राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश से शुरू हुए हनीट्रैप मामल में जैसे-जैसे हर दिन नया मोड़ सामने आता गया वैसे-वैसे ही अलग-अलग राज्यों और लोगों के नाम सामने आते गए, सबूत के तौर पर कई विंडोज और ऑडिओज भी सामने आये हैं, मामले में सामने आये लोगों के खिलाफ कोर्ट में कार्यवाही की जा रही है। यह कार्यवाही हाईकोर्ट की इंदौर बेंच कर रही है। इस मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
हाई कोर्ट के आदेश :
वहीं हनी ट्रेप मामले में इंदौर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान प्रदेश के सबसे ईमानदार छवि रखने वाले अधिकारी एडीजी संजीव शमी को हटाने पर प्रश्न उठाया। दूसरी तरफ हाई कोर्ट ने एडीजी राजेंद्र कुमार को आदेश दिया कि, मामले में जप्त इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को देश की सबसे प्रतिष्ठित हैदराबाद स्थित फॉरेंसिक लैब में भेजा जाए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की रिपोर्ट को लेकर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि, बिना कोर्ट की अनुमति के जांच अधिकारी और OIC अवधेश गोस्वामी को न बदला जाएगा और न ही इंदौर से बाहर भेजा जाएगा और न ही उनका ट्रांसफर किया जा सकेगा। मामले की केस डायरी OIC अवधेश गोस्वामी को सील बंद लिफाफे में सौंपी गई।
पत्रकारों के नाम भी आये सामने :
लगातार खुलासों के बीच हनी ट्रैप मामले में भोपाल के कई पत्रकारों के नाम भी सामने आये थे, इन पत्रकारों में हिंदी समाचार पत्र का एक रेजिडेंट एडिटर, न्यूज चैनल का एक कैमरामैन और क्षेत्रीय सैटेलाइट टीवी चैनल का मालिक भी शामिल पाए गए। साथ ही डीजी राजेन्द्र कुमार के नेतृत्व में बनी एस आई टी में मात्र तीन अधिकारी, क्राइम ब्रांच एवं पलासिया थाने को हटा दिया गया।
प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में नहीं है स्टैट्स :
SIT के बदलने के कारण सरकार द्वारा पहली बार SIT गठन के दावे पर असहमति जताई गई है, मामले में SIT चीफ को बदल कर राजेंद्र कुमार को नया SIT चीफ नियुक्त किया गया है और DGP पर सवाल उठाने वाले साइबर सेल के DGP का ट्रांसफर भी कर दिया गया है। अब नई टीम सदस्य के तौर पर मिलिंद कंसकर और रुचि वर्धन को रखा गया है। हालांकि संजीव शर्मा को SIT चीफ पद से जरूर हटा दिया गया है, लेकिन उन्हें हनी ट्रैप मामले की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है।
पदों का गलत इस्तेमाल करने पर कार्यवाही :
SIT के कहा अगर सबूतों में ऐसा कोई भी सबूत मिला जिसके अनुसार नौकरशाहों ने हनी ट्रेप मामले से जुड़े लोगों की बात मानने के लिए अपने पद का गलत इस्तेमाल किया तो इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। साथ ही सरकारी पदों पर नियुक्त लोगों ने भी अपने पद का दुरूपयोग किया होगा तो, अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत मामले दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।
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