लॉकडाउन का नतीजा : 22 प्रतिशत तक पहुंची बिजली चोरी, अधिकारियों की बढ़ी चिंता

सिंगरौली, मध्यप्रदेश : लॉकडाउन के दौरान बिजली वितरण प्रणाली में होने वाली क्षति का ग्राफ 21 प्रतिशत पहुंच गया। कभी यह आंकड़ा 13 प्रतिशत तक ही रहता था।
22 प्रतिशत तक पहुंची बिजली चोरी
22 प्रतिशत तक पहुंची बिजली चोरीPrem N Gupta

सिंगरौली, मध्यप्रदेश। लम्बी अवधि तक चले लॉकडाउन के सामने आए नतीजे ने बिजली अधिकारियों की नींद उड़ा डाली है। दो साल के लॉकडाउन में निगरानी नहीं हो पाने और उपभोक्ताओं को बिना बाधा बिजली दिए जाने की शासकीय नीति के चलते आज ऐसी हालत बन गई। हालत यह बन गई है कि इस दौरान बिजली वितरण प्रणाली में होने वाली क्षति का ग्राफ 21 प्रतिशत पहुंच गया। कभी यह आंकड़ा 13 प्रतिशत तक ही रहता था। अब बेतहाशा बढ़ गई इस क्षति ने मुख्यालय के साथ साथ स्थानीय बिजली अधिकारियों की नींद उड़ा दी और बेचैनी बढ़ाई है। मामला नगर निगम के अधीन शहर संभाग से जुड़ा है।

बिजली कम्पनी शहर संभाग के स्तर पर हाल में वितरण व्यवस्था के बीच में होने वाली यूनिट की क्षति का पिछले समय के मुकाबले मूल्यांकन किया गया तो बहुत ही चौंकाने वाला नतीजा सामने आया। पाया गया कि लॉकडाउन के दौरान व इसके बाद शहरी क्षेत्र में वितरण व्यवस्था के बीच में बिजली की क्षति या लाइन लोस 21 प्रतिशत तक पहुंच गया है। लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा 13 प्रतिशत तक अटका हुआ था। सामने आया कि इस प्रकार लगभग दो साल तक लॉकडाउन की अवधि में होने वाली बिजली की क्षति आठ प्रतिशत तक बढ़ गई। बिजली कम्पनी के मापदंडों के अनुसार क्षति का यह आंकड़ा सामान्य से बहुत ज्यादा है। सामने आया कि बीते जुलाई माह में ही शहरी क्षेत्र में लाइन लोस या बिजली की क्षति 21 प्रतिशत रही। पिछले कुछ माह से लगातार ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।

पाया गया कि क्षति या चोरी होने वाली बिजली यूनिट इसी अनुसार बहुत बड़ी है। आकलन बताता है कि शहरी क्षेत्र में हर माह लगभग 27 लाख यूनिट बिजली की क्षति या चोरी हो रही है। माना गया है कि इसे जल्द नहीं रोका गया या नियंत्रित नहीं किया गया तो क्षति और भी बढ़ सकती है और इससे बिजली कम्पनी का बजट चौपट हो सकता है।

बिजली अधिकारियों के अनुसार क्षति का आकलन करने पर पाया गया कि पिछले जुलाई माह के कम्पनी ने शहरी क्षेत्र के लिए 125 लाख यूनिट बिजली की खरीद की और उपभोक्ताओं को बेची गई बिजली यूनिट की संख्या 98 लाख यूनिट ही रही। सीधा हिसाब यह है कि कम्पनी ने जितनी यूनिट बिजली खरीद की, उसके मुकाबले काफी कम यूनिट का पैसा उपभोक्ताओं से मिल पाया और शेष बिजली की वितरण के बीच में ही चोरी चली गई या तकनीकी कारणों से उसकी क्षति हो गई। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बिजली कम्पनी को हर माह लाखों यूनिट चोरी या क्षति की चपत लग रही है। अब इसी क्षति को कम करना या चोरी रोकने को लेकर प्रयास करने पड़ रहे हैं।

बिजली अधिकारियों के अनुसार दो साल चले लॉकडाउन के दौरान कनेक्शन का सामान्य निरीक्षण व विद्युत लाइनों के रख रखाव या मरम्मत की प्रक्रिया नहीं चल सकी। इस दौरान केवल उपभोक्ताओं को बिना बाधा बिजली की आपूर्ति को ही प्राथमिकता देनी पड़ी। इसके चलते ही बिजली की चोरी और लाइन लोस बढ़ता चला गया। इसलिए अब क्षति नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है। बिजली कम्पनी शहर संभाग के कार्यपालन यंत्री अजीत सिंह बघेल ने बताया कि चालू माह से ही हर कनिष्ठ अभियंता को अपने क्षेत्र में बिजली कनेक्शन की नियमित जांच का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कनेक्शन की जांच व निगरानी का संतोषजनक परिणाम मिलने की उम्मीद जताई है।

फैक्ट फाइल :

  • बिजली की मासिक क्षति - 21 प्रतिशत

  • हर माह औसतन नुकसान - 27 लाख यूनिट

  • कम्पनी ने की खरीद - 125 लाख यूनिट

  • उपभोक्ताओं को वितरण - 98 लाख यूनिट

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