शहडोल : जाली दस्तावेजों में बांटा करोड़ों का लोन, दर्जन भर गिरफ्तार

शहडोल, मध्य प्रदेश : माइक्रो फायनेंस कंपनी के कारिंदे खुद दिखाते थे धोखाधड़ी का रास्ता। बड़ी संख्या में मिले फर्जी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज। 1 करोड़ 44 लाख की हेराफेरी का मामला किया उजागर।
जाली दस्तावेजों में बांटा करोड़ों का लोन, दर्जन भर गिरफ्तार
जाली दस्तावेजों में बांटा करोड़ों का लोन, दर्जन भर गिरफ्तारAfsar Khan

शहडोल, मध्य प्रदेश। जिले में संचालित माइक्रो फायनेंस कंपनियों के दफ्तरों पर एक साथ शहडोल पुलिस की विभिन्न टीमों द्वारा कार्यवाही की गई। जिले में संचालित माइक्रो फायनेंस कंपनी-आरोहण माइक्रो फायनेंस कंपनी, सोनाटा फायनेंस, संहिता कम्यूनिटी डेवलपमेंट सर्विसेज, एल.एण्ड.टी., आर.बी.एल. फायनेंस, पहल, आशीर्वाद प्रमुख रहीं, जिनके कारिंदो द्वारा लगभग 1 करोड़ 45 लाख रूपये की हेरा फेरी के स्पष्ट प्रमाण पुलिस को मिले। पुलिस ने 7 कंपनियों के 13 आरोपियों को इस मामले में गिरफ्तार कर जांच को आगे बढ़ाया है।

दर्जनों को लगाया था चूना :

जनवरी 2020 में थाना सोहागपुर में आवेदिका ग्राम गोरतरा निवासी विद्या सिंह के द्वारा अन्य कई महिलाओं के साथ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि आरोपीगण लक्ष्मण पनिका, शंकर पनिका, सुनील पनिका, शशिकांत राजपूत एवं विकास द्विवेदी माइक्रो फायनेंस कंपनियों के द्वारा हम गरीब-बेसहारा महिलाओं के पास आकर बोले कि शासन की योजना है कि गरीब महिलाओं का समूह बनाकर उनको फायनेंस कंपनी से कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध करायें। गांव की महिलाएं झांसे में आ गईं तथा मांगे जाने पर उनका आधार कार्ड, वोटर आईडी इन आरोपियों द्वारा ले लिया गया।

फर्जी आधारकार्ड से शुरूआत :

महिलाओं के दस्तावेज लेने के बाद शशिकांत राजपूत निवासी सिंहपुर रोड शहडोल के कियोस्क के माध्यम से बैंक खाता खुलवाये गए थे। ये लोग विकास द्विवेदी निवासी पाण्डवनगर से मिलकर सांठ-गांठ कर फर्जी आधार कार्ड बनवाकर अलग-अलग फायनेंस कंपनियों में जमा कर देते थे और अलग-अलग फायनेंस कंपनियों के बैंक से 20 हजार से 30 हजार रूपये का लोन करवाते थे। लक्ष्मण पनिका और उसका भाई शंकर पनिका, सुनील पनिका ये सभी शशिकांत राजपूत के कियोस्क सेंटर में हम सबको ले जाकर हमारे खाते से रूपये निकलवाते थे और निकाले गए रूपये में से 2000 रूपये हमको देते थे और शेष रूपये खुद रख लेते थे और बोलते थे कि फायनेंस की किश्तों को वे खुद पटा देंगे, हमको नहीं पटाना होगा। लक्ष्मण पनिका और उसके भाईयों ने हमारी किश्त नहीं चुकाई। फायनेंस कंपनी वाले अब हम गरीब महिलाओं से जबरदस्ती करके रूपये मांगने आते हैं।

मामला दर्ज, जब्त हुई सामग्री :

