मानस में आयोजित न्यायिक अकादमी के कार्यक्रम का राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन

जबलपुर, मध्यप्रदेश : देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज जबलपुर में ऑल इंडिया ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया।
जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम
जबलपुर में आयोजित कार्यक्रमSocial Media

जबलपुर, मध्यप्रदेश। आज यानि शनिवार को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दो दिवसीय प्रवास पर विमान से जबलपुर पहुंचे, जबलपुर पहुंचकर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मानस भवन सभागार में आयोजित न्यायिक अकादमी के कार्यक्रम का उद्घाटन किया है, इस अवसर पर मध्यप्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री शिवराज भी उपस्थित रहे हैं।

इस बीच देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का स्वागत मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक ने गणेश प्रतिमा भेंट कर किया, मिली जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति सुजय पॉल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नटराज की मूर्ति भेंट कर उनका स्वागत किया।

मिली जानकारी के मुताबिक जबलपुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में आयोजित 'All India State Judicial Academies Directors' Retreat' के उद्घाटन सत्र में भाग लिया। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज जबलपुर में ऑल इंडिया ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया।

निचली अदालतें देश की न्यायिक व्यवस्था का आधार

राष्ट्रपति ने कहा-

राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में 18,000 से ज्‍यादा न्‍यायालयों का कंप्‍यूटरीकरण हो चुका है, जनवरी 2021 तक पूरे देश में लगभग छिहत्तर लाख मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट्स में की गई, हमारी लोअर ज्यूडिशरी, देश की न्यायिक व्यवस्था का आधारभूत अंग है। उसमें प्रवेश से पहले, सैद्धांतिक ज्ञान रखने वाले कानून के विद्यार्थी को कुशल एवं उत्कृष्ट न्यायाधीश के रूप में प्रशिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य हमारी न्यायिक अकादमियां कर रही हैं।

कार्यक्रम में सीएम ने कहा-

जबलपुर में आयोजित कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सोच केवल शारीरिक सुख तक सीमित नहीं है, हमारी संस्कृति में शरीर के साथ ही मनुष्य के मन के सुख को भी महत्व दिया गया है। संगीत, कला और साहित्य से मनुष्य को मन का सुख प्राप्त होता है, मानव सभ्यता के उदय के बाद जितनी भी व्यवस्थाएँ बनीं हैं, उन सभी का लक्ष्य है कि मनुष्य कैसे सुखी हो। व्यक्ति आखिर है क्या? पश्चिम की सोच है कि मनुष्य केवल शरीर है। शरीर की आवश्यकता पूरी हो जाए, तो मनुष्य सुखी है।

आगे सीएम शिवराज ने कहा कि भारत की न्यायपालिका विश्व की सर्वश्रेष्ठ न्यायपालिकाओं में से एक है, यह मैं गर्व से कह सकता हूँ। नागरिक प्रशासन या सरकार पर भरोसा न करे, लेकिन उसे विश्वास है कि उसे न्यायालय से अवश्य ही न्याय मिलेगा, तीसरा सुख है बुद्धि का सुख जो शिक्षा से मिलता है। चौथा सुख है आत्मा का सुख और यह मिलता है न्याय से! ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद भारत में यूरोपीय न्याय व्यवस्था का प्रवेश हुआ और आपराधिक व सिविल कानूनों का संहिताकरण हुआ, इसकी व्यापकता और जटिलता बढ़ती गई।

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