भोपाल: MP स्टीम कॉन्क्लेव का आयोजन, सीएम कमलनाथ ने किया शुभारंभ

भोपाल में स्टीम कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन भोपाल के मिंटो हॉल में किया गया, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया।
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हाइलाइट्स :

  • सीएम ने मप्र STEAM कॉन्क्लेव का किया शुभारंभ।

  • अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा पद्धति साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्टस और मैथ्स पर आधारित है 'मप्र स्टीम कॉन्क्लेव'।

  • कमलनाथ ने कहा-हमें शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाना है और ये हमारी प्राथमिकता है।

  • देश-विदेश के विशेषज्ञ और शिक्षाविद हुए कॉन्क्लेव में शामिल।

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए भोपाल में स्टीम कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का आयोजन भोपाल के मिंटो हॉल में किया गया, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी मुख्य सचिव, एस.आर. मोहंती विशेष गेस्ट के तौर पर मौजूद रहे। वहीं शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 400 सब्जेक्ट एंड एज्यूकेशन स्पेशलिस्ट शामिल हुए।

कमलनाथ ने कहा:

इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि, कमल नाथ ने कहा, "जब भी किसी क्षेत्र में बदलाव हुआ है, तो उसकी आलोचना हुई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि, जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने 21वीं सदी के भारत की कल्पना करते हुए कम्प्यूटर क्रांति की शुरूआत की थी, तब उसका विरोध यह कहकर किया गया था कि, इससे बेरोजगारी बढ़ेगी, यह एक बेकार की कोशिश है। आज हम देख रहे हैं कि, आईटी क्षेत्र में जो क्रांति हुई, उससे न केवल बड़ी संख्या में हमारे युवाओं को रोजगार मिला है। बल्कि आज पूरे विश्व में हमारे देश के लोग आईटी के क्षेत्र में छाये हुए हैं, इसलिए हमें बदलाव के साथ जुड़ना होगा।"

कमलनाथ ने कहा है कि, हमें शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाना है और ये हमारी प्राथमिकता है। शिक्षकों को अपने आप में समाज सेवक के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, राजनीतिक क्षेत्र में भी परिवर्तन होता है, शिक्षा में सबसे ज्यादा परिवर्तन हुआ है, कैसे सीखते हैं और कैसे पढ़ते हैं यह जरूरी है और यह एक बड़ा परिवर्तन है। आज का युग ज्ञान का है हम शिक्षित हो सकते हैं, लेकिन ज्ञानहीन होंगे। शिक्षा हम कॉलेज में लेते हैं, लेकिन ज्ञान हमें रोज प्राप्त करते हैं।

विश्व में हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ :

मुख्यमंत्री ने कहा कि, आज विश्व में हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है। शिक्षा भी अछूती नहीं है। परिवर्तन के इस दौर में हमारे शिक्षकों का अपग्रेड होना जरूरी है, नहीं तो हम अपनी भावी पीढ़ी को आज के और आने वाले समय के अनुकूल शिक्षित नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा और ज्ञान को जोड़ा जाना बहुत जरूरी है तभी हम अपने बच्चों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर पाएंगे। उन्होंने मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और उसकी गुणवत्ता में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने ने कहा कि, हमारे शिक्षकों को आत्मचिंतन करना चाहिए कि, वे अपनी भावी पीढ़ी को किस तरह शिक्षित करें जिससे उसका भविष्य बेहतर हो सके।

शिक्षकों का किया आव्हान:

मुख्यमंत्री ने शिक्षकों का आव्हान किया कि, वे अपने दायित्व को सरकारी नौकरी के रूप में बल्कि एक समाज सेवक की भूमिका के रूप में निभाएं। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में अग्रणी राज्य बने। इसके लिए हमें कड़े कदम उठाना पड़े तो उठाएंगे।

स्टीम शिक्षा पद्धति की सराहना की:

इस दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ने स्टीम शिक्षा पद्धति की सराहना करते हुए कहा कि, इससे हम अपने बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर पाएंगे। वे रूचि के साथ पढ़ाई करें इससे उनका एक अलग तरीके से विकास होगा और वे आज के बदलाव से जुड़ सकेंगे।

मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना :

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि, स्टीम शिक्षा पद्धति विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग, गणित और कला की पढ़ाई को न केवल रूचिकर बनाती है, बल्कि इससे हमारे बच्चों का भविष्य की चुनौतियों से निपटने में भी सक्षम करती है। उन्होंने कहा कि, देश में पहली बार मध्यप्रदेश में स्टीम शिक्षा पद्धति पर विचार के लिए दो दिवसीय कॉन्क्लेव हो रहा है, जिसमें नवीनतम ग्लोबल अवधारणा पर विषय-विशेषज्ञ मंथन करेंगे। इसे कैसे लागू करें, पाठ्यक्रम में शामिल करें इस पर भी विचार होगा। मुझे विश्वास है कि इस कॉन्क्लेव के निष्कर्ष से हमारी शिक्षा पद्धति को नया आयाम हासिल होगा। डॉ. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता पर काम कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि हम अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दे सकें जो उनके भविष्य को उज्जवल बनाएं।

रश्मि अरूण शमी ने स्टीम शिक्षा की जानकारी दी:

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने स्टीम शिक्षा पद्धति की मूल अवधारणा, उसके महत्व और कॉन्क्लेव के रूपरेखा की जानकारी दी। इस मौके पर मुख्य सचिव श्री एस.आर. मोहंती, माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सलिना सिंह, स्टीम एजुकेशन की संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सी.ई.ओ.) सुश्री जार्जट येकमेन, डी ऐंज़ा कॉलेज केलिफोर्निया यू.एस.ए. की बाल विकास एवं शिक्षा विषय की प्रोफेसर सुश्री जयंती तांबे रॉय, स्टोरी ट्राइंगल फाउन्डेशन की संस्थापक सुश्री अर्पणा अत्रैय, शिव नाडर फाउंडेशन के बाल शिक्षा विभाग की प्रमुख सुश्री सुमिता मलिक, शंकर महादेवन अकादमी में पाठ्यक्रम विकास कार्य से जुडे़ संगीतकार श्री कार्तिक रमन और स्टीम रिसर्च लैब की विभागाध्यक्ष सुश्री शहीन शाहीबोले उपस्थित थे।

मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य:

बता दें कि, स्टीम शिक्षा पद्धति अमेरिका से शुरू हुआ और इसको विश्व के प्रमुख देशों रशिया, फिनलैंण्ड, ब्रिटेन और साउथ कोरिया ने अपनाया है। मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य है, जिसने इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। स्टीम शिक्षा पद्धति का उद्देश्य बच्चों को छोटी कक्षा से ही विज्ञान और तकनीक के साथ कला और गणित से जोड़ना है, ताकि बच्चों की कल्पना शक्ति के साथ ही विषयगत दक्षताओं का भी विकास हो सके।

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