Jabalpur: इस बार इस दिन चूके तो अगले साल तक करना होगा इतने शानदार अनुभवों का इंतजार!

यह वह अहसास है जिसे एक बार फिर महसूस करने का इंतजार इसकी अनुभूति कर चुके लोगों को हर साल बेसब्री से रहता है। हो भी क्यों न; दरअसल मामला मन-मस्तिष्क को शीतल कर देने वाले सुकून का जो है।
जबलपुर के इस खास नजारे को देखने जुटते हैं देश-विदेश के लोग।
जबलपुर के इस खास नजारे को देखने जुटते हैं देश-विदेश के लोग।Neelesh Singh Thakur – RE

हाइलाइट्स –

  • भेड़ाघाठ-धुआंधार में बिखरेगी रोशनी

  • संगमरमरी नजारे देखने जुटेंगे पर्यटक

  • स्पेशल खीर के 10 जायके तैयार : MPT

  • लेकिन इस बार नर्मदा महोत्सव नहीं होगा!

  • Sharad Purnima पर ये जगहें होंगी खास

राज एक्सप्रेस (Raj Express)। अरे वाह, क्या अद्भुत नजारा है, इट्स अमेजिंग! प्लीज मेरी भी एक फोटो क्लिक करना जरा। जबलपुर में साल के एक विशेष दिन खास तारीफों के यह शब्द सुनने मिल जाते हैं।

यह वह अहसास है जिसे एक बार फिर महसूस करने का इंतजार इसकी अनुभूति कर चुके लोगों को हर साल बेसब्री से रहता है। हो भी क्यों न; दरअसल मामला दिल-दिमाग को शीतल करने वाले सुकून का जो है।

भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के मध्य प्रवाहित पुण्य सलिल नर्मदा।
भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के मध्य प्रवाहित पुण्य सलिल नर्मदा।Social Media

शीतल-निर्मल शरद पूर्णिमा -

हम जिस अहसास की बात कर रहे हैं वह प्रतिवर्ष आने वाली शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) से जुड़ा है। इस दिन जबलपुर में नर्मदा नदी के घाटों पर आस्था का संगम होता है। भेड़ाघाट और धुआंधार में तो प्रकृति की मोहक छटा को निहारने लोगों का देर रात तक तांता लगा रहता है।

शरद पूर्णिमा की रोशनी में धुआंधार अद्भुत नजर आता है।
शरद पूर्णिमा की रोशनी में धुआंधार अद्भुत नजर आता है।Social Media

चांदनी रात का जादू -

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात्रि चंद्रमा की रोशनी से नहाकर जबलपुर के भेड़ाघाट और धुआंधार का सौंदर्य और निखरकर दिखता है। चांद की सफेद रोशनी में नहाई संगमरमर की चट्टानें किसी को भी मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी हैं।

इस बार इस दिन -

काल गणना के अनुसार इस वर्ष शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) 19 अक्टूबर 2021 मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। हिंदू पंचाग की गणना के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है।

इस साल शरद पूर्णिमा पर्व 19 अक्टूबर 2021 मंगलवार को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

शरद पूर्णिमा के लिए गूगल भी यही तारीख बता रहा है। हालांकि इसमें एक टीप यह भी जोड़ी गई है कि निर्दिष्ट खोज के उत्तर में बताई जा रही जानकारी में तिथि भिन्न भी हो सकती है।

इन जगहों पर जाना न भूलें –

यदि आप जबलपुर में शरद पूर्णिमा पर अपने अनुभव को कभी न भूलने वाली याद बनाना चाहते हैं तो आपको कुछ खास जगहों पर जाना नहीं भूलना चाहिए। भेड़ाघाट-धुआंधार के मध्य स्थित चौसठ योगिनी मंदिर आपको इतिहास और प्रकृति से साक्षात्कार कराने वाली एक और खास जगह हो सकती है।

मंदिर परिसर में मौजूद योगनियों की मूर्तियों का अपना इतिहास है। ऐसा वर्णन है कि शत्रुओँ ने इन मूर्तियों को नष्ट किया था। इन मूर्तियों की नक्काशी और उनका इतिहास में महत्व कई मायनों में अति महत्वपूर्ण है।

भेड़ाघाट-धुआंधार के मध्य स्थित चौंसठ योगिनि मंदिर। जबलपुर
भेड़ाघाट-धुआंधार के मध्य स्थित चौंसठ योगिनि मंदिर। जबलपुरSocial Media

