परम्परा संरक्षण : भील आदिवासी के प्रणय पर्व 'भगोरिया' की मची धूम

झाबुआ, मध्यप्रदेश : पश्चिमी हिस्से में भील आदिवासियों के प्रणय पर्व के रूप में विख्यात 'भगोरिया' के लिए यह अंचल तैयार हो गया है।
आदिवासियों के प्रणय पर्व‘भगोरिया’की धूम रहेगी अब होली तक
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राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के पश्चिमी हिस्से में भील आदिवासियों के प्रणय पर्व के रूप में विख्यात 'भगोरिया' के लिए यह अंचल तैयार हो गया है और मंगलवार से झाबुआ और अलीराजपुर जिले के विभिन्न हिस्सो में 'भगोरिया हाट’ आयोजित किए जाएंगे।

गुजरात की सीमा से सटे इस आदिवासी अंचल में भगोरिया पर्व मुख्यत:

भील आदिवासी परिवारों द्वारा ही मनाया जाता है, लेकिन इसके आकर्षण के चलते आसपास के जिलों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। भगोरिया पर्व आसपास के जिलों जैसे धार, बड़वानी और खरगोन आदि के आदिवासी अंचलों में भी इसी या अन्य रूप में मनाया जाता है।

प्रशासन ने आवश्यक व्यवस्थाएं बनाए रखने के दिए निर्देश

प्रशासन ने आवश्यक व्यवस्थाएं बनाए रखने के उद्देश्य से 3 से 9 मार्च के बीच झाबुआ और अलीराजपुर जिले की विभिन्न ग्रामीण हाटों को 'भगोरिया हॉट’ का स्वरूप देने के लिए दिन निश्चित कर दिए हैं। दरअसल परंपरागत तरीके से निर्धारित दिनों में आदिवासी हाट बाजार लगते हैं। भगोरिया पर्व के समय इन्हें ही भगोरिया हाट का नाम दे दिया जाता है।

भगोरिया पर्व का वर्षों से अवलोकन करते आ रहे लोगों के अनुसार

विभिन्न गांवों के आदिवासी समुदाय के युवक और युवतियां टोलियों के रूप में हाट बाजारों में आते हैं। अपने-अपने गांव (फलिया) की पहचान के अनुरूप इनकी वेशभूषा भी एक सी ही होती है। कोई भी व्यक्ति वेशभूषा के आधार पर बता सकता है कि, युवक या युवती किस गांव से ताल्लुक रखते हैं।

हाट बाजार में युवक युवतियों की टोलियां विशेष प्रकार के वाद्य यंत्रों जैसे मांदल, ढोल और बांसुरियों की धुनों के बीच आकर्षक लोकगीतों पर नृत्य करते रहते हैं। इस बीच अगर किसी युवक को कोई युवती पसंद आ जाए तो वह ‘प्रणय निवेदन’ के लिए उसके गाल पर गुलाल लगा देता है। यदि युवती गुलाल पोछ लें, तो समझो कि युवती ने उसका निवेदन अस्वीकार कर दिया है और यदि युवती युवक को भी गाल पर गुलाल लगा दे, तो मानों उसका प्रणय निवेदन स्वीकार हो गया।

मान्य परंपराओं के अनुसार इसके बाद युवक युवती एक साथ भाग जाते हैं। फिर दोनों परिवारों के लोग मिलकर उनके विवाह संबंध आदि के बारे में चर्चा करते हैं और इसमें गांवों के प्रमुख लोगों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद संबंध तय होने पर युवक-युवती को वापस घर बुलाया जाता है और फिर उनके विवाह को सामाजिक मान्यता प्रदान कर उत्सव का स्वरूप प्रदान किया जाता है। वहीं युवक का प्रणय निवेदन युवती द्वारा ठुकराए जाने पर वह अन्य युवतियों के साथ ऐसा करने के लिए स्वतंत्र रहता है। अमूमन प्रणय निवेदन युवक ही करता है। हालांकि अनेक स्थानों पर गुलाल की जगह प्रणय निवेदन के लिए पान खिलाने की परंपरा भी है। भगोरिया हाट में यह दृश्य आम रहते हैं।

हालांकि विवाद भी काफी होते हैं और इनकी परिणति हत्या और आगजनी तक पहुंच जाती है। इसके मद्देनजर पुलिस और प्रशासन भी काफी चौकस रहता है। इन हाट बाजारों में आदिवासी वेशभूषा, उनके पारंपरिक हथियार, घरेलू सामान और खाद्य सामग्री का जमकर प्रदर्शन होता है। बच्चे जहां चकरी और झूलों में मस्त रहते हैं, तो बुजुर्गों के लिए मदिरा सेवन, परंपरागत व्यंजनों का स्वाद और नृत्य बड़ा आकर्षण रहता है।

युवाओं की टोलियां तो जैसे पूरी तरह मस्ती में ही डूबी रहती हैं। बदलते समय के बीच अब आदिवासियों के पहनावे में भी बदलाव भी नजर आने लगा है। अनेक युवक जीन्स, टी शर्ट और शर्ट में भी आधुनिक मोबाइल फोन के साथ दिखायी दे जाते हैं। कई बार युवतियां भी पारंपरिक वस्त्रों की बजाए आधुनिक पोशाक में भी दिखायी दे जाती हैं। इन हाट बाजारों में आदिवासी परंपराओं से जुड़े सामान की बिक्री भी जमकर होती है। भील आदिवासियों के प्रमुख हथियार तीर-कमान इन बाजारों में प्रचुरता से उपलब्ध रहते हैं।

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