गृहणियों को रसोई की चिंता सताई, डायन बनी भीषण महंगाई
गृहणियों को रसोई की चिंता सताई, डायन बनी भीषण महंगाईRaj Express

गृहणियों को रसोई की चिंता सताई, डायन बनी भीषण महंगाई

भोपाल, मध्यप्रदेश : गिलकी, भिंडी, धनिया, पालक, करेला सहित अन्य सब्जी के रेट एक माह में दो गुने। चिकित्सा विज्ञान ने कहा हरी सब्जी जरूरी, विक्रेता बोले महंगे दामों में बेचना मजबूरी।

भोपाल, मध्यप्रदेश। जो हरी सब्जियां रसोई की शोभा के साथ मानव शरीर का पोषण करती है। उन्हें थाली में परोसना अब मुश्किल होता जा रहा है। सब्जी के दामों में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है तो इन कीमतों ने जनमानस को भी झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में स्वाद और सेहत से जुड़ा यह मामला हर घर में पूरा करना असंभव बन रहा है।

पिछले एक महीने से अभी तक का अंतराल देखें तो सब्जियों के मूल्य दोगुने हो चुके हैं। खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों में तो मौजूदा समय में हरी सब्जी थाली से दूर होती जा रही है। अकेले जिन मंडियों से थोक में सब्जियां शहर के लिए सप्लाई होती हैं। वहां टमाटर भिंडी और पालक जैसी सब्जी के रेट 60 से लेकर 80 रुपए किलो हो गए हैं। जबकि महीने भर पहले यही सब्जियां 30 से लेकर 40 रूपये किलो में खरीदी जा रही थी। महीना भर पहले जो करेला और गिलकी 30 रुपए किलो मिलते थे। आज बाजार में उनकी कीमत दोगुनी हो गई है। सब्जी में स्वाद का जायका बढ़ाने के लिए धनिया 200 रूपए किलो पहुंच गई तो मिर्ची 60 रुपए किलो में खरीदने की मजबूरी बन गई है। बढ़ती महंगाई यह बता रही है कि आने वाले दिनों में जीवनपयोगी वस्तुओं पर सिर्फ धन्ना सेठों का ही अधिकार रहेगा। इस प्रकार लगातार बढ़ते दामों के बीच गरीब और मध्यवर्गीय परिवार सब्जियां खा सकें। इनके लिए यह सपना सा बनता दिख रहा है। इधर मंत्रालय के वित्त विभाग में आर्थिक मामलों के जानकर अधिकारी कहते हैं कि महंगाई को रोकना अभी आसान नहीं है। आगे भी जीवनपयोग की वस्तुओं के दामों में वृद्धि होती रहेगी।

मंडी से खुदरा मार्केट में आते ही बढ़ते 10 से 15 रुपए :

जो सब्जी थोक में मंडी से खरीदी जाती है। फुटकर में बेचने पर उसके रेट प्रतिकिलो 10 से लेकर 15 बढ़ रहे हैं। राजधानी में स्थाई दुकानों से लेकर गली मोहल्लों में हाथ ठेला पर सब्जी बेचने वाले विक्रेताओं का कहना है कि मंडी खरीद से ऊपर बढ़े हुए दामों में सब्जी बेचना उनकी मजबूरी है। कारण है कि मंडी से अपने घर या दुकान तक सब्जी लाने में किराया भाड़ा भी लग रहा है। उसे निकालना मजबूरी है। इसके अलावा जब दिन भर सब्जी बेचने में मेहनत करेंगे तो परिवार की आजीविका के लिए भी रोटी जुटाना मुश्किल है। नतीजतन मंडी की तुलना में ज्यादा भाव से सब्जी बेचना उनके लिए जरूरी है।

इम्युनिटी बढ़ाने में हरी सब्जी जरूरी : डॉ. साहू

हरी सब्जी को चिकित्सा विज्ञान ने शरीर के पोषण में बेहद आवश्यक माना है। एमडी मेडीसिन होम्योपैथिक डा. एमके साहू कहते हैं कि हरी सब्जियों में आयरन की कमी दूर होती है। सारे विटामिन भी सब्ज्यिों में होते हैं। शरीर में कैल्शियम की पूर्ति हरी सब्जियां करती हैं। इस समय कोविड के कारण वायरल डिजीज चल रही है। तब और अधिक हरी सब्जियां जरूरी हो जाती हैं। इससे इम्युनिटी पावर बढ़ता है।

कोरोना के बाद लगातार महंगाई : रीता

गृहणी रीता कौशल का कहना है कि कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद लगातार सब्जी सहित अन्य रसोई के दामों में वृद्धि दो रही है। सब्जी खरीदने में दस बार सोचना पड़ रहा है। हाट बाजार में पांच सौ रूपये कब खर्च हो जाते हैंं। यह पता ही नहीं चलता है।

आर्थिक बजट प्रभावित हो रहा : अनीता

गृहणी अनीता रघुवंशी कहती हैं कि सब्जी के दामों में लगातार वृद्धि होने के कारण परिवार का आर्थिक बजट प्रभावित हो रहा है। भरा-पूरा परिवार होने के कारण और अधिक दिक्कतें हैं। एक ओर महंगाई बढ़ रही तो दूसरी ओर सेहत के हिसाब से रेशेदार भोजन जरूरी है।

महंगाई का शारीरिक पोषण पर असर : नीतू

गृहणी नीतू भार्गव कहती हैं कि लगातार बढ़ रही महंगाई का शारीरिक पोषण पर असर पड़ रहा है। घर में बच्चों के लिए एक न एक सब्जी बनाना जरूरी है। टमाटर से लेकर पालक, करेला, कद्दू और भिंडी जैसी सब्जियां खरीदने के लिए पैसे का बजट मिलाना पड़ता है।

विक्रेताओं के अनुसार सब्जी के दामों की स्थिति :

विक्रेताओं के अनुसार सब्जी के दामों की स्थिति
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