बालाघाट:कार्यवाही के बाद भी जिले में बिक रही अवैध कीटनाशक दवाईयां

बालाघाट, मध्य प्रदेश: कई राज्यों में धान के कीटनाशक दवाओं को बेचने की मानों होड़ सी लग हुई हैं। किसान फसलों को बीमारियां एवं कीटाणुओं से बचाने के लिए मंहगे दामों पर कीटनाशक दवाईयां खरीदने रहे हैं।
अवैध कीटनाशक दवाईयां
अवैध कीटनाशक दवाईयांPankaj Baraiya - RE

हाइलाइट्स:

  • कीटनाशक दवाओं को बेचने की होड़ सी लगी हुई है,जो फसल के लिए नुकसानदायक है
  • महंगे दामों पर बेची जा रही है कीटनाशक दवाईयां
  • धान में लगी बीमारियों का फायदा उठाकर बगैर लाइसेंस के बेच रहे है दवा
  • दवा से बीमारी का नहीं हुआ ईलाज उल्टा हो रहा नुकसान
  • चलाया जाएगा चेकिंग अभियान, दोषी पाया जाता है, तो की जाएगी कार्यवाही

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश का सर्वाधिक धान उत्पादन करने वाला बालाघाट जिले में धान की बंपर पैदावार को देखते हुए, कई राज्यों में धान के कीटनाशक दवाओं को बेचने की मानों होड़ सी लग हुई हैं। यहां कई दवा कंपनी के द्वारा खरीफ सीजन से पहले ही पैर पसार लिया गया हैं और बकायदा धान में लगी तमाम बिमारियों का फायदा उठाकर अनेकों कंपनियां बगैर लाईसेंस के ही दवा बेच रहे है। साथ ही कई दवा कंपनी बिना प्रमाण के ही किसानों को छलने का काम कर रही है। बता दें कि, इन दिनों धान की फसल में बड़ी पतंगे, खरपतवार, इल्ली माउं जैसे तमाम रोग अपना प्रकोप फैलाने लगी है। क्षेत्र के अनेक किसान खरीफ फसलों को बीमारियां एवं कीटाणुओं से बचाने के लिए किसान मंहगे दामों पर कीटनाशक दवाईयां खरीदने को मजबूर है।

महंगे दामों पर बेची जा रही है कीटनाशक दवाईयां :

ज्ञात हो कि, नगर में संचालित कीटनाशक दवा विक्रेताओं द्वारा कीटनाशक दवाईयां महंगे दामों पर बेची जा रही है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। साथ ही कीट, इल्ली, खरपतवार पर इन कीटनाशक दवाओं का असर नही हो रहा है, जिससे किसानों की जेब पर आर्थिक बोझ भी आ रहा है और वह भी परेशान है। शहर में किराए से कृषि के लाईसेंस दिए जाने की जो परंपरा चल रही है, उसके लिए चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। यदि जो भी दोषी पाया जाता है, तो उस पर भी कार्यवाही की जाएगी। फसलों में बिमारियों का प्रकोप चल रहा है और कृषकों के द्वारा ली जाने वाली दवाईयां, जो नकली बता रहें हैं, उसकी भी जांच की जाएगी।

संबंधित विभाग नहीं करता कार्यवाही :

इस संबंध में किसानों की माने तो पिछले वर्ष उन्होंने बाजार से कीटनाशक 5 हजार रूपए की इल्ली और पतंगे जैसी बिमारियों की दवा खरीदी थी। जिसका फसल में एक बार छिड़काव करने के बाद भी प्रकोप कम नही हुआ है। अभी-अभी जो धान के पौधे लगे हैं, जिसमें बिमारियां लगी हुई है और दवा बेअसर साबित हुई है। जिससे क्षेत्र के कई किसान दवा के नाम पर छले जा रहें हैं।

बिमारी का नही हुआ ईलाज उल्टा दवा से नुकसान :

बालाघाट जिले में खरीफ की फसल किसानों के आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद खास होती है, जिसकी बदौलत किसान का वर्ष भर का आर्थिक और घरेलू खर्च को लेकर सपने संजोता है। लेकिन फसलों को प्रकृतिक चपेट और ऊपर से दवा के नाम पर छला जाना कहीं न कहीं किसानों को गर्त में डालने वाला साबित हो रहा है। दवा लेने के बाद भी न तो खरपतवार, कीट पतंगे और अन्य रोग समाप्त हो रहे है, बल्कि फसल को नुकसान ही हो रहा है। कृषि विभाग समय-समय पर कीटनाशक दुकानों का निरीक्षण नही करता और न ही दवाओं के सेंपल लेता, जिससे इन दुकानदारों के हौसले बुलंद है और वह प्रशासन की नाक के नीचे कीटनाशक दवाएं महंगे दामों में विक्रय किया जा रहा है।

बगैर लायसेंस के संचालित हो रही दुकानें :

नगर में दर्जनभर से अधिक कीटनाशक दवाओं की थोक एवं फुटकर दुकाने संचालित हो रही है। इनके अलावा अन्य कीटनाशक दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों एवं संचालकों पर कोई डिग्री, डिप्लोमा नहीं है। शासन के नियमानुसार कीटनाशक दवा विक्रेताओं पर कृषि स्नातक जैव रसायन, प्राणी, वनस्पति विज्ञान, सहित संबंधित डिप्लोमा डिग्री होना आवश्यक है। साथ ही कीटनाशक दवा विक्रेताओं के पास लायसेंस होना आवश्यक है, लेकिन विक्रेताओं के पास लायसेंस होना आवश्यक है, लेकिन नगर में ऐसा कुछ दिखाई नही देता है। इसके बावजूद भी धड़ल्ले से यह लोग प्रशासन के बगैर किसी भय के अपना व्यवसाय संचालित कर मोटी रकम कमा रहे है।

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