शिकायत के आधार पर थाना सोहागपुर में धारा 420, 467, 468, 471, 120बी ता.हि. के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। दौरान विवेचना ग्रामीण महिलाओं के द्वारा की गई शिकायत सही पाई गई। आरोपी लक्ष्मण पनिका से हितग्राहियों के मूल आधार कार्ड को स्कैन कर सहयोगी विकास द्विवेदी के प्रिंटर, कम्प्यूटर, लेमीनेशन मशीन की मदद से स्कैन कर बनाए गए लगभग 245 फर्जी आधार कार्डों को जप्त किया गया एवं कियोस्क संचालक शशिकांत राजपूत के कब्जे से उसके कियोस्क सेंटर के उपकरण सीपीयू कलर प्रिंटर, मॉनीटर, रजिस्टर, लेमीनेशन मशीन आदि जब्त किया गया।

हुआ फर्जी आधार कार्डाे का खुलासा :

आरोपी मदन पनिका से भी फर्जी आधार कार्ड बनाने के उपकरण कम्प्यूटर प्रिंटर आदि जब्त किये गए। लक्ष्मण के भाई शंकर एवं सुनील पनिका के कब्जे से भी फर्जी आधार कार्ड जब्त किये गए हैं। जप्तशुदा फर्जी आधार कार्डों का सत्यापन ग्राम के सचिव द्वारा किया गया तथा जो फर्जी प्रमाणित पाये गए ऐसे आधार कार्ड या तो अस्तित्व में नहीं हैं अथवा किसी अन्य व्यक्ति के नाम से रजिस्टर्ड पाये गए। उपरोक्त सभी आरोपी लक्ष्मण पनिका, शंकर पनिका, सुनील पनिका, मदन पनिका तथा शशिकांत राजपूत एवं विकास द्विवेदी कुल 06 नफर को गिरफ्तार कर न्यायालय पेश किया जा चुका है। इनके विरूद्ध तत्समय तक विवेचना पूर्ण होने से विधिक प्रावधानों के तहत चालान न्यायालय पेश किया जा चुका है।

एक साथ दर्जन भर स्थानों पर दबिश :

प्रकरण की विवेचना के प्राथमिक चरण में फायनेंस कंपनियों की भूमिका एवं दोषिता का परीक्षण किया जाना शेष था। 22 जुलाई को एक ही समय पर पुलिस की विभिन्न टीमों द्वारा शहडोल से माइक्रो फायनेंस कंपनियों आरोहण माइक्रो फायनेंस कंपनी, सोनाटा फायनेंस, सहिंता, फायनेंस, एल.एन.टी., आर.बी.एल. फायनेंस, ई.एस.ए.एफ. स्मॉल फायनेंस बैंक, उत्कर्ष स्मॉल फायनेंस बैंक, फिनकेयर स्मॉल फायनेंस बैंक, एक्वाटास फायनेंस बैंक, बंधन बैंक तथा बुढ़ार से स्पंदन फायनेंस लिमिटेड, फ्यूजन माइक्रो फायनेंस प्रायवेट लिमिटेड, उत्कर्ष फायनेंस, पहल तथा आशीर्वाद के दफ्तरों से स्वीकृत ऋणों के संबंध में जानकारी हासिल की गई। प्रत्येक कंपनी के कर्मचारियों/पदाधिकारियों से पृथक-पृथक पूछताछ की गई तथा दस्तावेजों, पंजियों तथा इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर डाटा की सूक्ष्मता से पड़ताल की गई।

ऐसे करते थे खेल :

