उमरिया : फर्जी मृत्यु की शिकायत की जांच फाईलों में हुई कैद 

उमरिया, मध्य प्रदेश : कोतमा में लाखों का भू-खण्ड व भवन बेचने पर आमादा नटवरलाल, मौत के ढ़ाई साल बाद फिर जिंदा हुए महेश का मामला।
फर्जी मृत्यु की शिकायत की जांच फाईलों में हुई कैद 
फर्जी मृत्यु की शिकायत की जांच फाईलों में हुई कैद Afsar Khan

उमरिया, मध्य प्रदेश। कीमती भूमि को हड़पने के लिए सगे भाई ने जीवित भाई का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया, नपा के कुछ अधिकारी-कर्मचारी सब कुछ जानते व समझते हुए हरीश से हाथ मिला लिया। वर्ष 2014 में महेश की मौत का प्रमाण पत्र स्थानीय निकाय द्वारा जारी किया जाता है, निकाय ने यह प्रमाण पत्र किस आधार पर जारी किया, जमीनी स्तर पर मौत की पुष्टि किसने की, यह तो जांच का विषय है, मजे की बात यह है कि तीन सालों बाद महेश फिर जिंदा होकर सामने आ गया।

कहां था मरने के दौरान महेश :

25 अक्टूबर 2016 को तहसीलदार न्यायालय बांधवगढ़ के समक्ष हरीश ने फौती में नाम जुड़वाने का आवेदन किया, जिसमें कमला दासवानी बेवा नारायण दास दासवानी एवं महेश दासवानी निवासी सिंधी कालोनी वार्ड नंबर 5 तहसील बांधवगढ़ का लिखित बयान भी लिया गया, जिसमें दोनों लोगों के हस्ताक्षर एवं तहसीलदार बांधवगढ़ एवं हल्का पटवारी बृजलाल विश्वकर्मा के हस्ताक्षर बने हुए हैं, जबकि महेश दासवानी के वर्ष 2014 से 2016 तक कहां थे, इस बात का कोई भी साबूत या प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया गया है।

बिना जांच विलोपित हुआ नाम :

कलेक्टर उमरिया को शिकायत देते हुए जांच की मांग की गई है, शिकायत में यह उल्लेख किया गया है कि 7 जून 2014 को स्थानीय निकाय से महेश की मौत का प्रमाण पत्र जारी हुआ और उसी दिन भू-अभिलेखों में महेश-हरीश और उसकी मां के नाम पर दर्ज साझा नामों में से महेश का नाम विलोपित करने का आवेदन दिया गया, बिना जांच के नाम विलोपित हो गया और फिर तीन वर्ष बाद 25 अक्टूबर 2016 को पुन: हरीश और उसकी मां ने तहसील कार्यालय में आवेदन देकर महेश का नाम राजस्व अभिलेखों में जोडऩे का आग्रह किया, जिसके बाद यह नाम जोड़ भी दिया गया।

महेश को मारने की क्या थी मंशा :

हरीश और महेश दोनों नटवरलालों के साथ ही पूरा राजस्व व स्थानीय निकाय का अमला भी कटघरे में खड़ा नजर आ रहा,  महेश के भाई हर्ष उर्फ हरीश ने 7 जून 2014 को हुई महेश पिता नारायण दास दासवानी की मौत के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र बनाये जाने हेतु 20 जून 2016 को नगर पालिका में आवेदन दिया था, जिसके बाद स्थानीय निकाय द्वारा महेश का मृत्यु प्रमाण पत्र जिसका अनुक्रमांक नगर पालिका के दस्तावेजों में 86 दर्ज है, हर्ष को जारी किया गया, लेकिन 25 नवम्बर 2016 को कमला दासवानी व महेश दासवानी ने ग्राम छटनकैंप पटवारी हलका नंबर 48 नामांकन पंजीयन क्रमांक 29 के भू-खण्ड में पूर्व में कटवाया गया, महेश का नाम जोडऩे के लिए आवेदन किया, लेकिन आवेदन में पूर्व में जमा किये गये मृत्यु प्रमाण पत्र व खुद से विलोपित कराई गई, नाम की प्रक्रिया को छुपा लिया। सवाल यह उठता है कि इन तीन वर्षाे के दौरान महेश को मुर्दा घोषित करने के पीछे हरीश उर्फ हर्ष की क्या मंशा थी।

ठण्डे बस्ते में मामला :

लगभग 20 दिन पहले 7 जुलाई को चार पृष्ठो की शिकायत तथा उसके साथ संलग्न 7 दस्तावेजी प्रमाणों की शिकायत कलेक्टर उमरिया को हुई, उस दौरान अधिकारियों ने इस मामले में जल्द ही निष्कर्ष पर पहुंचने और कार्यवाही की बातें कहीं थी, शिकायत के साथ संलग्न दस्तावेज स्वत: इस बात का प्रमाण थे कि मामले में उन दस्तावेजों के अवलोकन और उनके सत्यापन की पुष्टि के अलावा अन्यत्र जांच की आवश्यकता ही नही थी, लेकिन 3 साल तक महेश को मुर्दा बनाने के पीछे दोनों भाईयों की क्या मंशा थी, इस मामले में पहले और अब के कर्मचारी व अधिकारी क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं, यह स्पष्ट जांच के बाद ही सामने आ सकता है।

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