हनी ट्रैप कांड : नाराज अदालत ने जांच अधिकारी को किया तलब

इंदौर, मध्य प्रदेश : हनी ट्रैप कांड की स्पष्ट जानकारी नहीं दिये जाने से नाराज अदालत ने जांच अधिकारी को तलब किया।
Honey Trap Case
Honey Trap CaseNeha Shrivastav - RE

इंदौर, मध्य प्रदेश। मध्यप्रदेश के कुख्यात हनी ट्रैप कांड में जब्त सामान और इसकी जांच रिपोर्ट को लेकर पुलिस द्वारा स्पष्ट जानकारी नहीं दिये जाने पर जिला अदालत ने सोमवार को नाराजगी जतायी। इसके साथ ही, मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को 15 सितंबर को संबंधित दस्तावेजों समेत खुद हाजिर होने का आदेश दिया।

क्या है मामला :

विशेष न्यायाधीश रेणुका कंचन ने कहा कि अदालत द्वारा शहर की पलासिया पुलिस को बार-बार आदेश दिया गया है कि हनी ट्रैप कांड में जब्त सामान और इसकी जांच रिपोर्ट की स्पष्ट जानकारी अदालत के सामने पेश की जाये। लेकिन इसका अब तक पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, (पुलिस) द्वारा प्रेषित उत्तर में पूर्व की भांति भ्रामक जानकारी प्रस्तुत की गयी है। इसमें लिखा गया है कि जब्तशुदा मुद्दा माल (अपराध की जांच के दौरान जब्त सामान) जांच के लिये हैदराबाद भेजा गया है और इसकी जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है एवं जैसे ही यह जांच रिपोर्ट प्राप्त होगी, (अदालत के सामने) पेश कर दी जायेगी। अदालत ने कहा, आपके (पुलिस) इस उत्तर से प्रतीत होता है कि आप न्यायालय के पत्र के परिप्रेक्ष्य में उत्तर देने में रुचि नहीं रखते हैं।

एडवोकेट धर्मेन्द्र गुर्जर ने बताया विशेष न्यायाधीश ने 15 सितंबर को मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख तय करते हुए कहा कि चाही गयी जानकारी देने के लिये पुलिस के जांच अधिकारी अदालत के सामने संबंधित दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से हाजिर हों।

हनी ट्रैप गिरोह की पांच महिलाओं और उनके ड्राइवर को भोपाल और इंदौर से सितंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि यह संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लायी गयी युवतियों के इस्तेमाल से धनवान लोगों और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फांसता था, फिर अंतरंग पलों के खुफिया कैमरे से बनाये गये वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था। आरोप पत्र के मुताबिक हनी ट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिशें तक करायी थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था।

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