हनी ट्रैप - तीन बंद लिफाफों में एसआईटी ने पेश की स्टेटस रिपोर्ट

इंदौर, मध्य प्रदेश : जांच में जिनके नाम सामने आए उसे एसआईटी प्रमुख ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में उपस्थित होकर हाईकोर्ट को सौंपा।
Honey Trap Case
Honey Trap CaseNeha Shrivastav- RE

इंदौर, मध्य प्रदेश। हनी ट्रैप मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के चीफ ने गुरुवार को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष वह स्टेटस रिपोर्ट तीन सीलबंद लिफाफे में पेश कर दी जिसमें अब तक की जांच में जितने भी अफसर, नेताओं के नाम सामने आए हैं उनका उल्लेख है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि जांच में नाम सामने आए हैं, खुलासा हुआ तो उसे बताने में क्या परेशानी है तब एसआईटी चीफ ने कोर्ट से सात दिन का वक्त लिया था।

एसआईटी प्रमुख खुद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित हुए। कोर्ट ने अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए अगले गुरुवार तक का समय देते हुए सुनवाई आगे बढ़ा दी। अब इस मामले में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी। शासन का पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता खुद उपस्थित हुए थे।

गुरुवार को यह मामला जस्टिस एससी शर्मा, जस्टिस विवेक रुसिया की खंडपीठ के समक्ष लगा था। याचिकाकर्ता शिरीष मिश्रा की ओर से अधिवक्ता निधि वोहरा ने अंतरिम आवेदन लगाया था। जिसमें केस को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग की गई थी। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में एसआईटी चीफ राजेंद्र कुमार भी उपस्थित हुए। कोर्ट ने सुनवाई शुरू होते ही स्टेट्स रिपोर्ट का पूछा। महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने जवाब दिया कि कोर्ट के समक्ष इसे पेश किया जा चुका है। वहीं चालान की प्रति भी कोर्ट में पेश की जाना है। इसके लिए एसआईटी को एक सप्ताह का वक्त और दिया गया है।

13 अगस्त को होगी अगली बहस :

हनी ट्रैप मामले को लेकर यह याचिका याचिकाकर्ता श्री मिश्रा ने एडवोकेट निधि बोहरा के माध्यम से दायर की है। 27 जुलाई को याचिकाकर्ता ने आवेदन देकर मांग की थी कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए क्योंकि आशंका है कि एसआईटी जांच में कई तथ्यों को छुपा रही है। पूछताछ में जो नाम सामने आए हैं और आरोपितों ने जो नाम बताए हैं उन नामों का खुलासा भी नहीं किया गया है। ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत चालान में भी कई खामियां हैं। ऐसा लगता है कि कुछ आरोपितों को बचाने का प्रयास हो रहा है। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि एसआईटी प्रमुख कोर्ट को बताएं कि अब तक हुई जांच में कौन-कौन से नाम सामने आए हैं। पहले दिन से अब तक हुई जांच का ब्यौरा दें और स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान एसआईटी प्रमुख स्वयं उपस्थित थे। शासन की तरफ से पैरवी महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने की। एसआईटी ने तीन बंद लिफाफों में स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। इन बंद लिफाफों में ही जांच के दौरान सामने आए नाम भी हैं। इसके साथ ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत चालान, प्रोग्रेस रिपोर्ट आदि हैं। कोर्ट अब इस संबंध में 13 अगस्त को बहस सुनेगी।

यह सौंपा सीलबंद लिफाफे में :

याचिकाकर्ता ने आवेदन में इस मामले की जांच एसआईटी से लेकर सीबीआई से कराने की मांग भी की थी। गुरुवार को शासन ने स्टेटस रिपोर्ट और चालान तो कोर्ट में पेश कर दिया लेकिन सीबीआई से जांच के मामले में कोई जवाब नहीं दिया। गौरतलब है कि हनी ट्रैप मामले में ही दायर एक अन्य याचिका में भी सीबीआई जांच की मांग उठाई है। शासन ने उस याचिका में जवाब दिया है कि एसआईटी की जांच लगभग पूरी होने में है। ऐसे में सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है। एसआईटी ने हनी ट्रैप के सिंडिकेट में शामिल सभी महिलाओं से जब्त हुए मोबाइल, गैजेट्स, वीडियो, ऑडियो की जानकारी कोर्ट को दी है। हैदराबाद स्थित फॉरेंसिक लैब में जितने भी गैजेट्स भेजे गए हैं उसकी भी जानकारी दी गई है। आरोपियों से पूछताछ, गैजेट्स में बातचीत, रिकार्डिंग, वीडियो के आधार के पर जिन लोगों की पहचान हुई है उनके नाम भी सौंपे गए हैं।

अगली सुनवाई बंद कमरे में होगी :

गुरुवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए हुए सुनवाई में शासन का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अब तक हुई जांच में पता चला है कि आरोपितों ने अलग-अलग कई लोगों से बातचीत भी की थी, लेकिन हर बातचीत का संबंध अपराध से ही हो यह जरूरी नहीं। ऐसी स्थिति में जांच में सामने आए नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। महाधिवक्ता ने मांग की कि अगली सुनवाई बंद कमरे में की जाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बात को स्वीकारते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई बंद कमरे में (कैमरा प्रोसिडिंग) होगी। महाधिवक्ता और एसआईटी प्रमुख इसमें शामिल होंगे। हनी ट्रैप मामले में हाई कोर्ट में पांच अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं। अब तक इनमें से कुछ की सुनवाई एक साथ तो कुछ की अलग-अलग हो रही थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि आगे से इन सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ की जाएगी।

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