कमिश्नर सिस्टम का सफर - कुछ खरा कुछ खोटा
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Indore : कमिश्नर सिस्टम का सफर - कुछ खरा कुछ खोटा

इंदौर, मध्यप्रदेश : कमिश्नर सिस्टम के बाद ये माना जा रहा था कि अपराधों पर अंकुश लगेगा लेकिन आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि कमिश्नर सिस्टम के बाद भी हालत जस की तस है।

इंदौर, मध्यप्रदेश। स्मार्ट सिटी में कमिश्नर सिस्टम को एक साल पूरा होने वाला है। मध्यप्रदेश में 9 दिसंबर 2021 से इंदौर और भोपाल में एक साथ कमिश्नर सिस्टम लागू हो चुका है। कमिश्नर सिस्टम के बाद ये माना जा रहा था कि अपराधों पर अंकुश लगेगा, लेकिन आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि कमिश्नर सिस्टम के बाद भी हालत जस की तस है। कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद हत्या,हत्या का प्रयास, बलात्कार, अपहरण और चोरी के मामले बढ़ गए हैं। दूसरी ओर लूट, चेन स्नेचिंग, नकबजनी, वाहन चोरी और बलवे के मामलों में कमी आई है। कमिश्नर सिस्टम को खरा-खोटा भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

बढ़ते अपराध और पुलिस के तर्क :

बढ़ते अपराधों को लेकर पुलिस ने कुछ तर्क भी दिए हैं और दावा किया है कि कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद अपराधों पर रोक लगी है।

हत्या :

2021 में 1 जनवरी के 15 नवंबर तक हत्या का आंकड़ा 44 था। 2022 में ये आंकड़ा 63 हो गया है। कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद हत्या के आंकड़े बढ़े हैं।

पुलिस का तर्क :

हत्या के कई मामलो में आरोपी परिजन ही निकलें हैं। इसी कारण से हत्या के केस का आंकड़ा ज्यादा है।

हत्या का प्रयास :

2021 में 1 जनवरी से 15 नवंबर तक हत्या के प्रयास के 78 मामले दर्ज हुए थे। 2022 में ये आंकड़ा 81 तक पहुंच गया। प्राणघातक हमले के मामले भी बढे हुए दिख रहे हैं।

पुलिस का तर्क :

प्राणघातक हमले के मामले में कई पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच विवाद के दौरान हुए। इस तरह के मामलों में आरोपियों को रेकार्ड समय में गिरफ्तार भी कर लिया गया।

अपहरण :

जनवरी से नवंबर तक का आंकड़ा 2021 में 601 रहा जबकि 2022 में ये आंकड़ा 626 हो गया। अपहरण के मामले भी बढ़ गए हैं।

पुलिस का तर्क :

अपहरण के मामलों में कई नाबालिगों को कुछ ही घंटो में तलाशा गया तो कुछ नाबालिगों को दूसरे राज्यों से भी इंदौर लाया गया। आंकड़ों के मुकाबले आरोपी ज्यादा पकड़े गए हैं।

रेप :

महिलाओं के प्रति रेप का मामला सबसे गंभीर माना जाता है। जनवरी से नवंबर 2021 में बलात्कार के मामले 272 दर्ज हुए। इसी अवधि में रेप के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई और 2022 में रेप के दर्ज प्रकरणों की संख्या 320 हो गई।

पुलिस का तर्क :

लिव इन में रहने एवं शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वालों के खिलाफ रेप के केस दर्ज करने के मामले पिछले साल से ज्यादा रहे है। लिव इन में रहने वाले साथी ने जब शादी से इनकार किया तो पीड़िताओं ने पुलिस की शरण ली और उनकी शिकायत बाद आरोपी के खिलाफ रेप के केस दर्ज किए गए। इसलिए ये आंकड़ा ज्यादा दिखाई दे रहा है।

चोरी :

साधारण चोरी के मामलों में भी 2022 में वृद्धि दिखाई दे रही है। 2021 में चोरी का आंकडा 594 था जो 2022 में 610 तक पहुंच गया।

पुलिस का तर्क :

