"राइट-टू-वॉटर" एक्ट ला रही है, मध्य प्रदेश सरकार
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"राइट-टू-वॉटर" एक्ट ला रही है, मध्य प्रदेश सरकार

मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में पेश होगा "राइट-टू-वॉटर" एक्ट। जानिए क्या होगा मध्य प्रदेश "राइट-टू-वॉटर" एक्ट में विशेष।

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश सरकार ने हर घर नल से जल पहुँचाने की नई नीति तैयार की हैं। 11 माह में 3 हजार बंद नल-जल योजनाएँ चालू करने का लक्ष्य भी रखा गया हैं। मध्य प्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि, ''सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में हर घर नल से जल पहुँचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में 'राइट-टू-वाटर' एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।''

अगर एक्ट लागू हुआ तो ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा मध्य प्रदेश

विधानसभा के आगामी बजट सत्र में यह एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा। मंत्री पांसे ने कहा कि, ''इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहाँ लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा। उन्होंने बताया कि, पानी का अधिकार कानून लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।''

मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि, ''प्रदेश में पेयजल प्रदाय योजनाओं की बेहतर प्लानिंग के लिये देश के अग्रणी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी, दिल्ली से अनुबंध किया गया है।'' उन्होंने बताया कि, ''पूरे प्रदेश में पेयजल उपलब्ध कराने के लिये एक बड़ी धन राशि की आवश्यकता होगी। इसे ध्यान में रखकर न्यू डेवलपमेंट बैंक, जायका, एशियन डेवलपमेंट बैंक और नाबार्ड से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की पहल की गई है। न्यू डेवलपमेंट बैंक से 4500 करोड़ रूपये की योजनाओं की वित्तीय सहायता प्राप्त हो गई है। जायका से नीमच तथा मंदसौर जिले के सभी गॉंव और रतलाम जिले के आलोट विकासखण्ड के 1735 गाँव में समूह पेयजल योजना के लिये वित्तीय सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।''

राज्य सरकार ने नई पेयजल नीति में प्रावधान किया है, जिन बसाहटों में गर्मी के मौसम में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, उनमें नये हैण्डपम्प लगाए जाएं। उन्होंने बताया कि, पूर्ववर्ती सरकार में किसी भी बसाहट के 500 मीटर के दायरे में न्यूनतम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने की व्यवस्था ग्रामीण माताओं और बहनों के लिये गर्मी के मौसम में कष्टदायी थी। राज्य सरकार ने इस समस्या को समाप्त करने के लिये नई पेयजल नीति में 300 मीटर के दायरे में कम से कम एक शासकीय पेयजल स्त्रोत उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है। हैण्डपम्प स्थापना के लिये ग्रामों के चयन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति बहुल ग्रामों को प्राथमिकता देने का भी निर्णय लिया गया है।

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