राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश की स्थानीय विशिष्ट फसल प्रजातियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भौगोलिक सांकेतिक (जीआई) टेग के साथ फसलों का चयन प्र-संस्करण मूल्य संवर्धन और विपणन व्यवस्था संबंधी रणनीति निर्धारण के लिये प्रशासन अकादमी में कार्यशाला हुई। भारत सरकार के 'एक जिला-एक फसल' कार्यक्रम के तहत हुई कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, प्रगतिशील किसानों, कृषि उत्पाद उद्यमियों और विभागीय अधिकारियों के बीच मंथन हुआ।
कृषि वैज्ञानिकों ने खाद्यान, दलहन, तिलहन, लघु धान्य फसलों की उत्पादन संभावनाएँ, चुनौतियाँ और जीआई टेग पर आधारित प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यशाला के साथ मध्यप्रदेश 'एक जिला-एक फसल' पर कार्यशाला करने वाला पहला राज्य बन गया है। मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव किसान कल्याण ने कहा कि, विशिष्ट वस्तुओं का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। उपभोक्ता गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का स्वागत कर रहे हैं। इसका लाभ किसानों को मिलना चाहिए। झाबुआ जिले के कड़कनाथ प्रजाति को जीआई टेग मिलने से इसको काफी लाभ मिला है।
मध्य प्रदेश के अन्य विशिष्ट कृषि उत्पादों के लिये भी जीआई टेग हासिल करने की इस कार्यशाला के माध्यम से पहल की जा रही है। प्रदेश की फसलों की विशिष्टताओं को देखते हुए जीआई टेग हासिल करने की दिशा में जिलावार 'एक जिला-एक फसल' कार्यक्रम तैयार किया गया है। उम्मीद है कि, इससे कई फसलों के निर्यात के अधिकार प्रदेश के किसानों को प्राप्त हो सकेंगे और किसानों की आय भी बढ़ेगी।
राष्ट्रीय सलाहकार एनएफएसएम डॉ. डी.पी. सिंह ने कहा कि, मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने 'एक जिला एक फसल' कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये सबसे पहली कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला की अनुशंसाएं कार्यक्रम के क्रियान्वयन में बहुत लाभकारी होंगी। मुख्य महा-प्रबंधक नाबार्ड ने कहा कि, नाबार्ड कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों को जीआई टेग में पंजीयन कराने के साथ किसानों को उत्पादन वृद्धि के लिये अनुदान भी दे रहा है।
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