कई चोरी के मामलों का खुलासा चंद घंटों में ही कर दिया। कई चोरी की वारदातों का खुलासा करने में पुलिस को सफलता मिली। पुलिस चोरी रोकने के प्रयास के साथ ही वारदात होने के बाद तत्काल आरोपियों को गिरफ्तार करने में भी सक्रिय रही।

डकैती की तैयारी :

2021 में डकैती की तैयारी के 35 केस दर्ज हुए जबकि 2022 में ये आंकड़ा 54 तक पहुंच गया।

पुलिस का तर्क :

डकैती के पहले ही आरोपियों को पकडऩे वाले मामलों में पुलिस को मुखबिर तंत्र से ज्यादा सफलता मिली। इसलिए डकैती की तैयारी के मामले का आंकड़ा बढा हुआ रहा।

कमिश्नर सिस्टम-इन अपराधों पर लगा अंकुश :

कमिश्नर सिस्टम में कई अपराधों में कमी भी आई है। पुलिस इसे आपरेशन क्राइम कंट्रोल और सक्रियता का दावा करती है।

लूट :

जनवरी से नवंबर के बीच 2021 में लूट के 48 मामले दर्ज किए गए। 2022 में ये आंकड़ा कम हुआ और इस अवधि में 29 लूट के मामले दर्ज हुए।

पुलिस का तर्क :

लुटेरों की तलाश में सक्रिय क्राइम ब्रांच और पुलिस ने कई अपराधियों को वारदात के पहले ही धर दबौचा यही वजह रही कि लूट के मामले कम दर्ज हुए।

चेन स्नेचिंग :

2021 में चेन स्नेचिंग के मामले 30 थे 2022 में ये आंकड़ा मामूली सुधरा और 27 तक पहुंचा।

पुलिस का तर्क :

कई पुराने चेन स्नेचरों पर जिलाबदर या रासुका की कार्रवाई की गई। उनके जिले से बाहर या सलाखों के पीछे रहने के कारण चेन स्नेचिंग की वारदातों पर अंकुश लगा है। इन आंकड़ों को निरंतर कम करने के प्रयास में पुलिस टीम जुटी है।

वाहन चोरी :

2021 में जनवरी से नवंबर के बीच वाहन चोरी के 3056 मामले सामने आए। 2022 में इन आंकड़ों में कमी आई और इसी अवधि में वाहन चोरी की 2769 वारदातें दर्ज हुईं।

पुलिस का तर्क :

कई कुख्यात वाहन चोरों को पकडऩे के बाद उन पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई। दूसरे स्थानों से आने वाले वाहन चोरों की पहचान कर उन्हें पकड़ा गया। वाहन चोरी करने वाले कई गैंग से लाखों रुपए के वाहन बरामद किए गए।

बलवा :

2021 में बलवा के 31 केस दर्ज हुए थे जबकि 2022 में जनवरी से नवंबर तक 17 केस ही दर्ज हुए।

पुलिस का तर्क :

बलवे की कई वारदातों को तत्काल टाल दिया। पुलिस के समय पर पहुंचने के कारण कई स्थानों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए बड़ी वारदातों को रोक दिया। पुलिस की सक्रियता से ये संभव हो सका।

कुख्यात हथियारों के सौदागरों को दबौचा :

