राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के इंदौर में पटवारी संघ ने मंत्रियों द्वारा दिए गए विवादित बयान के बाद मंत्रियों से इस संबंध में माफी की मांग की थी जिस पर कोई जवाब ना आने पर अनिश्चित समय के लिए हड़ताल पर रहने का फैसला किया है।
मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था भ्रष्टः
इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पटवारियों को लेकर एक बयान दिया था।
जिसमें जीतू पटवारी ने विधानसभा क्षेत्र के रंगवासा में पटवारियों को लेकर कहा था कि पटवारी सौ फीसदी रिश्वत लेते है और बिना पैसे लिए पटवारी कोई काम नहीं करते हैं और किसानों से कहा कि आप गलत कर रहे हैं जो पैसा दे रहे हो। इस गलत काम के लिए आपको जनप्रतिनिधियों से बात करने की आवश्यकता है। अपने बयान पर सफाई देते हुए आगे कहा कि यह बात प्रदेश भर के पटवारियों के लिए नहीं था।
इसी बयान पर अपनी सहमति जताते हुए इंदौर में 2 अक्टूबर के कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पटवारी को भ्रष्ट बताकर कोई भी काम बिना रिश्वत के नहीं करते और नांमाकन और बंटवारे के काम में 1-1 लाख रु की रिश्वत लेने की बात कहीं थी, जिससे पटवारी संघ मे गुस्सा भड़क गया था।
मामले पर की थी पटवारी संघ ने माफी की मांगः
इस मामले पर अपना रोष जताते हुए पटवारी संघ के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह बघेल और महामंत्री धर्मेंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम पर संबंधित कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपकर संबंधित मंत्रियों से माफी मांगने की मांग की थी। जिस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई ना होने पर पटवारी संघ ने यह फैसला लिया।
सरकार की बढ़ेगी मुश्किलें, कैसे होगे सरकारी कामः
पटवारी संघ के अनिश्चित समय के लिए हड़ताल पर जाने से सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी और पटवारी के संबंधित कार्य नक्शा, बंटान, खसरा, खतौनी, नामांतरण, जाति प्रमाण-पत्र और बीपीएल राशन कार्ड की जांच पर खासा प्रभाव पड़ेगा।
दिग्गी राजा ने फिर बोला पटवारियों पर हमलाः
इस मामले पर और तूल देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर पटवारियों पर हमला बोल दिया है। जिसमें उन्होंने कहा कि- "यदि बिना पैसा मांगे काम कर दो तो किसी को तुम से क्या शिकायत होगी।"
बता दे कि मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी द्वारा पटवारियों पर लगाए गए आरोपों से नाराज होकर प्रदेश भर के पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।
इस हड़ताल को समाप्त करवाने के लिए राज्य सरकार अब तक प्रयास कर रही है लेकिन यह प्रयास भी नाकाम साबित हो रहा है।
अब देखना होगा कि सरकार इस मामले पर क्या कार्रवाई करती है?
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