930 किसानों को हाई कोर्ट ने दी राहत
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सिंगरौली : 930 किसानों को हाई कोर्ट ने दी राहत

सिंगरौली, मध्य प्रदेश : ललितपुर-सिंगरौली रेल लाईन हेतु अधिगृहित जमीन में नामांतरण किये जाने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश।

सिंगरौली, मध्य प्रदेश। सिंगरौली जिले के 930 किसानों के लिए राहत भरी खबर है। अधर में अटकी हुई 930 किसानों की जमीनों की रजिस्ट्री के बाद नामान्तरण के फेर में अटकी हुई रजिस्ट्री का नामान्तरण के मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने नामान्तरण का आदेश दिया है  ललितपुर सिंगरौली नई रेलवे लाईन बनाये जाने हेतु सीधी एवं सिंगरौली जिले में जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है।

क्या है मामला :

ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के संबंध में सिंगरौली जिले के लगभग 22 गाँवों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही हैं जिसके अधिग्रहण की अधिसूचना दिनांक 16/11/2017 को दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित की गयी थी जबकि अधिसूचना प्रकाशन के पूर्व ही संबंधित जिले के तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी के द्वारा आदेश जारी कर रजिस्ट्री, बंटवारा, नामांतरण, डायवर्सन एवं अन्य अंतरण पर रोक लगा दी गयी थी। जिसके फलस्वरूप जिले की 930 रजिस्ट्रियां प्रभावित हुई थीं, जिनका नामान्तरण रुक गया था।

पीड़ित किसान जा पहुंचा उच्च न्यायालय :

जिसको संबंधितजनों द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। ताजा मामला ग्राम पतुलखी निवासी जितेन्द्र प्रसाद तिवारी का है जिन्होने सिंगरौली जिले के तहसील चितरंगी अंतर्गत ग्राम झोखो में दिनांक 13/09/2017 को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र द्वारा जमीन का क्रय किया था तथा उक्त जमीन के नामंतरण हेतु तहसीलदान चितरंगी के समक्ष आवेदन प्रस्तु किया था किन्तु उस आवेदन पत्र के आधार पर नामांतरण आदेश पारित नहीं किया गया। क्रेता द्वारा जुलाई प्रथम सप्ताह में विधिवत आवेदन एसडीएम चितरंगी के समक्ष प्रस्तुत कर यह अनुरोध किया गया कि तहसीलदार चितरंगी को निर्देशित करें कि प्रार्थी का आवेदन विधि अनुरूप होने से नामांतरण आदेश पारित किया जाये, जिस पर कोई कार्यवाही नही हुयी। क्रेता जितेन्द्र तिवारी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता ब्रहमेन्द्र पाठक के माध्यम से रिट याचिका प्रस्तुत की।

तीन माह के अंदर नामान्तरण का आदेश पारित करें - उच्च न्यायालय :

दिनांक 20/08/2020 को न्यायाधीश संजय द्विवेदी की एकलपीठ मे सुनवाई हुयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री पाठक ने यह तर्क रखा कि अधिसूचना के प्रकाशन के पूर्व किसी भी तरह के अंतरण पर रोक लगाया जाना पूर्णत: अवैधानिक है, चुकी रेल्वे लाईन हेतु भूमि अधिग्रहण की सूचना दिनांक 16/11/2007 को प्रकाशित हुयी है जबकि याचिकाकर्ता वैधानिक रूप से नामांतरण कराने का हकदार है। उक्त तर्क से सहमत होते हुये उच्च न्यायायल ने याचिका का निराकरण करते हुये तहसीलदार चितरंगी को यह आदेशित किया है कि यदि याचिकाकर्ता की रजिस्ट्री अधिसूचना से पूर्व की है तो तीन माह के अंदर याचिकाकर्ता का नामांतरण आदेश पारित करें, उक्त संबंध में न्यायालय ने अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र पाठक के द्वारा पूर्व में इसी विषयवस्तु पर कराये गये आदेशों का भी अवलोकन करने का निर्देश दिया है।

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