Multai : ऑक्सीजन की कमी से मछलियों की मौत

मुलताई, मध्यप्रदेश : नपा के एई आरसी गव्हाड़े ने बताया कि नागरिकों की सूचना पर तत्काल मशीन सरोवर तट पर भिजवाकर पोटेशियम परमैंगनेट दवा पानी में मिलाकर इसका सरोवर में छिड़काव किया गया।
ताप्ती सरोवर में सतह पर दिखती मछली
ताप्ती सरोवर में सतह पर दिखती मछलीराज एक्सप्रेस, संवाददाता

मुलताई, मध्यप्रदेश। ताप्ती सरोवर में सोमवार रात अचानक बड़ी संख्या में मछलियां मुंह खोल के सरोवर की सतह पर आ गई जिसमें कई मछलियों की मौत भी हो रही थी। स्थिति को देखते हुए ताप्ती सरोवर के आसपास के नागरिकों ने इसकी सूचना नगर पालिका को दी। जिस पर नगर पालिका द्वारा रात में लगभग 10 बजे जयस्तंभ चौक के पास से सरोवर में दवा का छिड़काव किया गया। इस संबन्ध में नपा के एई आरसी गव्हाड़े ने बताया कि नागरिकों की सूचना पर तत्काल मशीन सरोवर तट पर भिजवाकर पोटेशियम परमैंगनेट दवा पानी में मिलाकर इसका सरोवर में छिड़काव किया गया।

सरोवर में आईल अथवा अन्य गंदगी इसका कारण :

उन्होंने बताया कि सरोवर में आईल अथवा अन्य गंदगी इसका कारण हो सकता है जिसका प्रभाव मछलियों पर पड़ा। देखा यह जाता है कि सरोवर में तेल आदि सतह पर जमा होने से मछलियों को आक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे वे सतह पर आकर श्वांस लेने का प्रयास करती हैं। पिछले वर्ष ऐसी स्थिति बनने पर दवाओं का छिड़काव कराया गया था। पूर्व में ग्रीष्मकाल में सरोवर का जल स्तर कम होने से भी आक्सीजन की कमी के चलते मछलियों की मौत हो रही थी जिसके बाद बारिश में स्थिति सुधर गई थी। लेकिन फिलहाल विगत कई दिनों से तेज बारिश नहीं होने तथा लगातार बादल छाए रहने से आक्सीजन की कमी के कारण मछलियों की मौत हो रही है जिसके लिए दवाओं का छिड़काव करने के बाद अब स्थिति ठीक है।

बादलों के छाए रहने से खड़ी हुई समस्या :

ताप्ती सरोवर में मछलियों की मौत का एक कारण लगातार बादल छाए रहने एवं बारिश नहीं होना भी बताया जा रहा है। मत्स्य अधिकारी दिलिप गुर्जर ने बताया कि ताप्ती सरोवर में मछलियों बड़ी मात्रा में होने तथा लगातार बादलों के छाए रहने से आक्सीजन की कमी होना इसका मुख्य कारण है। बादलों के छाए रहने से विशेष रूप से आक्सीजन की कमी होती है जिससे सरोवर में तलपिया एवं मोजंबिका प्रजाति की मछलियों को श्वांस लेने में समस्या खड़ी हो जाती है। दिलीप गुर्जर ने बताया कि इसके लिए सरोवर से मछलियों की संख्या कम करना भी आवश्यक है। इसके लिए मत्स्य विभाग द्वारा भी सरोवर से मछलियां ले जाई जा रही हैं। इसके साथ ही यदि बारिश होती रहे तो यह समस्या स्वत: ही समाप्त हो जाती है। एक बड़े फव्वारे से सरोवर में दवाओं का छिड़काव होना चाहिए जिसके लिए सरोवर के ही पानी से फव्वारा सरोवर में छोड़ा जाना चाहिए जिससे मछलियों की मौत रूक सकती है।

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