पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोकRaj Express

Jabalpur : पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक

जबलपुर, मध्यप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के पंचायत चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने पर रोक लगा दी है।

जबलपुर, मध्यप्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के पंचायत चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने पर रोक लगा दी है। जस्टिस ए.एम. खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य वर्ग के लिए अधिसूचित करने के निर्देश दिए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अधिनियम 2021 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई थी। कांग्रेस नेता सैयद जाफर, जया ठाकुर एवं अन्य ने अपनी याचिका में कहा गया था कि अध्यादेश पंचायत चुनाव अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है। यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है तथा रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। याचिका में अध्यादेश को रद्द किए जाने की मांग की गई थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 7 दिसंबर को आदेश में अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और विजय कुमार शुक्ला ने 9 दिसंबर को अंतरिम राहत देने से इनकार किया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब सहयोगी बेंच ने अंतरिम राहत नहीं देते हुए नोटिस जारी किए हैं तो नया आदेश देना न्यायिक अनुशासन के विपरीत होगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को को अंतरिम राहत के लिए आवेदन में संशोधन करने की अनुमति दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार फैसले हवाला देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत सीटों को आरक्षित रखा गया है। यह आरक्षण महाराष्ट्र के संबंध में हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। हम राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश देते हैं कि वह सभी स्थानीय निकायों में ओबीसी सीटों के लिए आरक्षित चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाए। उन सीटों को सामान्य वर्ग के लिए दोबारा नोटिफिकेशन जारी करें। सर्वोच्च न्यायालय अपने आदेश में कहा है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 21 नवंबर 2021 को जारी अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर 3 जनवरी को सुनवाई तय की है। हाईकोर्ट का अंतिम फैसला आने के बाद ही चुनावों के नतीजे तय होंगे। महाराष्ट्र में भी चुनाव होने दिए गये थे, बाद में चुनावों को रद्द कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में संशोधन करते की अनुमति याचिकाकर्ताओं को प्रदान की है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य चुनाव आयोग से कहा है कि अगर चुनाव संविधान के अनुसार हो रहे हैं, तो कराइए। हम चाहते हैं कि टैक्सपेयर्स के पैसे का नुकसान न हो। अगर चुनाव कराए तो जनता का पैसा बर्बाद भी हो सकता है, आप उसकी चिंता करें, हालांकि विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

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