क्राइम कंट्रोल के लिए ये बेहद जरुरी है कि गुंडे बदमाशों के हाथों में अवैध हथियार नहीं पहुंच पाएं। गंभीर अपराधों में ज्यादातर अवैध हथियारों का ही उपयोग होता है। कमिश्नर सिस्टम के बाद क्राइम ब्रांच ने अवैध हथियारों की तस्करी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान शुुरु किया और इसमें 2021 की तुलना में 2022 में काफी सफलता मिली। एसीपी क्राइम गुरु प्रसाद पाराशर कहते हैं कि अवैध हथियारों की तस्करी रोकने के लिए विशेष इनफारमर्स सक्रिय किए गए। ज्यादातर अवैध हथियार सिकलीगरों के बनाए ही होते हैं। इसलिए जड़ पर प्रहार किया गया। 2021 में करीब 150 हथियार बरामद किए गए थे। 2022 में 200 से ज्यादा अवैध हथियार बरामद किए जा चुके हैं। कई मामलों में कुख्यात सिकलीगर, गुंडे एवं हथियारों के सौदागरों को भी पकड़ा गया। इसमें प्रमुख रुप से दिलावरसिंह (एक दर्जन केस) अश्विन मराठा, सिकलीगर प्रकाश पिता प्यारसिंह, गोविंद उर्फ लाला भाट, बिहार के पीयूष पिता विजयसिंह, राजेंद्र उर्फ राजू भाटिया, बड़वानी का तेजपाल भाटिया, जसपाल डांगी, अकालसिंह, प्रेमसिंह, कृष्णकांत, सिकलीगर राजेश पटवा, सिकलीगर जलसिंह जैसे नाम शामिल है। कई सिकलीगर को 50 हजार हथियार और हजारों कारतूस भी बेच चुके हैं। सिकलीगरों पर शिकंजा कसने के कारण अब शहर में अवैध हथियार की तस्करी कुछ कम हुई है।

ड्रग्स माफियाओं पर गाज के साथ सुधरी कानून व्यवस्था : कमिश्नर

इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र बताते हैं कि सीमित संसाधनों के बाद भी पुलिस टीम ने गुड वर्क किया है। शहर में ड्रग्स माफियाओं पर शिकंजा कसने में काफी हद तक कामयाबी मिली है। आपरेशन प्रहार के तहत सैकड़ों ड्रग तस्करों को सलाखों के पीछे कर दिया गया है। विशेष अभियान के तहत क्राइम ब्रांच और पुलिस टीम ने मिलकर ड्रग्स माफियाओं पर शिकंजा कसा तो कई ड्रग्स तस्कर यहां से पलायन भी कर चुके हैं। क्राइम कंट्रोल में भी गंभीर अपराधों के होने के बाद तत्काल कर कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। कई अनसुलझी गुत्थी भी हाईटेक तरीके से सुलझा ली गई। महिला एवं बच्चों के अपराधों पर लगाम लगाने के लिए जनजागृति अभियान चलाया जा रहा है। स्कूल,कालेज एवं समाजसेवियों के बीच कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं,इसके अच्छे परिणाम भी सामने आने लगे हैं। अपराधों के प्रति बालिकाएं और महिलाएं तत्काल पुलिस की सहायता लेती हैं और उन्हें पुलिस की ओर से अच्छा रिस्पांस मिलता है। करीब एक साल से कमिश्नर सिस्टम लागू हुआ है और यदि कुल मिलाकर देखा जाए तो पुलिस अपराधों को रोकने में अच्छे प्रयास कर रही है।

सायबर फ्राड और महिलाओं को परेशानी से बचाने में कामयाब : एडिशनल कमिश्नर

एडिशनल कमिश्नर, क्राइम, राजेश हिंगणकर के मुताबिक सायबर फ्राड पर अंकुश लगाने के लिए क्राइम ब्रांच की सायबर सेल से पीड़ितों को बहुत राहत मिल रही है। कई मामलों में सायबर फ्राड होने के बाद उन्हें पैसा वापस करवाया जा रहा है। लाखों रुपए पीड़ितों को वापस दिलवाए जा चुके हैं। महिलाओं की मदद के लिए वीकेयरफार यू की टीम को भी अच्छी सफलता मिल रही है। मोबाइल पर अश्लील मैसेज भेजने या अश्लील काल्स करने की शिकायत बाद तत्काल महिलाओं को राहत मिलती है। इससे कई कामकाजी युवतियां राहत महसूस करती हैं। उनके मोबाइल नंबर कई लोगों के पास पहुंच जाते हैं। उसके बाद मनचले इन नंबरों को हासिल कर उन्हें प्रताड़ित करते हैं, इस तरह की हर शिकायत पर तत्काल कार्रवाई होती है और आरोपी को पकड़कर उसके खिलाफ केस दर्ज कार्रवाई की जाती है।

कमिश्नर सिस्टम के पहले और कमिश्नर सिस्टम के बाद :

आंकड़े
आंकड़ेRaj Express

नोट : आंकड़े 1 जनवरी से 15 नवंबर तक के हैं।

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