पताल मुरार में चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं। रिक्त पदों पर भर्ती करने के लिए अस्पताल प्रबंधन शासन को हर माह प्रस्ताव भेज रहा है, लेकिन उसके बाद भी रिक्त पदों को भरने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। पदों को भरने की कार्रवाई ना करने से जिला अस्पताल मुरार चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। इस वजह से यहांं आए दिन मारपीट की घटनाएं हो रही हैं।

मध्यप्रदेश सरकार शासकीय अस्पतालों में मरीजों को आधुनिक इलाज देने के लिए काफी पैसा खर्च कर रही है। लेकिन अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तक के पद रिक्त होने से उन्नयनीकरण के बाद भी मरीजों का इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। यदि शासन उन्नयनीकरण के साथ-साथ स्टाफ की भर्ती की ओर भी ध्यान दे तो अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार हो सकता है। अस्पताल में कई विभाग ऐसे हैं। जहां दस पदों पर सिर्फ एक ही चिकित्सक तैनात है। यदि इन पदों पर भर्ती कर दी जाए तो इसका सीधा लाभ मरीजों को मिलेगा।

किस विभाग में कितने पद रिक्त :

  • मेडिसिन डॉक्टर के भरे पद 1, रिक्त पद 9

  • सर्जरी डॉक्टर के भरे पद 1, रिक्त पद 5

  • चर्म रोग डॉक्टर के भरे पद 0, रिक्त पद 1

  • फिजियोथेरेपिस्ट के भरे पद 0, रिक्त पद 1

  • रेडियोलॉजिस्ट के भरे पद 1, रिक्त पद 0

नोट : इसी तरह पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तक के पद रिक्त पड़े हुए हैं।

मरीज को रैफर करने पर होता है विवाद :

चिकित्सकों और स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल से जब चिकित्सक गंभीर मरीज को जयारोग्य अस्पताल के लिए रैफर करते हैं। तो मरीज के अटेण्डर चिकित्सक से मारपीट करने लगते हैं। शनिवार-रविवार की देर रात्रि भी मरीज को रैफर करने पर उसके अटेण्डरों ने चिकित्सक के साथ मारपीट कर दी थी।

एक समस्या यह भी :

अस्पताल एक तो पहले ही चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। दूसरी ओर शहर में किसी भी व्हीआईपी की एंट्री की खबर मिलते ही जिला अस्तपताल से ही चिकित्सक की ड्यूटी लगा दी जाती है। इस वजह से शहर में व्हीआईपी मूमेंट वाले दिन अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को बिना परामर्श लिए ही वापस लौटना पड़ता है।

ऐसे चला रहे काम :

अस्पताल में लम्बे समय से भर्ती प्रक्रिया ना होने के कारण, यहां अस्थाई रूप से या रोगी कल्याण समिति के माध्यम से कर्मचारियों को रखाकर काम चलाया जा रहा है। रोगी कल्याण समिति से भुगतान ना होने पर कर्मचारी काम बंद कर देते हैं। इससे अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

इनका कहना है :

हर महीने वेतन आहरण के बाद रिक्त पदों की जानकारी शासन को भेजी जाती है। इसमें अस्पताल में रिक्त पद और भरों हुए पदों की सम्पूर्ण जानकारी होती है। यदि अस्पताल को स्टाफ मिल जाए इससे अच्छी बात और कुछ नहीं हो सकती।

डॉ.राजेश शर्मा, सिविल सर्जन मुरार

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