बुरहानपुर: निगम चुनाव को लेकर शुरू हुई राजनीतिक उठापटक

बुरहानपुर, मध्यप्रदेश : नगर निगम चुनाव में कांग्रेस फैक्टर का असर रहेगा या फिर कुर्सी पर बैठेगा भाजपा का मेयर-चुनाव की सुगबुगाहट शुरू, जोड़तोड़ की राजनीति में लगे नेता और पार्षद
नगर निगम चुनाव
नगर निगम चुनावGanesh Dunge

राज एक्सप्रेस। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। अब नगर निगम चुनाव की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। पिछले 15 साल से भाजपा का राज था। शहर की नगर निगम में भी भाजपा के बांशिदे लगातार अपनी जगह बना रहे हैं, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद क्या नगर-निगम चुनाव में कांग्रेस फैक्टर का असर रहेगा। या फिर से नगर-निगम की कुर्सी पर भाजपा का मेयर बैठेगा। कांग्रेस की सरकार है लेकिन भाजपा के कार्यकाल में स्वीकृत हुई पीएम आवास योजना का लाभ भी लोगों को मिला है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। उधर कांग्रेस की योजना पर भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं तो कई लोग कमियां भी निकाल रहे हैं।

नगर-निगम चुनाव को अभी कुछ माह है, लेकिन अभी से राजनैतिक गलियारों में भाजपा और कांग्रेस के मेयर पर चर्चा होने लगी है। कांग्रेस को नगर-निगम चुनाव में प्रदेश सरकार होने का फायदा मिल सकता है तो भाजपा भी कुर्सी पाने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है, क्योंकि इस बार के नगर-निगम में समीकरण बदलने के प्रयास लगाए जा रहे हैं। समीकरण बदलने का कारण सिर्फ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होना नहीं है। इस साल महापौर पद के लिए आरक्षण भी होना है। लॉटरी में खुलासा होगा किसके लिए सीट आरक्षित होती है।

आरक्षण के कारण ही कई जनप्रतिनिधि फिलहाल खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। भले ही पद का आरक्षण हो, लेकिन मेयर चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए अंदरूनी तैयारियां चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने शुरू कर दी हैं। आरक्षण के बाद पार्टियों को भी अपना चेहरा प्रस्तुत करने में मुश्किल हो सकती है। उधर नगर-निगम चुनाव की जान 'पार्षदों' पर भी नजरें टिक गई हैं। आला दर्जे के नेता पार्षदों से संपर्क साधने लगे हैं, क्योंकि प्रयास ये भी है कि मेयर का चुनाव पार्षद करने वाले हैं। इसलिए पार्षदों की आवभगत भी शुरू हो गई है।

निर्दलीय भी बिगाड़ सकते हैं, समीकरण:

पिछले चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में मेयर का टिकट पाने के लिए होड़ लगी थी, लेकिन पार्टियों की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने नहीं आई थी, लेकिन इस बार पार्टी से असंतुष्ट और पिछले कई सालों से मेयर का टिकट मांगने वाले नेता गणित बिगाड़ सकते हैं। बताया जा रहा है कि, टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय लड़कर चुनाव के समीकरण बदल सकते हैं। इससे दोनों ही पार्टियों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2005 में निगम चुनाव में भाजपा से अतुल पटेल, कांग्रेस से अजयसिंह रघुवंशी और निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रब सेठ के बीच टक्कर हुई थी। जीत-हार का अंतर बहुत कम हो गया था, जीत अतुल पटेल ने दर्ज की थी।

4 हजार मतों से जीते थे अनिल भोसले:

पांच साल पहले हुए नगर निगम चुनाव में शहर के दो बड़े नेता भाजपा से अनिल भोसले और कांग्रेस से इस्माइल अंसारी आमने-सामने थे। चुनाव के दौरान कांग्रेस की सीट के दावे किए जा रहे थे, लेकिन दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई। इस्माइल अंसारी को 52633 मत मिले और लगभग 56 हजार मत लेकर भाजपा के अनिल भोसले ने जीत दर्ज कराई। इस्माइल अंसारी लगभग 4 हजार मत से हारे। ये वो दौर था जब प्रदेश में शिवराजसिंह चौहान की सरकार थी।

