हमारी सनातन संस्कृति और गुरूदेव की चिंतनधारा एक ही रही है:राज्यपाल

भोपाल : प्रदेश की राजधानी भोपाल के रविंद्र भवन में आज टैगोर अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव का शुभारम्भ राज्यपाल लालजी टंडन ने किया।
टैगोर अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव भोपाल
टैगोर अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव भोपालSocial Media

राज एक्सप्रेस। राज्यपाल लालजी टंडन ने आज रवीन्द्र भवन में टैगोर अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में राज्यपाल एवं टेगौर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति द्वारा टेगौर एवं भारत माता की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।

राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि :

टैगोर बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। हमारे देश में ऋषि-मुनियों की ज्ञान-परम्परा के कारण ही भारत दुनिया में विश्वगुरू रहा है। विश्व में अनेक विद्वान हुए हैं जो अपने-अपने विषय में पारंगत रहे हैं परन्तु टैगोर गद्य, पद्य, संगीत, चित्रकला और नृत्य जैसी अनेक विधाओं में पारंगत थे। हमारी सनातन संस्कृति और गुरूदेव की चिंतनधारा एक ही रही है। गुरूदेव भारत के ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्हें काव्य-कृति 'गीतांजलि' पर नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ।

टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि :

विश्व के लगभग 66 देशों में हिन्दी पढ़ाई जाती है, जिनमें से लगभग 30 देशों के प्रतिनिधियों के साथ लगभग 500 आयोजनों में हिन्दी और अन्य भाषाओं के साथ बोलियों के सत्र भी आयोजित किये जायेंगे। हिन्दी में टेक्नोलॉजी का उपयोग, जलियांवाला बाग की घटना के 100 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम, थर्ड जेंडर कविता पाठ जैसे महत्वपूर्ण सत्रों में उपस्थिति से आयोजन की सार्थकता बढ़ेगी और यह आयोजन विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगा।

इस अवसर पर कला विदुषी एवं रंगकर्मी सुश्री ऊषा गांगुली, दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक एवं इस आयोजन के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई, 18 खण्डों में प्रकाशित कथा देश के सम्पादक मुकेश वर्मा, कला महोत्सव के सह निर्देशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी और विश्वविद्यालय के कुलपति अशोक कुमार ग्वाल विशेष रूप से उपस्थित थे।

स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया :

इस आयोजन में राज्यपाल टंडन ने प्रभु जोशी द्वारा बनाये गये रवीन्द्रनाथ टैगोर के पोट्रेट का अनावरण किया। भारत भवन में लगने वाली चित्र-प्रदर्शनी के पाँच कलाकारों को 51000 रूपये की राशि, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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