आखिर किसके इशारे पर चल रही है माइनिंग ?

सिंगरौली : अवैध माइनिंग को लेकर ऐसा बयान जारी, किसी भी व्यक्ति के लिए जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा अब तक के दिए गए बयान के मद्देनजर बेहद निराशाजनक माना जा सकता है।
अवैध माइनिंग
अवैध माइनिंग Shashikant kushwaha

राज एक्सप्रेस। सिंगरौली जिले के माइनिंग अधिकारी ने अवैध माइनिंग को लेकर ऐसा बयान जारी किया है जिसे सुनकर किसी भी व्यक्ति के लिए जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा अब तक के दिए गए बयान के मद्देनजर बेहद निराशाजनक माना जा सकता है। मशीनों के द्वारा लगातार रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है जिसे लेकर जब माइनिंग अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने साफ तौर पर यह कह दिया की जो छापना है वह छापिए स्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।

सिंगरौली जिले में अवैध तरीके से माइनिंग का गोरखधंधा जोरों पर है अगर सिंगरौली जिले की बात की जाए तो यह जिला प्रदेश के साथ-साथ देश में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है प्रदेश में सर्वोच्च माइनिंग फंड की प्राप्ति भी इसी जिले से होती है जिले में एनसीएल जैसी कंपनी की कोयला खदान भी है साथ ही आपको बताते चलें कि जिले में लगभग 20 पंचायतों को रेत की खदानें दी गई हैं जहां पर रेत उत्खनन का कार्य होता है इसके साथ-साथ ऐसी भी खदानें हैं जहां बिना किसी अनुमति के भी रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है जिस पर जिले के माइनिंग अधिकारी लगाम लगाने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं।

अवैध माइनिंग
अवैध माइनिंग Shashikant kushwaha

अवैध तरीकों से होती है माइनिंग

जिले में संचालित लगभग 20 पंचायती खदानें हैं जिनकी अनुमति जिले के माइनिंग विभाग के द्वारा दी गई है इन सभी रेत खदानों के संचालन का जिम्मा ग्राम पंचायतों के हाथों में है अगर यहां अवैध रेत उत्खनन की बात की जाए तो यह आम है लगातार इसके बारे में जानकारी कई बार जिले के आला अधिकारियों से जनप्रतिनिधियों के अलावा आम नागरिकों के द्वारा कई बार दी जा चुकी है। प्राप्त शिकायतों पर प्रशासन ने बमुश्किल नाममात्र की कार्यवाही की।

पूर्व में हुई कार्यवाही की बात करें तो विगत दो वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर श्री अनुराग चौधरी व पुलिस कप्तान के नेतृत्व में लगभग 200 से ऊपर ट्रकों पर कार्यवाही एक ही रात में की गई थी तब जिले में अवैध रेत कारोबारियों में खलबली मच गई थी। पंचायतें रेत उठाओ कार्यों के लिए अवैध तरीके से मशीनों का उपयोग करती आ रही हैं।

पंचायतों को खदान देने का उद्देश्य

पंचायतों को खदानें देने के पीछे एक मात्र उद्देश्य था कि निर्माण कार्यों हेतु रेत सुगमता से उपलब्ध हो सकेगी। जमीनी हकीकत यह है कि पंचायतों से निकलने वाली रेत उत्तर प्रदेश में बेची जा रही है। दिन हो या रात लगातार रेत बेधड़क सैकड़ों ट्रकों से रेत ढुलाई जारी है। इनके मनमानी रवैये से गाँवों को जोड़ने वाली प्रधानमंत्री सड़क पूरी तरह से खराब होने लगी है ।

मशीनों से हो रही रेत निकासी

रात दिन चल रही पोकलेन जेसीबी:- जानकारों की माने तो हिर्रहवा ,कादोपानी, उर्ती पंचायत मे रेत की निकासी का पूरा काम पोकलेन सहित भारी मशीनों से चल रहा है। यह मशीनें किसके इशारे पर चल रही हैं कहा नहीं जा सकता पर सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां रेत निकासी का काम कर रहे हैं इस पर ना तो पंचायतें कुछ बोल रही हैं और ना ही जनपद के अधिकारी। माइनिंग विभाग सहित प्रशासनिक अधिकारी।

मूकदर्शक बन कर रेत का खेल देखने में लगे हैं। इस अनदेखी के कारण ही खदानों में विवाद भी होने लगा है। रेत निकालने के लिए एक दर्जनों से ज्यादा पोकलेन रेड़ नदी में उतारे गए हैं इतना ही नहीं एक गुट ने अभी तीन पोकलेन बुलाने का आर्डर दिया है कहां जा रहा है कि अगले सप्ताह आने वाली पोकलेन मशीनों को भी नदी में उतारा जाएगा।

आर टी ओ चेक पोस्ट की बेरुखी

आर टी ओ चेक पोस्ट की बेरुखी की अगर बात करें तो चेक पोस्ट अधिकारी ने कहा कि हमारे तरफ ओवर लोड रेत वाहनों की निकासी नहीं है न तो एक माह में ऐसा कोई मामला सामने आया है ।

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