कृत्रिम जलकुण्डों में ही करें मूर्ति विसर्जन
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शहडोल: कृत्रिम जलकुण्डों में ही करें मूर्ति विसर्जन, होगी जल गुणवत्ता की जांच

शहडोल, मध्यप्रदेश: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दुर्गा पूजा के दौरान विसर्जित होने वाली मूर्तियों को सीधे नदी, तालाबों में न विसर्जित करने के बजाय बनाये गये कृत्रिम जलकुण्डों में करने की अपील की है

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दुर्गा पूजा के दौरान विसर्जित होने वाली मूर्तियों को सीधे नदी, तालाबों में न विसर्जित करने के बजाय बनाये गये कृत्रिम जलकुण्डों में करने की अपील की है, क्योंकि प्रतिमाओं के निर्माण में आप्रकृतिक रंगों सहित अन्य हानिकारण रसायनों का उपयोग होता है, जिससे नदी, तालाब प्रदूषित होते हैं। बोर्ड मुख्यालय ने सभी क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों और प्रयोगशाला प्रभारियों को निर्देशित किया है कि, विसर्जन के पूर्व और बाद में जल की गुणवत्ता की जांच अवश्य करें।

सेम्पलिंग करने के निर्देश :

बोर्ड के द्वारा जल गुणवत्ता की जांच में भौतिक-रसायनिक पैरामीटर जैसे पीएच, डिजाल्वड आक्सीजन, बायोकैमिकल आक्सीजन डिमांड, केमिकल्स आक्सीजन डिमांड, कुण्डक्टीविटी टर्बिडिटी, टोटल डिजाल्ट सालिड्स, टोटल सालिड्स एवं मैटल्स (केडिमियम, क्रोमियम, आयरन, निकल, लेड, जिंक, कॉपर) की जांच करे जाने के निर्देश प्रयोगशाला प्रभारियों को जारी किये गये हैं, जलस्त्रोतों के क्षेत्र अनुसार सेम्पलिंग पाईट निश्चित करने के लिये निर्देशित किया गया है।

गुणवत्ता होती है प्रभावित :

प्राकृतिक जलस्त्रोतों में प्रतिमाओं के विसर्जन से जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, क्योंकि मूर्ति निर्माण में उपयोग किये जाने वाले अप्राकृतिक रंगों में विषैले रसायन होते हैं, साथ ही प्रतिमाओं के साथ फूल, वस्त्र एवं सजावटी समान, रंगीन कागज एवं प्लास्टिक आदि विसर्जित होते हैं, जिससे जलस्त्रोतों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बोर्ड की ओर से आम नागरिकों से प्राकृतिक जलस्त्रोतों में प्रतिमाओं के विसर्जन न करने कीअपील की है।

कुण्डों में करें विसर्जन :

पीसीबी के द्वारा सभी नागरिकों के अपील की गई है कि जल की गुणवत्ता पर विपरित प्रभाव न पड़े, इसलिये जल प्रदाय वाले स्त्रोतों पर मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाये, प्रतिमाओं के विसर्जन हेतु चिन्हित किये गये कृत्रिम जल कुण्डों स्थानों पर ही विसर्जित करें, जिससे नदी और तालाबों को प्रदूषण से बचाया जा सके। साथ ही प्रतिमाओं के साथ लगाये गये वस्त्र, पूजन सामग्री, प्लास्टिक का सामान, पॉलीथिन बैग एवं अनावश्यक सामग्री को नदी, तालाब में नहीं डाले। विसर्जन से पहले इस प्रकार की सामग्री को प्रतिमाओं से हटा लेना चाहिए।

आस्थाई तालाब भी विकल्प :

बोर्ड ने निर्देश जारी किये हैं कि प्रतिमा विसर्जन हेतु आस्थाई तालाब में मूर्ति विसर्जन कराया जाये, ऐसे स्थलों के चारों ओर सुरक्षा घेरा तथा जल में सेथेटिक्स लाइनर लगाया जाना चाहिए, जिससे विसर्जन उपरांत बचे हुए अवशेषों को किनारे पर लाकर व मिट्टी इत्यादि के लैड फिल्ड में उपयोग किया जा सकता है, तथा लकड़ी व बांस को पुन: उपयोग में लाया जा सकता है।

ठोस अपशिष्ट न जलाये :

बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन स्थलों के पास ठोस अपशिष्ट व न जलाने की आम नागरिकों से अपील की है जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करता है, इतना ही नहीं मूर्ति विसर्जन के बाद 24 घंटे के अंदर जलस्त्रोतों में विसर्जित फूल, वस्त्र एवं सजावटी समान, रंगीन कागज, प्लास्टिक की वस्तुओं को निकाला जाये, जिससे जल-जीवन पर मूर्ति विसर्जन का न्यूनतम विपरित प्रभाव पड़े।

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