गदंगी से रहवासी परेशान
गदंगी से रहवासी परेशाननसरूल्लागंज संवाददाता

पानी निकासी नहीं होने से पनप रहे मच्छर, गदंगी से रहवासी परेशान

एक और तो शासन द्वारा पूरे प्रदेश में डेंगू के खिलाफ महाअभियान चल रहा है वहीं दूसरी और नागरिकों को डेंगू से बचने की सलाह देने वाला स्वास्थ्य विभाग ही डेंगू को लेकर लापरवाह बना हुआ है।

नसरूल्लागंज, मध्य प्रदेश। एक और तो शासन द्वारा पूरे प्रदेश में डेंगू के खिलाफ महाअभियान चल रहा है वहीं दूसरी और नागरिको को डेंगू से बचने की सलाह देने वाला स्वास्थ्य विभाग ही डेंगू को लेकर लापरवाह बना हुआ है। सफाई के नाम पर प्रतिमाह 40 हजार रुपए खर्च करने के बाद अस्पताल में केवल स्वच्छता का दिखावा देखने को मिल रहा है। स्थिति यह है कि अस्पताल प्रागंण में तो स्वच्छता का दिखावा किया जा रहा है और अस्पताल के पीछे गंदगी का जमावड़ा लगा हुआ है। स्वच्छता की हकीकत पीछे वाले हिस्से में देखने को मिल रही है। इसी गंदगी के कारण यहां नालियों में डेंगू मच्छर पनप रहे हैं जो लोगों को स्वस्थ्य करने की बजाय बीमार कर रहे हैं।

बीमारियों का खतरा बढऩे लगा

नालियों में जमा पानी व इसमें पनपते मच्छर स्वच्छता की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। बावजूद इसके प्रबंधन द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। अस्पताल से निकलने वाला बायोमेडिकल वेस्ट मटेरियल मर्चुरी रूम के पास ही पड़ा हुआ है। जो कहीं ना कहीं बीमारियों को जन्म दे रहा हैं। उल्लेखनीय है कि बीते कई महीनों से अस्पताल के पिछले हिस्से में सफाई नहीं हो पाई है। जिसके चलतें यहां पर बायोमेडिकल वेस्ट मटेरियल का ढेर लगा हुआ है। हालात यह है कि इस मटेरियल के आसपास सुअर व मच्छर पनप रहे हैं। जिससे अस्पताल में ही बीमारियों का खतरा बढऩे लगा है और जिम्मेदार लगातार लापरवाह बने हुए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रतिमाह 40 हजार रुपए सफाई के नाम पर फूंके जा रहे हैं तो फिर सफाई कहां की हो रही है?

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश का उल्लंघन

अस्पताल से निकलने वाला सभी तरह का कचरा, चाहे वो सर्जरी से निकले या दवाईयों से या फिर इलाज के दौरान निकलने वाल चीजें से यह सब वायोमेडिकल वेस्ट कहलाता है। इस बायोमेडिकल वेस्ट का निपटारा सॉलिड बेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत करने को कहा गया है। लेकिन कोरोनाकाल से ही यहां इस वेस्ट को खुले में फेंका जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जो गाईड लाईन कोरोना संक्रमण काल के लिए जारी की थी उसके मुताबिक कचरे का निष्पादन नहीं किया जा रहा है। यह वेस्ट मटेरियल कई महीनों से अस्पताल प्रागंण में फेंका जा रहा है। जो मरीजों, रहवासी नागरिकों व पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। बावजूद इसके जिम्मेदार लगातार लापरवाह बने हुए हैं।

नहीं सुधर रही ओपीडी की व्यवस्था

सिविल अस्पताल में वैसे तो 35 डॉक्टर होना चाहिए। लेकिन मौजूदा स्थिति में पदस्थ 9 डॉक्टरों से भी ओपीडी की व्यवस्था नहीं सुधर रही है। ओपीडी टाईम पर ही डॉक्टर अपने निवास पर मरीजों को देख रहे हैं। अस्पताल में नवागत डॉक्टर ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं। सीनियर डॉक्टरो की स्थिति यह हैं कि वह ओपीडी में बैठना पसंद नहीं कर रहे हैं। जिससे मरीजों को प्रायवेट क्लीनिकों पर अपना उपचार कराना पड़ रहा है। अस्पताल में आने वाले कई मरीजों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉक्टर अस्पताल में देखने की बजाय हमें घर आने की सलाह देते हैं। जिसके चलतें हमें बाहर से दवा लेना पड़ती हैं।

जनप्रतिनिधि नहीं ले रहे अस्पताल की सुध

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिन जनप्रतिनिधियों के कंधों पर क्षेत्र के विकास व स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं जनप्रतिनिधि बदहाल सिविल अस्पताल की सुध नहीं ले रहे हैं। जिस समय जनप्रतिनिधि अस्पताल में पहुंचते हैं तब वहां व्यवस्था दुरुस्त दिखाई जाती है और उनके जाते ही व्यवस्था बदल जाती है। चाहे शासन संसाधनों पर करोड़ों खर्च कर दे। लेकिन यदि मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य भी नहीं मिला तो करोड़ों के संसाधन भी किसी काम के नहीं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com