ओशो कम्यून –

महान दार्शनिक, विचारक ओशो से जुड़े केंद्रों पर अनुयायी शरद पूर्णिमा पर रस विभोर रहेंगे। भंवरताल स्थित ओशो संबोधि वृक्ष मौलश्री के तले ओशो के स्मरण की परंपरा रही है। इसी तरह देवताल गढ़ा स्थित ओशो अमृतधाम में ओशो अनुयायी संगीत रस वर्षा में झूमते दिखेंगे।

देवताल गढ़ा स्थित ओशो अमृतधाम एवं पुस्तकालय।
देवताल गढ़ा स्थित ओशो अमृतधाम एवं पुस्तकालय।Social Media

आपको बता दें विश्वविख्यात ओशो ने अपने जीवन के 59 वर्षों में से सबसे अधिक 19 साल संस्कारधानी जबलपुर में व्यतीत किए। उस समय वे आचार्य रजनीश के नाम से जाने जाते थे।

हैं तैयार हम –

मामला पर्यटन और पर्यटकों का हो तो मध्य प्रदेश टूरिज्म (एमपीटी/MPT) आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ता। इस बार भी शरद पूर्णिमा पर एमपीटी ने खास तैयारी कर रखी है। भेड़ाघाट स्थित केंद्र पहुंचने वाले यदि चाहें तो उनको स्पेशल खीर का स्वाद चखने मिल सकता है।

वैसे हर साल सितंबर से शरद पूर्णिमा कार्यक्रम रूपरेखा की तैयारी शुरू हो जाती है। फिलहाल कार्यक्रम के बारे में अनिर्णय की स्थिति है लेकिन हम तैयार हैं। निर्देशानुसार विभागीय सहभागिता की जाती है। डीटीपीसी इस बारे में ज्यादा विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकता है।

एयू खान, आरएम, एमपीटी, जबलपुर, मध्य प्रदेश

खीर की वैरायटी 10 रहती हैं। शरद पूर्णिमा पर एमपीटी भेड़ाघाट में कुटकी की खीर खास तौर पर सर्व की जाती है। मखाने की खीर, ड्राय फ्रूट्स, सेवइंया की खीर के साथ सीताफल की खीर स्पेशल है। हर साल होने वाले इवेंट में एमपीटी भी स्पेशल खीर का स्टॉल लगाता है। इसकी कीमत 25-60 रुपये होती है।

अमित सिंह, मैनेजर, एमपी टूरिज्म, भेड़ाघाट, जबलपुर, (मप्र.)

इस साल भी सरकारी आयोजन नहीं –

भेड़ाघाट में यह दूसरी बार होगा जब कोरोना प्रोटोकॉल के कारण शरद पूर्णिमा पर स्वर लहरियां नहीं गूंजेंगी। दरअसल डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल (District Tourism Promotion Council/डीटीपीसी/DTPC) के मार्गदर्शन में शरद पूर्णिमा पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

जबलपुर टूरिज्म प्रमोशन काउंसिल (Jabalpur Tourism Promotion Council जेटीपीसी/JTPC) यानी जबलपुर पर्यटन संवर्धन परिषद ने पिछले साल की तरह इस साल भी कार्यक्रम आयोजित न करने का निर्णय लिया है।

मतलब यह लगातार दूसरा साल होगा जब कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के मद्देनजर जेटीपीसी (JTPC) सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं करेगा।

इस साल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। हर साल 10 से 15 हजार लोग आते हैं। नर्मदा महोत्सव में बैठने का इंतजाम करना होता है। ऐसे में विभागीय रिस्क नहीं लेना चाहते क्योंकि बैठक आयोजन में असुविधा होगी।

हेमंत सिंह, सीईओ, जेटीपीसी, जबलपुर, मप्र.

इन कार्यक्रमों पर असर –

जबलपुर में शरद पूर्णिमा पर आयोजित होने वाले नर्मदा महोत्सव कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों के कलाकार भी शामिल होते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुंबई से भी कलाकार आते हैं।

सीईओ सिंह ने बताया कि; संगीत नाटक एकेडमी दिल्ली, संस्कृति विभाग भोपाल भी इस कार्यक्रम में सहभागिता करते हैं। मध्य प्रदेश टूरिज्म विभाग जबलपुर का भी इसमें योगदान रहता है।

कोरोना लॉकडाउन प्रोटोकाल के कारण पिछले साल भी नर्मदा महोत्सव आयोजित नहीं हुआ था। जैसी विभागीय जानकारी दी गई है उसके अनुसार पिछले साल की तरह इस साल भी विभागीय तौर पर मात्र नर्मदा पूजन किया जाएगा।

भले ही शासकीय कार्यक्रमों का आयोजन न हो लेकिन भेड़ाघाट और धुआंधार में शरद पूर्णिमा की रात्रि लोग प्रकृति की सुंदरता निहार सकेंगे।

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