MP Elections : सोशल मीडिया पर भी बिछेगी चुनावी रणनीति की बिसात

भोपाल, मध्यप्रदेश : सोशल मीडिया प्लेटफार्म बनेंगे चुनाव प्रचार का प्रभावी हथियार, क्योंकि प्रदेश में 4 करोड़ से ज्यादा वोटर्स स्क्रीन पर।
सोशल मीडिया पर भी बिछेगी चुनावी रणनीति की बिसात
सोशल मीडिया पर भी बिछेगी चुनावी रणनीति की बिसातSyed Dabeer Hussain - RE

भोपाल, मध्यप्रदेश। शहर और ग्राम सरकारों के चुनाव के लिए रणभेरी बजने के साथ ही प्रदेश में तो चुनावी माहौल गर्म हो ही गया है, लेकिन इसके साथ ही एक और मंच पर चुनावी महासंग्राम का बिगुल बज उठा है, वह है सोशल मीडिया प्लेटफार्म। वैसे तो चुनावी सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर टिकिट और चुनाव की दावेदारियां शुरू हो गई थीं, लेकिन अब चुनावों में भी सोशल मीडिया प्रचार के प्रभावी हथियार के तौर पर भूमिका निभाने के लिए तैयार नजर आ रहा है। मैदान के साथ ही चुनावी तैयारी कर रहे नेताओं और उनके सर्मथकों ने सोशल मीडिया पर अपने चुनावी अभियानों की शुरूआत कर दी है। जिसके पीछे वजह यह है कि शहरों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी सोशल मीडिया ने बीते सालों में अपनी प्रभावी पकड़ बना ली है।

4 करोड़ से ज्यादा यूजर्स प्रदेश में :

सोशल मीडिया प्लेटफार्म के प्रभाव की बात करें तो आंकड़ों के मुताबिक 4 करोड़ से ज्यादा यूजर्स इस समय प्रदेश में एफबी, इंस्टा और वाट्सएप आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें भी 80 फीसदी से ज्यादा युवा वोटर्स हैं। जिनसे सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावी संपर्क किया जा सकता है। निश्चित ही राजनैतिक रणनीतिकारों के लिए सोशल मीडिया अब मामूली चीज नहीं है।

किसके कितने यूजर्स :

बीते 5 सालों के अंदर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने समाज के हर वर्ग के बीच अपनी खासी पैठ बनाई है। अब अधिकांश लोगों के हाथों में स्मार्टफोन है, और वह डिजिटल माध्यम से ही समाज के संपर्क में हैं। मोटे आंकड़ों के मुताबिक एफबी के करीब 3 करोड़ से ज्यादा जबकि वाट्स एप के 3.5 करोड़ जबकि 50 लाख से ज्यादा यूजर्स इंस्टा,ट्वीटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के प्रदेश में मौजूद हैं। इनमें अच्छी खासी तादाद ग्रामीण यूजर्स की भी है। यानि शहरों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी सोशल मीडिया का खासा दखल है।

बढ़ी सोशल मीडिया प्रमोटर्स की डिमांड :

सोशल मीडिया की ताकत को देखते हुए ही चुनाव लड़ने के इच्क्षुक नेता इस बार सोशल मीडिया को भी मैनेज करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। क्योंकि स्थानीय चुनावों में राजनैतिक दलों का दखल कम होता है, और पंचायत चुनाव दलगत आधार पर नहीं होते ऐसे में सोशल मीडिया के जरिये वोटरों को साधने की कवायद भी तेज हो गई है। राजधानी में ऐसे कई ग्रुप और सोशल मीडिया प्रमोटर्स हैं, जिनसें भावी उम्मीदवार संपर्क साध रहे हैं। इस क्षेत्र से जुड़े कई एक्सपर्ट चुनावी रणनीति और सोशल मीडिया कैंपेंन को लेकर नेताओं की मदद कर रहे हैं। इन्ही में से एक एक्सपर्ट विवेक कहते हैं, कई लोग हमसे संपर्क कर रहे हैं। माना जा रहा है, कि इस बार चुनावों में सोशल मीडिया पर भी लाखों का कारोबार होने वाला है। हालांकि चुनाव आयोग ने खर्चे की सीमा तय कर दी है, ऐसे में सोशल मीडिया पर प्रचार प्रभावी होगा।

बड़े दलों की भी सोशल मीडिया फौजें तैयार :

सोशल मीडिया के बढ़ते दखल के कारण ही प्रदेश के सभी बड़े नेता पहले से ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। जिनके फॅलोअर्स की संख्या लाखों में है। इसके अलवा प्रमुख राजनैतिक दलों ने भी अपनी आईटी सेलें बना रखीं हैं। जिनके जरिये सोशल मीडिया का राजनैतिक उपयोग होता है। वहीं अघोषित तौर पर नेताओं और उनके सर्मथकों के हजारों ग्रुप सोशल मीडिया पर अलग-अलग नामों से पहले ही सक्रिय हैं। ये चुनाव में प्रचार का प्रमुख माध्यम बनेंगे। चुनाव की घोषणा होने से पहले ही ऐसे ग्रुपों पर पोस्टें शुरू हो चुकीं हैं।

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