बाणसागर बांध
बाणसागर बांधShubham Tiwari

शहडोल : अवैध रेत खनन मामला सिया की कार्यवाही में अटका

शहडोल , मध्यप्रदेश : प्रदेश और उत्तरप्रदेश, बिहार राज्यों को मिलाने वाली अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय बृहद नदी घाटी परियोजना सिया की कार्यवाही में अटकी, प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद लंबित है मामला।

हाइलाइट्सः

  • रेत के दांव पर लगाया बाणसागर डैम

  • तीन राज्यों को सिंचाई देनी वाली परियोजना

  • सरकार बदली लेकिन कार्यवाही शून्य

  • संचालन से लेकर अभी तक तीन कलेक्टर कटघरे में

राज एक्सप्रेस । मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में रेत के लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार राज्यों को मिलाने वाली अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय बृहद नदी घाटी परियोजना के तहत शहडोल जिले के देवलोंद में बने डैम और उसके डूब क्षेत्र की जानकारी छुपाते हुए भाजपा शासन काल में तैनात रहे तात्कालीन कलेक्टर माल सिंह भयड़िया ने एकल प्रमाण पत्र जारी किया, जिसके आधार पर राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (सिया) के द्वारा प्रकरण क्रमांक 5695/2018 में 31 अक्टूबर 2018 को आदेश क्रमांक 1639 के तहत पर्यावरण स्वीकृति जारी की, जिसमें खदान का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया गया था। यह योजना मुख्यतः सिंचाई सुविधा की दृष्टि से बनाई गई थी।

कार्यवाही में अटका मामलाः

जिसके तहत यह मामला ‘सिया’ में कार्यवाही के लिए अटका हुआ है। बाणसागर बांध के कार्यपालन यंत्री के द्वारा अवैध उत्खनन और बिना अनापत्ति के खदान के संचालन पर कार्यवाही के लिए 4 माह पहले खनिज विभाग सहित उमरिया कलेक्टर को पत्र भी जारी किया था, इस मामले में 38 लाख रूपये की राशि भी जुर्माने के तौर पर वसूल करने के निर्देश दिये गये लेकिन सिया की शर्तों के उल्लंघन की तरह ही यह मामला भी ठण्डे बस्ते में कैद है।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मामले पर कोई कार्यवाही नहीं :

खदान की सैद्धांतिक सहमति भाजपा शासन काल में तैनात रहे तत्कालीन कलेक्टर माल सिंह के कार्यकाल में की गई थी, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस की सरकार आने के बाद आईएएस अधिकारी अमर पाल सिंह को उमरिया जिले की कमान सौंपी गई, उस दौरान भी पूरा मामला उनके संज्ञान में था, लेकिन कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं की गई ।

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अमर पाल सिंह का तबादला होने के बाद शासन ने स्वरोचिष सोमवंशी को उमरिया जिले की कमान सौंपी, लेकिन खनिज विभाग में तैनात रहे तात्कालीन सहायक खनिज अधिकारी राम सिंह उइके और वर्तमान में तैनात श्रीमान सिंह बघेल ने मौजूदा अधिकारी को इस मामले की कोई जानकारी देना तक मुनासिब नहीं समझा।

कलेक्टर की क्लीन चिट :

सिया के द्वारा जारी की गई पर्यावरण स्वीकृति के उल्लंघन की शिकायत जब सिया के पास पहुंची थी तो संभागायुक्त को पूरे मामले की जांच कर प्रतिवेदन मांगा गया था, तात्कालीन संभागायुक्त शोभित जैन ने इस मामले की स्वयं एवं गठित की गई टीम के द्वारा जांच कराकर शर्तों का उल्लंघन मिलने पर कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन सिया को भेजा था, लेकिन जिला स्तर पर खदान के संचालन के लिए बनाये गये नियमों के पक्ष में प्रतिवेदन खनिज विभाग के द्वारा भेज दिया गया, दोनों ही रिपोर्टो में विरोधाभास होने के चलते सिया ने इस मामले को सैक को भेजते हुए फिर से प्रतिवेदन मांगा था, लेकिन यह मामला भी राज्य स्तर पर लंबित चल रहा है।

फिर गठित हुई कमेटी :

इस पूरे मामले में विरोधाभास होने पर सिया के द्वारा फिर से एक कमेटी का गठन किया गया, जिसमें केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तनमंत्रालय, जिला प्रशासन, खनिज अधिकारी के अलावा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के एक-एक प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए जांच प्रतिवेदन मांगा गया था, लेकिन न तो राजधानी के अधिकारियों ने इस ओर अपनी कोई रूचि दिखाई और न ही संभागीय और जिला स्तर के अधिकारियों ने जांच करना मुनासिब समझा, यही हाल बांधवगढ़ पार्क के अधिकारियों का भी है।

खनिज अधिकारी के साथ ही इस मामले में कलेक्टर को भी इस मामले में पत्र लिखा गया था, जल संसाधन विभाग के आलाधिकारियों के संज्ञान में भी पूरा मामला है, लेकिन उमरिया जिला प्रशासन के द्वारा 4 माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।

ए.एन.शर्मा,कार्यपालन यंत्री

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