2010 के चुनाव में भी मिली थी हार:

2010 के चुनाव में भाजपा से अतुल पटेल की पत्नी माधुरी पटेल और इस्माइल अंसारी की पत्नी शहनाज अंसारी चुनाव मैदान में थी। इसके अलावा एनसीपी से रजनी चौहान ने चुनाव लड़ा था। माधुरी पटेल ने लगभग 55 हजार मत लेकर लगभग साढ़े छ हजार मतों से जीत दर्ज कराई थी। इसके बाद इस्माइल अंसारी ने चुनाव लड़ा, भाजपा से माधुरी पटेल को टिकट नहीं मिला अनिल भोसले को चुनाव मैदान में उतारा था।

2005 में जीते थे अतुल पटेल:

2005 में भाजपा से अतुल पटेल ने 33 हजार मत लेकर जीत दर्ज कराई थी। इस चुनाव में अतुल पटेल के सामने कांग्रेस से अजयसिंह रघुवंशी और निर्दलीय प्रत्याशी अब्दुल रब सेठ थे। तीन बड़े नेताओं के चुनाव मैदान में होने से मत भी विभाजित हुए। अजयसिंह रघुवंशी को 27 हजार और अब्दुल रब को 21 हजार मत मिले थे। इन चुनावों में भी भाजपा, कांग्रेस के अलावा कोई बड़ा नेता निर्दलीय चुनाव लड़ता है तो मत विभाजित हो सकते हैं। जीत-हार का अंतर कम हो सकता है।

पांच साल में भाजपा की उपलब्धियां:

महापौर अनिल भोसले ने बताया पिछले पांच साल में दो बड़ी योजनाओं ताप्ती जलावर्धन और अमृत योजना के तहत सीवेज का काम शुरू किया गया। ताप्ती जलावर्धन योजना में घर-घर तक पानी पहुंचाना है। इसके लिए शहर में पाइप लाइन बिछा दी गई है। कुछ काम बाकी है। इसके अलावा अमृत योजना में बारिश और घरों से निकलने वाली पानी की निकासी के लिए काम हो रहा है। इसका फायदा शहरवासियों को जल्द मिलने लगेगा। इंदिरा कॉलोनी में सर्वसुविधायुक्त ऑडिटोरियम बनाया गया, लालबाग में मंगल भवन, व्यायाम शालाओं के लिए भवन, गार्डनों में ओपन जिम, रेणुका माता गार्डन का जिर्णोद्धार हुआ। रोकड़िया हनुमान मंदिर पहुंच मार्ग का निर्माण कराया गया।

राज्य शासन से करवाना चाहते हैं काम:

महापौर अनिल भोसले कहते हैं बहुत से काम हुए तो कुछ काम और करवाना चाहते हैं। भले ही वो नगर निगम के तहत नहीं आते हो, लेकिन शहर के हित में शहर के अंदर रोड का चौड़ीकरण, बायपास और ताप्ती नदी पुल से गणपति नाका तक रोड का चौड़ीकरण किया जाना चाहिए, इसके लिए प्रयास करेंगे।

126 नगर निगम में टॉप 10 में था शहर का भवन:

2005 से 2010 तक नगर निगम में अतुल पटेल का कार्यकाल रहा। इनके कार्यकाल में नगर निगम को नया भवन मिला। इस भवन को आईएसओ प्रमाण पत्र मिला था। भवन देश के 126 नगर-निगम में टॉप 10 में था। इसके अलावा लालबाग फोरलेन बना। ताप्ती का पानी घर-घर तक पहुंचाने के लिए योजना तैयार की और दिल्ली तक जाकर योजना की प्रक्रिया पूरी कराई।

आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू:

नगर निगम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है। कांग्रेस नगर-निगम चुनाव में एक तरफा जीत के दावें कर रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अजय उदासीन ने कहा कि मेयर कांग्रेस का बनेगा, क्योंकि जनता भाजपा की कार्यप्रणाली को अब सहन नहीं करेगी। सीवेज, जलावर्धन योजना में खुदी सड़कों से परेशानी हुई। पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार हुआ। जल्द ही भ्रष्टाचार का खुलासा भी होगा।

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