बड़े भुगतान जीरो हुए तब पकड़ आया फर्जी रसीदों का मामला
बड़े भुगतान जीरो हुए तब पकड़ आया फर्जी रसीदों का मामलासांकेतिक चित्र

Gwalior : बड़े भुगतान जीरो हुए तब पकड़ आया फर्जी रसीदों का मामला

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : मामला, पीएचई में पानी के बिल के घोटाले का। कार्यपालन यंत्री की जांच में सामने आया बड़ा घपला। आईटी सेक्टर के विशेषज्ञों ने कराई गोपनिय जांच।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगर निगम के पीएचई विभाग में पानी के बिल जमा कराने का फर्जीवाड़ा सामने आने से हड़कपं मचा हुआ है। पीएचई में पदस्थ ठेके पर रखे हुए कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने वरिष्ठ अधिकारियों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए फर्जीवाड़ा किया है। नगर निगम में पदस्थ 90 प्रतिशत अधिकारी कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर के संचालन से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने अपनी की एवं पासवर्ड कम्प्यूटर ऑपरेटरों को सौंप दिए हैं। इसी का फायदा उठाकर बेकडेट में एंट्री कराई गई है। मामला सामने तब आया जब बड़े बिल अचानक जीरों हो गए। जांच में ई नगर पालिका के सॉफ्टवेयर में भी बड़ी कमी सामने आई है। इसमें बेक डेट में इंट्री करने का ऑप्शन है, जिसका लाभ उठाते हुए कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने लाखों रुपये का गबन किया है। इस मामले में जांच के बाद पूरा सच सामने आ सकेगा।

नगर निगम में एक बार फिर से फर्जीबाड़े का सिलसिला शुरू हो गया है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन किसी के खिलाफ कार्यवाही न होने से भ्रष्टाचारियों के हौंसले बुंलद हैं। अमृत योजना से लेकर स्मार्ट सिटी तक कई मामले सामने आए। लेकिन किसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई। इसी बीच फर्जी कर्मचारी रखने की शिकायत भी सामने आई जिसमें एक कर्मचारी को निलंबित किया गया है। अब पीएचई विभाग में फर्जी बिल जमा कराने का मामला सामने आया है। पीएचई विभाग में पदस्थ कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने सहायक यंत्री की कमजोरी का फायदा उठाते हुए उनकी की एवं पासवर्ड से लाखों का गबन कर दिया है। उपनगर ग्वालियर में जमा होने वाले पानी के बिलों की फर्जी रसीदें जारी कर दी गई हैं जबकि बिल जमा ही नहीं हुए। उपभोक्ताओं ने पैसा तो जमा किया है और उन्हें रशीदें भी मिली हैं लेकिन पैसा निगम के खातें में नहीं पहुंचा। इस फर्जीवाड़े के सामने आने पर निगमायुक्त किशोर कन्याल ने पीएचई कार्यपालन यंत्री आरके शुक्ला को जांच सौंपी है। कार्यपालन यंत्री ने जांच शुरू कर दी है और कम्प्यूटर का मामला होने पर आईटी विशेषज्ञ की मदद भी ली जा रही है। जल्द ही पूरा सच सामने आ जाएगा।

बड़े बिल अचानक हो गए जीरो :

पीएचई विभाग को शहर वासियों से लगभग 126 करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलनी है। इस संबंध में हर साल चर्चा होती है, लेकिन वसूली नहीं हो पा रही। इसी बात का लाभ उठाते हुए कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने बड़े बकायादारों से आधा अधूरा पैसा लेकर बिल जीरो कर दिए। यह मामला तब पकड़ में आया जब बकायादारों की सूची से अचानक 10 से 20 हजार की बकाया राशि वाले उपभोक्तओं की संख्या कम हुई। जब जांच हुई तो पता चला कि पैसा जमा नहीं किया गया। संबंधित उपभोक्ता को बुलाकर पूछा गया तो उसने निगम कार्यालय द्वारा जारी की गई पर्ची दिखा दी। लेकिन पैसा निगम खाते में जमा नहीं हुआ। इस मामले की जांच में करोड़ों रुपये का घपला सामने आएगा।

सहायक यंत्री के पासवर्ड से खोला सॉफ्टवेयर :

ई नगर पालिका में ऑन लाईन बिल का भुगतान होता है। इस भुगतान के लिए हर जोन पर राशि जमा करने के लिए कम्प्यूटर में सॉफ्टवेयर डला हुआ है। इस सॉफ्टवेयर को खोलने के लिए संबंधित जोन के सहायक यंत्री को एक पासवर्ड और की जारी की जाती है। इस की का इस्तेमाल करके ही सॉफ्टवेयर को खोलकर इंट्री होती है और पैसा जमा होता है। पीएचई विभाग के 90 प्रतिशत सहायक यंत्री की का इस्तेमाल करना ही नहीं जानते। उनका पासवर्ड और की कम्प्यूटर ऑपरेटर ही इस्तेमाल करते हैं। इसका फायदा उठाकर ही फर्जीवाड़ा किया गया है।

सॉफ्टवेयर में भी है बड़े खामी :

सूत्रों की माने तो ई नगर पालिका के सॉफ्टवेयर में बड़ी खामी है। इसमें बेक डेट में एन्ट्री का ऑप्शन खुला हुआ है। इसका फायदा उठाकर कम्प्यूटर ऑपरेटरों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। अधिकारियों को सबसे पहले बेक डेट में इंट्री बंद कराने के लिए भोपाल पत्र लिखना चाहिए, ताकि कोई भी मनमानी न कर सके। इस तरह का फर्जीवाड़ा पूरे प्रदेश में किया जा रहा होगा, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता।

आरएडी की बड़ी लापरवाही आई सामने :

पीएचई विभाग में हुए फर्जीवाड़े में आरएडी विभाग भी कम दोषी नहीं है। जो फर्जी रशीदें जारी हुए हैं, उन्हें आरएडी की जांच में पकड़ा जा सकता था। अगर आरएडी का स्टाफ प्रतिदिन कटने वाली रशीदें एवं जमा होने वाली राशि का मिलान करके अपने सिस्टम को खोलकर देखते तो तत्काल गड़बड़ी पकड़ में आ जाती। लेकिन ऐस नहीं किया गया। आरएडी का स्टाफ जांच से हमेशा बचता रहा है। यही वजह है कि लगातार घपले-घोटाले सामने आ रहे हैं।

इनका कहना है :

निगमायुक्त के निर्देश पर मैंने जांच शुरू की है। अभी बहुत से बिंदुओं की तह तक पहुंचना बाकी है। इससे ज्यादा कुछ भी बताना संभव नहीं है।

आरके शुक्ला, कार्यपालन यंत्री, पीएचई विभाग, नगर निगम

यह बहुत गंभीर मामला है। हम पूरे प्रकरण की जांच करा रहे हैं। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे। अन्य मामलों पर भी हम निगाह बनाए हुए हैं।

किशोर कन्याल, निगमायुक्त

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