झाबुआ, मध्यप्रदेश। प्रदेश में महामारी कोरोना के संकट जहां बना हुआ है वहीं संकटकाल के बीच दीपावली का त्यौहार धूमधाम से मनाने के साथ ही जुड़ी कई परंपराएं सामने आ रही हैं जिसके चलते ही आज यानि सोमवार को आदिवासी अंचल में दीपावली के अगले दिन मनाए जाने वाले गाय गोहरी पर्व के दौरान लोगों ने मन्नत पूरी की। जहां जमीन पर लेटे लोग और उनके ऊपर से दौड़कर गायें निकल गईं।
क्या है ये अनूठी परंपरा
इस संबंध में बताते चलें कि, झाबुआ जिले से 12 किलोमीटर दूर ग्राम खरडू बड़ी में दीपावली के दूसरे दिन गाय गोहरी का पर्व मनाया गया। जिसे लेकर आदिवासी अंचल में इस पर्व का ऐतिहासिक महत्व है यह पर्व गाय और ग्वाला के आत्मीय रिश्ते की कहानी कहता है। गाय यानी जगत की पालनहार और गोहरी का अर्थ होता है ग्वाला।
कई वर्षो से चली आ रही है परम्परा
आपको बता दें कि, इसमें मन्नत धारी जमीन पर लेट जाते हैं और गाय उनके ऊपर से गुजरती हैं। लेकिन किसी को कभी चोट नहीं आती। जहां सजी-धजी गाय जमीन पर लेटे मन्नतधारियों के ऊपर से गुजरी तो उनके मुंह से उफ की बजाए भगवान का जयकारा निकला। यह परंपरा वर्षों पुरानी चली आ रही है। साथ ही ग्रामीण अपनी गायों को सजा कर पहुंचते और फिर हिडी गीत गाया जाता है।
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