जाँच दौरान दस्तावेजों के अध्ययन से यह तथ्य प्रकाश में आया कि स्व-रोजगार के उद्येश्य से ऋण देने के नाम पर कुछ कंपनियों द्वारा टार्गेट पूरा करने की आड़ लेकर स्वयं अनुचित आर्थिक लाभ हासिल करने हेतु फर्जी आधार कार्ड एवं वोटर आईडी के आधार पर ऋण स्वीकृत किये गए हैं। इस हेतु लोन की स्वीकृति हेतु के.वाई.सी. में लिए गए दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड की छायाप्रति एवं वोटर आई-डी कार्ड की छायाप्रति की जांच की गई। आधार नम्बरों की जांच से पता चला कि कुछ आधार कार्ड अस्तित्व में ही नहीं हैं तथा कुछ आधार नंबर किसी अन्य व्यक्तियों के नाम पर हैं, जिससे स्पष्ट पता चलता है आधार कार्ड की ड्यूप्लीकेट प्रति कम्प्यूटर स्कैनर एवं प्रिंटर के माध्यम से तैयार कर परिवर्तन किया गया है। आधार कार्डों की जांच में यह तथ्य भी प्रकाश में आये कि मूल आधार कार्ड नंबरों के अंकों को आगे-पीछे किया गया। शेष जानकारी यथावत् रखकर फर्जी आधार कार्ड लोन स्वीकृति हेतु उपयोग में लाये गए हैं।

7 कंपनियों ने की हेराफेरी :

आरोहण फाइनेंस ने 71 लोगों के फर्जी दस्तावेज प्रयुक्त कर अगस्त 2019 से दिसम्बर 2019 तक 18 लाख 20 हजार, संहिता फाइनेंस ने 43 लोगों के फर्जी दस्तावेज जनवरी 2019 से सितम्बर 2019 उपयोग किये एवं 10 लाख 75 हजार, आर.बी.एल. फाइनेंस ने 33 लोगों के जुलाई 2019 से नवम्बर 2019 तक फर्जी दस्तावेज उपयोग किया, जिसमें 2 की गिरफ्तारी हुई, 9 लाख 90 हजार की हेराफेरी की गई, सोनाटा फाइनेंस ने 18 लोगों के फर्जी दस्तावेज फरवरी 2019 में उपयोग किये, जिसमें 2 लोगों की गिरफ्तारी की गई 4 लाख का फर्जीवाड़ा किया गया, एल एण्ड टी फाइनेंस ने 115 लोगों के दस्तावेज मई 2018 से जनवरी 2020 तक प्रयुक्त किये, जिसमें 7 लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही 40 लाख 35 हजार 873 की हेराफेरी सामने आई है, पहल फाइनेंस में 112 लोगों के जनवरी 2019 से जनवरी 2020 तक दस्तावेज प्रयुक्त किये गये, 2 लोगों के गिरफ्तारी के साथ ही 33 लाख 60 हजार का फर्जीवाड़ा किया गया, आर्शीवाद फाइनेंस ने 91 लोगों के फर्जी दस्तावेज जनवरी 2019 से जनवरी 2020 तक उपयोग किये, जिसमें 27 लाख 30 हजार की ठगी की गई। पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार करते हुए बताया कि 483 फर्जी दस्तावेजों के सहारे लगभग 1 करोड 44 लाख की हेराफेरी की है।

बैंक मुख्यालय पहुंचेगी पुलिस :

उपरोक्त के अतिरिक्त कई अन्य प्रकरण भी प्रकाश में आ रहे हैं जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण स्वीकृत किये गए हैं। कंपनियों के रिकार्ड की लगातार समीक्षा की जा रही है। अभी तक जितने प्रकरणों में कंपनी के दस्तावेजों में से प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त हुए हैं, उनका विवरण ऊपर की तालिका में दिया गया है। इसके अतिरिक्त कंपनियों से रिकार्ड मंगाकर सतत् रूप से विशेषज्ञ टीम द्वारा विवेचना की जा रही है। स्थानीय कंपनियों द्वारा बताया गया कि उनके मुख्यालय मुम्बई, हैदराबाद, भोपाल, दिल्ली आदि स्थानों पर हैं। इन कंपनियों द्वारा लोन वितरित किये जाने के बाद मूल दस्तावेज कंपनी मुख्यालय में भेज दिये जाते थे। इस वजह से दस्तावेजों के परीक्षण में विलम्ब हो रहा है। विवेचना के सतत् क्रम में परीक्षण जारी है। अद्यतन स्थिति के अनुसार उपरोक्त लगभग 1.5 करोड़ की धोखाधड़ी के अतिरिक्त कई लाख रूपयों की हेराफेरी के प्राथमिक साक्ष्य प्रकाश में आ चुके हैं। इसके संबंध में मूल दस्तावेज कंपनी मुख्यालयों से प्राप्त किये जा रहे हैं।

