राखी पर भी पड़ा महंगाई का असर
राखी पर भी पड़ा महंगाई का असरसांकेतिक चित्र

Indore : राखी पर भी पड़ा महंगाई का असर

इंदौर, मध्यप्रदेश : एक ओर कच्चा माल महंगा होने से राखियों की कीमतें बढ़ गई है तो दूसरी ओर इस बार थोक ग्राहकी काफी कम रही, जिससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इंदौर, मध्यप्रदेश। इस बार भाई-बहन के पवित्र त्यौहार राखी पर भी महंगाई का असर दिखाई देने जा रहा है। जहां एक ओर कच्चा माल महंगा होने से राखियों की कीमतें बढ़ गई है तो दूसरी ओर इस बार थोक ग्राहकी काफी कम रही, जिससे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस साल रक्षाबंधन का त्यौहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए राखी बनाने का काम लगभग तीन माह पहले ही शुरू हो जाता है, और दो माह पहले ही थोक ग्राहकी भी शुरू हो जाती है। इस बार राखियां बनकर तो होलसेल मार्केट में पहुंच गई, लेकिन होलसेल मार्केट से जिस तरह उठना चाहिए वैसे नहीं उठ रही है।

कॉटन का धागा और मोतियों की कीमत में आया उछाल :

राखी बनाने का कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि इस बार कॉटन का धागा और मोतियों की कीमतों में उछाल आ गया है। इस बार कॉटन का धागा, मोती व राखी बनाने में उपयोग होने वाली अन्य सामग्री भी महंगी हो गई, जिससे एक राखियों की कीमतों में उछाल आया है, जिसके कारण थोक ग्राहकी का भी असर दिखाई दे रहा है। कई कंपनियों ने तो राखियों की कीमत दोगुनी कर दी है। एक अनुमान के हिसाब से जो राखी पिछले साल 10 रुपए की बिकी थी वही राखी इस बार बाजार में 15 से 20 रुपए तक की रेट में बिक रही है।

इस बार माल ज्यादा, डिमांड कम :

प्रदेश के सबसे बड़े होलसेल मार्केट रानीपुरा में होलसेल का व्यवसाय करने वाले देवानंद बालचंदानी ने बताया कि इस बार दुकानों पर माल ज्यादा और डिमांड कम है। पिछले साल कोरोना के पीक में भी ग्राहकी काफी अच्छी थी, लेकिन इस बार कोरोना का इतना डर नहीं है, फिर भी थोक बाजार में ग्राहकी नहीं दिखाई दे रही है। इसका मुख्य कारण महंगाई है। लोगों के पास इस समय ज्यादा पूंजी नहीं है, जो है वे उसी में दुकानदारी करना चाहते है, उधारी भी लोग ज्यादा नहीं कर रहे है। इस बार सिर्फ गत वर्षों के मुकाबले 50 प्रतिशत भी ग्राहकी नहीं है।

गुजरात, दिल्ली, मुंबई से आता है ज्यादातर माल :

राखियों का निर्माण ज्यादातर गुजरात, दिल्ली, मुंबई में होता है और यहीं से इंदौर में भी माल आता है। लेकिन अब गांव-गांव में राखियों का निर्माण होने से भी ग्राहकी का असर पड़ रहा है। इंदौर के आस-पास के जिलों से ग्राहक थोक में राखियां खरीदने आते थे, यह सिलसिला दो माह पहले ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार काफी कम संख्या में लोग राखियां लेने पहुंच रहे है, जो आ भी रहे है वे महंगाई के कारण आधी कीमत की ही राखियां ले जा रहे है। हालांकि अभी राखी के त्यौहार में 14 दिन है, तब तक खेरची बाजार में अच्छी ग्राहकी की उम्मीद की जा रही है।

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