समाज के मुंह पर मुक्का जड़ बनीं बॉक्सर, मंजू धाकड़ #BharatKiLaxmi

इस दिवाली प्रधानमंत्री ने शुरू की नई पहल। असाधारण लड़कियों के बारे में #BharatKiLaxmi के साथ ट्वीट करिए। हम भी जुड़ते हैं इस पहल से और जानते हैं मध्यप्रदेश की लक्ष्मियों के बारे में, #MPKiLaxmi
मुक्केबाज़ मंजू धाकड़ कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। #BharatKiLaxmi
मुक्केबाज़ मंजू धाकड़ कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। #BharatKiLaxmiमंजू धाकड़

राज एक्सप्रेस। जब कोई लड़की पैदा होती है तो हमारे यहां कहा जाता है, "घर में लक्ष्मी पैदा हुई है", इस लक्ष्मी को अब देश की लक्ष्मी बनाने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे भारतवर्ष से ये निवेदन किया है कि, इस दिवाली अपने आस-पास रहने वाली असाधारण लड़कियों, जो किसी भी क्षेत्र में कुछ बेहतर कर रही हों, उनके बारे में लिखें और "#BharatKiLaxmi" के साथ ट्वीट करें।

इस पहल में भारत की मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी पी. वी. सिंधु और बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी देश के प्रधानमंत्री के साथ शामिल हुई हैं।

पी. वी. सिंधु ने इस बारे में वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, " ...मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और #BharatKiLaxmi आंदोलन का समर्थन करती हूं... चलिए, इस दिवाली स्त्रीत्व का जश्न मनाते हैं।"

देश की इस खूबसूरत पहल में हम भी जुड़ते हैं और जानते हैं मध्यप्रदेश की उन महिलाओं के बारे में जो अपने काम और व्यक्तित्व के ज़रिए हमें प्रेरित कर रही हैं। #MPKiLaxmi सीरीज़ की इस कड़ी में हम जानते हैं मंजू धाकड़ के बारे में, जो मुक्केबाज़(बॉक्सर) हैं।

उज्जैन जिले की खाचरोद तहसील से आने वालीं मंजू साल 2013 से मुक्केबाज़ी कर रही हैं। अपनी विद्यालयीन शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने बाक्सिंग शुरू की।

मंजू धाकड़ स्कूल के समय से ही खेलों में रूचि रखती हैं। जब वो एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भोपाल आई थीं तो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एसएआई) के प्रिशक्षकों(कोचेज़) ने उन्हें देखा और प्रशिक्षण के लिए चुन लिया। उन्हें एसएआई छात्रावास में दाखिला मिल गया। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

इस वर्ष जुलाई में हुए इंडिया ओपन में मंजू ने कांस्य पदक जीता और इससे पूर्व पिछले साल दिसंबर में, कर्नाटक राज्य के बलारी में हुए सीनियर नेशनल्स में भी उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया है।
इंडिया ओपन में मंजू ने कांस्य पदक जीता है
इंडिया ओपन में मंजू ने कांस्य पदक जीता हैमंजू धाकड़

3 से 13 अक्टूबर 2019 तक होने वाली विमंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मंजू भाग लेकर आ रही हैं। इससे पहले साल 2014 में बुल्गेरिया में हुई यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने भाग ले चुकी हैं। मंजू सर्बिया में होने वाले 5th नेशन कप का हिस्सा रही हैं तो वहीं रूस में हुए अंतर्राष्ट्रीय ट्रेनिंग कम टूर्नामेंट में भी भाग ले चुकी हैं।

साल 2017 में उन्हें घुटने में चोट लग गई थी। जिसके बाद इलाज के चलते उन्हें लगभग दो साल खेलों से दूर रहना पड़ा। उन्होंने हार नहीं मानी और वापसी कर पिछले पिछले सप्ताह खत्म हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए खुद को तैयार किया, उसके लिए चयनित हुईं और उसमें हिस्सा लेकर हाल ही में वापस आई हैं। इस चैंपियनशिप में भारत ने चार पदक अपने नाम किए।

  • #BharatKiLaxmi के बारे में क्या सोचती हैं मंजू?

#BharatKiLaxmi के बारे में मंजू कहती हैं कि ये बहुत ही बढ़िया शुरूआत है। ये अभी शुरू हुआ है, आगे बढ़ता जाएगा और देश की हर लड़की इससे जुड़ कर, हर क्षेत्र में तरक्की करेगी।

"इस योजना से मुझे ये उम्मीद है कि लड़कियों को अधिक हौसला मिलेगा। लोगों की सोच में थोड़ा बदलाव आया है और उन्हें लगने लगा है कि लड़कियों को पढ़ाना चाहिए, आगे चलकर इसमें और सुधार आएगा। लोग लड़कों से अधिक लड़कियों पर विश्वास करेंगे और कहेंगे कि, लड़कियों को पढ़ाओ और आगे बढ़ाओ। लोग चाहेंगे कि उनके घर में लड़कियां हों।"

मंजू धाकड़, मुक्केबाज़

मंजू धाकड़ बताती हैं कि उनके माता-पिता ने उनका हमेशा समर्थन किया है। उनके दादा-दादी नहीं चाहते थे कि वो पढ़ें या मुक्केबाज़ी करें लेकिन माता-पिता के समर्थन से उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई पूरी की बल्कि मुक्केबाज़ी में भी अपना नाम बनाया। वो कहती हैं कि, "हमारे यहां लड़कियों को अधिक नहीं पढ़ाते, बारह्वीं के बाद शादी कर देते हैं।"

"मैं कहना चाहती हूं कि लड़कियां सिर्फ शादी करने के लिए नहीं होतीं, उन्हें पढ़ाइए, वो एक न एक दिन परिवार, समाज और देश का नाम ज़रूर रौशन करेंगी।"

मंजू के अभिभावकों को उन पर बहुत भरोसा है। परिवार, समाज, गांववालों के विरूद्ध जाकर भी उन्होंने मंजू का हौसला बढ़ाया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

गांववालों ने उन्हें ताने दिए, बुरा-भला कहा कि लड़की कुछ नहीं कर पाएगी, दो साल बाहर रहकर भी वापस ही तो आएगी लेकिन उनके माता-पिता ने किसी की बात नहीं सुनी और अपनी बेटी को मुक्काबाज़ी के लिए प्रेरित किया और हमेशा उसका साथ दिया।

मंजू धाकड़
मंजू धाकड़मंजू धाकड़

अब जब मंजू इतने पुरस्कार जीत चुकी हैं, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परिवार और देश का नाम कर चुकी हैं तो सबके मुंह अपने आप बंद हो गए। अब कोई भी उन्हें या उनके माता-पिता को कुछ नहीं कहता।

  • मंजू किसे मानती हैं #BharatKiLaxmi?

भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर प्रांजल पाटिल को मंजू भारत की लक्ष्मी मानती हैं। वो कहती हैं कि प्रांजल का जज़्बा उन्हें बहुत प्रेरित करता है। हम सब लोग पूरी तरह ठीक हैं, वो देख नहीं सकतीं फिर भी इतना आगे बढ़ी हैं तो हम लोग तो क्या कुछ नहीं कर सकते।

प्रांजल पाटिल केरल के तिरूवनंतपुरूम में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वे इस ही माह तैनात की गई हैं।

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