मुरैना : बाढ़ पीड़ितों की मदद में फेल साबित हो रहे प्रशासन के सारे दावे

मध्य प्रदेश के मुरैना में बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराने में फेल हुआ प्रशासन तो व्यापारियों के सामने फैला दी झोली, अग्रवाल महासभा ने संभाला ग्रामीणों को भोजन उपलब्ध कराने का जिम्मा।
अग्रवाल महासभा ने 4500 ग्रामीणों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए।
अग्रवाल महासभा ने 4500 ग्रामीणों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए।राज एक्सप्रेस, संवाददाता

मुरैना, मध्यप्रदेश। बाढ़ पीड़ितों की मदद में फेल साबित हो रहे प्रशासन ने अब व्यापारियों से मदद मांगी है। बाढ़ के पानी से बचने के लिए खुले आसमान के नीचे तंबू में या सरकारी बिल्डिंगों में रह रहे ग्रामीणों को भोजन उपलब्ध कराने में प्रशासन नाकाम हुआ तो व्यापारियों के आगे झोली फैला दी।

विपरीत समय में प्रशासन की गुहार व्यापारियों ने सुन ली और अग्रवाल महासभा के बैनर तले बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराने की पहल शुरू हो गई है। पहले ही दिन रविवार को अग्रवाल महासभा ने 4500 ग्रामीणों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए। बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया ग्रामीणों की घर वापसी तक चलती रहेगी।

चंबल व क्वारी नदी में आई बाढ़ के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में ग्रामीणों को गांवों से बाहर निकालकर सरकारी बिल्डिंगों में तो शिफ्ट कर दिया, लेकिन उनके लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई। खाने का जिम्मा संबंधित पंचायतों को सौंपकर प्रशासनिक अधिकारी खामोश बैठ गए। अधिकारियों ने यह देखने तक की जहमत नहीं उठाई कि ग्रामीणों को पंचायतों का खाना समय पर मिल भी रहा है या नहीं।

हालात यह बने कि कुछ पंचायत एक टाइम ही खाना दे रही थी तो कहीं देर-सबेर ग्रामीणों को खाना मिल पा रहा था। छोटे-छोटे बच्चे भूखे बैठकर खाने के इंतजार में उन बिस्किटों को खाते देखे जा रहे थे जिन्हें बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जाकर आसपास के लोग दे आए हैं। एक-दो दिन तो प्रशासन की यह नाकामी छिपी रही, लेकिन सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से भूखे बैठे ग्रामीणों की स्थिति सामने आ गई।

किरकिरी होते देख प्रशासन ने बीते रोज आनन-फानन में व्यापारियों की बैठक बुला ली और बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराने में मदद की बात कह दी। कलेक्टर को अपील करते देख अग्रवाल महासभा के मुख्य संरक्षक रमेश गर्ग ने अग्रवाल महासभा की ओर से भोजन उपलब्ध कराने की हामी भर दी।

इस बैठक के दूसरे ही दिन रविवार की सुबह से भोजन तैयार कराकर पैकेट बनवाए और महासभा के युवाओं ने जिले भर के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जाकर यह भोजन ग्रामीणों को उपलब्ध कराया। जहां अग्रवाल महासभा के युवा नहीं पहुंच पा रहे थे वहां के लिए भोजन के पैकेट प्रशासनिक अधिकारियों को दे दिए, ताकि अधिकारी अपने स्तर से वह पैकेट ग्रामीणों को उपलब्ध करा सकें।

हर बाढ़ग्रस्त गांव में पहुंचाए खाने के पैकेट :

अग्रवाल महासभा ने रविवार को खाने के 4500 पैकेट वितरित किए हैं। ये पैकेट गुढ़ा चंबल, बाबड़ी, बरबासिन, आंबह, पोरसा, जौरा व पहाड़गढ़ के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पहुंचाए गए। अग्रवाल महासभा के मुख्य संरक्षक रमेश गर्ग के नेतृत्व में यह भोजन तैयार हुआ इसके बाद अनिल गोयल अल्ली, दिनेश सिंघल, संजय गर्ग, मोहन बंसल, सुधीर गोयल, संजय गर्ग, राधेलाल, रामगोपाल गर्ग खल्लो, रवि गर्ग, हरीबाबू सहित अन्य महासभा सदस्यों ने वितरण की व्यवस्था को संभाला।

सांप- बिच्छुओं से खतरा, एक की मौत :

बाढ़ में घिरे ग्रामीणों को प्रशासन ने सरकारी स्कूल व पंचायत भवनों में शिफ्ट तो कर दिया लेकिन उनको कुछ सुविधाएं नहीं दी हैं। इस कारण ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। बाढ़ के कारण सांप, बिच्छू व अन्य तरह के कीड़े बाहर निकल आए हैं जो ग्रामीणों को डंक मार रहे हैं। दिमनी इलाके के चांदपुर गांव में रहने वाले विष्णु पुत्र महेन्द्र सिंह नागर (16) को बीती रात सांप ने काट लिया था जिससे उसकी मौत हो गई। इससे एक दिन पहले ही बीलपुर गांव के ग्रामीण कन्हैया पुत्र जगदीश तोमर (15) को सांप ने काट लिया था, इसे ग्रामीण तत्काल ग्वालियर ले गए जिससे उसकी जान बच पाई। इस तरह की घटनाएं अन्य राहत शिविरों में देखने को मिल रही हैं, लेकिन प्रशासन ने इस दिशा में कोई इंतजाम सुनिश्चित नहीं किए हैं।

इनका कहना :

बाढ़ राहत शिविरों में पंचायतों को भोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वह भोजन उपलब्ध करा भी रहे थे, लेकिन अतिरिक्त रूप से मदद करने के लिए व्यापारियों से अपील की थी जिससे ग्रामीणों को और भी मदद मिल सके।

बी. कार्तिकेयन, कलेक्टर, मुरैना

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