मध्यान्ह भोजन योजना
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नौनिहालों को नहीं मिल रहा मध्यान्ह भोजन

खरगौन, झिरन्या : नौनिहालों के निवालों पर डाका डालकर अपना पेट भरने में लगे हैं। समूह योजना में हो रहे लाखों ख़र्च, जिम्मेदार आंखे मूंदे बैठे हैं।

राज एक्सप्रेस। शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए शासन स्तर पर काफ़ी प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ बच्चों के भविष्य और उनके व्यक्तित्व का निर्माण सुचारू रूप से हो सके । इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश शासन की स्कूलों एवं आँगनबाड़ी केंद्रों में संचालित होने वाली मध्यान्ह भोजन योजना की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

नहीं मिलता मेन्यू अनुसार भोजन:

मध्यान्ह भोजन योजना में बच्चों को स्वादिष्ट भोजन मेन्यू के अनुसार दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। इस योजना में स्व-सहायता समूह अपनी मनमानी के चलते बच्चों की पौष्टिकता के साथ खिलवाड़ कर, कहीं कच्ची रोटी तो कहीं पनीली दाल परोस रहे हैं। बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिकता के आधार पर मेन्यू के अनुसार भोजन मिलना चाहिये, लेकिन कुछ स्कूलों में सेव परमल तक नसीब नहीं हो रहा है। अनेक जगहों पर दबंगई के चलते ना पालक कुछ बोल पाते हैं ना शिक्षक।

पहले भाजपा ने छीना अब कांग्रेस की बारी :

पहाड़ी अंचल के साथ नीचे की बारेला पट्टी में कुछ भाजपा के लोग माफिया की तरह मध्यान्ह भोजन योजना संचालित कर रहे हैं, तो कुछ कांग्रेस सरकार के बाद समूह हथियाकर बच्चों के मुंह से निवाला छीनकर योजना पर डाका डाले बैठे हैं। जिम्मेदारों की अपनी आंखें बंद होने से खेल अनवरत चालू है। जनशिक्षकों को निरीक्षण में ये क्यों नही दिखाई देता समझ से परे है?

नही होता है अनुबंध :

नियमानुसार बीपीएल स्तर होने के बाद भी बरसों से डटे हैं अध्यक्ष, जबकि रोटेशन के आधार पर 10 लोगों के बीच बने समूह से अध्यक्ष बदलना चाहिए, लेकिन जो एक बार अध्यक्ष बन गया फिर हटने का नाम नहीं लेता। प्रतिवर्ष समूह के अध्यक्ष के बदलने के साथ इनका अनुबंध होता है, ताकि बच्चों के साथ कुछ अनहोनी घटना की जिम्मेदारी आदि की शर्त रहती है, लेकिन जिम्मेदार भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। जिम्मेदार कार्रवाई करें भी तो कैसे ? क्योंकि मामला कमीशन का है। ऐसी ही स्थिति ब्लॉक में आँगनबाड़ी केंद्रों की भी है। मध्यान्ह भोजन योजना में मिलने वाला गेंहू चावल समूह बाजार में बेंचकर अपना पेट भरते हैं। महिलाएं समूह के बैंक खातों से उनके प्रातिनिधि या पति पासबुक के साथ राशि विड्राल करते बैंक में आसानी से देखे जा सकते हैं। विकासखण्ड में 365 पीएस व 84 एमएस स्कूल, 306 आँगनबाड़ी केन्द्रों को 306 स्वयं सहायता समूह संचालित करते हैं।

मध्यान्ह भोजन योजना में ये कमियाँ प्रमुख हैं :

मध्यान्ह भोजन योजना में कई ऐसे स्कूल व आँगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें मेन्यू चार्ट , बच्चों को भोजन कराने के लिए थाली, किचन की कमी, पानी पीने के लिए गिलास, टाट-पट्टी की कमी आदि प्रमुख कमियाँ हैं। शिक्षक-पालक संघों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मांग की है कि, स्वयं सहायता समूह सिस्टम से मध्यान्ह भोजन व्यवस्था हटनी चाहिए क्योंकि बहुत हो गई है, सहायता बच्चों के निवाले खाने वालों स्वयं सहायता समूह की ।

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