गिरफ्तार हुए आरोपी :

एलएण्डटी फाइनेंस के फील्ड लेवल ऑफिसर सुमित तिवारी, शिवांशु गुप्ता, फहद अहमद जुनजानी, पुष्पेन्द्र श्रीवास्तव, हितेश नामदेव, जयप्रकाश जायसवाल, विकास द्विवेदी (पूर्व से गिरफ्तार), आर.बी.एल. फाइनेंस का ब्रांच मैनेजर रामस्वरूप माण्डले, राहुल विश्वकर्मा फील्ड लेवल ऑफिसर, सोनाटा का सुजीत यादव फील्ड लेवल ऑफिसर, अरविंद राठौर ब्रांच मैनेजर, पहल का राजू रजक फील्ड लेवल ऑफिसर, अनिल तिवारी ब्रांच मैनेजर।

महिलाओं से करते थे ठगी :

इस सुनियोजित कार्यवाही में आर्थिक अपराध के विरूद्ध शहडोल पुलिस को बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। कंपनी के इन सफेद पोश कर्मचारी अपराधियों के द्वारा दस्तावेजों में हेरा फेरी करके जनता के विकास के लिए प्रत्याशित राशि का जमीनी एजेंट बनाकर गबन किया गया है। कंपनी के ब्रांच मैनेजर एवं फील्ड लेवल ऑफीसर गांव की महिलाओं को स्व-सहायता समूह बनाकर गृह उद्योग, लघु उद्योग, कृषि कार्य, पशुपालन आदि गतिविधियों के लिए लोन प्रदाय के माध्यम से आर्थिक स्थिति के उन्नयन में मदद करें - ऐसी इन माइक्रो फायनेंस कंपनियों के कार्य की मूल मंशा है। किंतु आरोपी माइक्रो फायनेंस कंपनी के अधिकारियों ने दलालों से संपर्क कर ग्रामीण महिलाओं के आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड आदि प्राप्त किये। कुछ मामलों में इन ऑरिजनल के.वाई.सी. के माध्यम से 20 से 30 हजार रूपये के ऋण स्वीकृत कराये गए और ऋण में प्राप्त राशि में से मात्र दो से तीन हजार रूपये महिलाओं को दिये गए, शेष राशि दलालों और माइक्रो फायनेंस कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा आपस में बांट लिये गए। इस प्रकार एक बड़ी राशि इन बिचौलियों के द्वारा गबन कर ली गई है।

रडार में कई शामिल :

पुलिस की इस व्यापक कार्यवाही से माइक्रो फायनेंस कम्पनियों की बडी धांधली प्रकाश में आई है। पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने अपने सभी पुलिस के साथियो को इस कार्यवाही के लिए बधाई दी है एवं प्रतिभागियो को नगद पुरस्कार से पुरस्कृत करने की घोषणा की है। इस सामूहिक प्रतिभागिता युक्त कार्यवाही में थाना सोहागपुर, कोतवाली, बुढ़ार, अमलाई, नपुरी, जयसिंहनगर, गोहपारू, सिंहपुर के थाना प्रभारियों के साथ पुलिस टीम शामिल हुई। एक साथ 15 कंपनियों के रिकार्ड का परीक्षण एवं इनके अध्ययन से उपजे निष्कर्षों के आधार पर 13 आरोपियों को चिन्हित करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय पेश किया गया है। विवेचना के अगले क्रम में कंपनियों के दस्तावेजों की व्यापक स्तर पर पड़ताल की जा रही है। प्राप्त साक्ष्य के आधार पर कंपनियों के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों की भूमिका एवं जिम्मेदारी का निर्धारण कर कार्यवाही की जा रही है।

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