राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश अपने 64वें स्थापना दिवस के रंग में रंगा नजर आएगा। विशेष रूप से प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसका एक अलग ही रंग देखने को मिलेगा। हर बार ही तरह इस बार भी राज्य स्तरीय समारोह राजधानी के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित होगा, समारोह के पहले दिन मुंबई के अमित त्रिवेदी के गानों से शाम सजेगी। वहीं नई दिल्ली के गुलाम साबिर निजामी बंधुओं की सूफी कव्वाली भी होगी। इसके अलावा प्रदेशभर में अलग-अलग अंदाज में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
हम सबके लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर
इस आयोजन को लेकर हर किसी के मन में एक विचार आता है कि मध्यप्रदेश की स्थापना कैसे हुई और किन क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया? उस समय कौन राज्यपाल और मुख्यमंत्री बनें, जिनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने विकास यात्रा शुरू की। इस संदर्भ में हम यहां अपने पाठकों को रोचक जानकारियां बताने जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश का इतिहास
स्वतंत्रता पूर्व मध्य प्रदेश क्षेत्र अपने वर्तमान स्वरूप से काफी अलग था। तब यह 3-4 हिस्सों में बंटा हुआ था।
1950 में सर्वप्रथम मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ और मकराइ रियासतों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। तब इसकी राजधानी नागपुर थी।
इसके बाद 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश तथा भोपाल राज्यों को भी इसमें मिला दिया गया, जबकि दक्षिण के मराठी भाषी विदर्भ क्षेत्र को बॉम्बे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया।
पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी के रूप में चिन्हित किया जा रहा था, परंतु अंतिम क्षणों में इस निर्णय को पलटकर भोपाल को राज्य की नई राजधानी घोषित किया गया, जो कि सीहोर जिले की एक तहसील हुआ करता था।
1 नवंबर 2000 को एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ और छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बन गया।
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
एक नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया बने। जबकि मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल बने। मध्य प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश की सीमाएं पांच राज्यों से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है।
मध्यप्रदेश के मुख्य पर्यटन
मध्यप्रदेश मुख्य रूप से अपने पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। महेश्वर पर्यटन, खजुराहो, भीमबेटका, सांची स्तूप, ग्वालियर का किला और उज्जैन मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल के प्रमुख उदाहरण हैं। उज्जैन जिले में प्रत्येक 12 वर्षो में कुंभ (सिंहस्थ) मेले का पुण्य पर्व विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी का अलग प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौंदर्य और मनमोहक सुगंध चारों ओर फैल रहे हैं।
यहां के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहां के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। यहां का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनंद रस घोलकर स्मृति के रूप में चला जाता है। इस प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विंध्य-सतपुड़ा, मैकल- कैमूर की उपत्यिकाओं के अंतर से गूंजते और नर्मदा, सोन, सिंध, चंबल, बेतवा, केन, धसान, तवा, ताप्ती, शिप्रा, काली सिंध आदि सर-सरिताओं के उद्गम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएं यहां के जीवन को आप्लावित ही नहीं करतीं, बल्कि परितृप्त भी करती हैं। संस्कृति संगम मध्यप्रदेश में 6 लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है।
मुख्यमंत्री ने दीं प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश के सभी नागरिकों को स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम सबके लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने इस मौके पर विदेश में बसे प्रदेश के नागरिकों को भी बधाई दी है। श्री कमलनाथ ने मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि, प्रदेश एक लंबा सफर तय कर चुका है। यह एक शानदार राज्य है। सिर्फ इसलिए नहीं कि यहां शांतिपूर्ण सांस्कृतिक विविधता है, मोहक जैव-विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य है या लुभावने स्मारक है। यह अपने शांतिप्रिय और मेहनती लोगों के कारण अद्वितीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि
निस्संदेह, मध्यप्रदेश का सौंदर्य सबको सम्मोहित कर देता है। नर्मदा नदी का निर्मल प्रवाह, स्वतंत्र विचरण करते टाइगर, कान्हा नेशनल पार्क की सुंदरता, पत्थरों पर अंकित कविता खजुराहो, अद्भुत महेश्वरी और चंदेरी साड़ी, सांस्कृतिक विविधता और भी बहुत है यहां। उन्होंने कहा कि छह दशकों की यात्रा के बाद हम बेहतर भविष्य के लिए नई रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश आगे क्यों नहीं बढ़ सकता जब यहां के लोग मेहनती है। हम हर क्षेत्र में उत्कृष्ट बन सकते हैं। हमारे विश्वविद्यालय उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। हमारा पर्यटन तेजी से पनप सकता है।औद्योगिक विकास में हम नया मुकाम हासिल कर सकते हैं। हमारे उत्साही और प्रतिभाशाली युवा चमत्कार कर सकते हैं। हमारे किसान अपने कौशल से कमाल कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज मध्यप्रदेश नए क्षितिज में उड़ान भरने को तैयार है। हमारी अर्थ-व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत हमारा कृषि क्षेत्र है। अब हमें खेती में उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा, ताकि हमारे किसान आत्मनिर्भर बनें। अब आर्थिक गतिविधि से युवा जनशक्ति को जोड़ने और उनके लिए नौकरी के अवसर पैदा करना पहली प्राथमिकता है। औद्योगिक विकास का उद्देश्य नौकरी के अवसर बढ़ाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह लोगों की सरकार है। जवाबदेह शासन के साथ लोगों के सहयोग से हम मध्यप्रदेश को हर क्षेत्र में मजबूत बनाएंगे। मध्यप्रदेश अब नई उड़ान भरेगा। यह हमारा संकल्प है।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।