जबलपुर: नगर निगम से कर्मचारियों को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता

जबलपुर, मध्य प्रदेश: ठेका कर्मचारियों पर संकट के बादल, प्रशासनिक बैठक के दौरान हुए निर्णय, अगर ऐसा हुआ तो प्रशासन द्वारा खुद के बनाए गए नियमों की उड़ाई जाएंगी धज्जियां।
नगर निगम से कर्मचारियों को दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता
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जबलपुर, मध्य प्रदेश। क्या नगर निगम से कर्मचारियों को निकाल दिया जाएगा, ऐसी कोई योजना निगम के अधिकारी बना रहे हैं, निकाले जाने वाले ठेका कर्मियों की जगह पर अब क्या नगर निगम के कर्मचारी काम करेंगे, ऐसे कई तरह के सवालों की चर्चा इन दिनों निगम के गलियारों में हो रही है, जिससे ठेका कर्मियों के एक-एक दिन बड़ी ही मुश्किल से कट रहे हैं, उन्हें तो अब यह भय सताने लगा है कि अब न जाने कब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है, जिससे ठेका कर्मी चिंतित नजर आ रहे हैं।

वर्षों से नगर निगम प्रशासन के कार्यो को बेहतर रूप देने और हर एक काम को आसान बनाने वाले कम्प्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा कर्मी व आउटसोर्स के कर्मचारियों को निगम से निकाले जाने की खबर जैसे ही नगर निगम के गलियारों में आग की तरह फैली, वैसी हे इन सभी के बीच में हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई। दरअसल आउटसोर्स के कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने की बात से चिंतित उक्त कर्मी अब अपने परिवार के लालन-पालन के लिए इधर-उधर नौकरी की तलाश करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं, उनका मानना है कि अगर उनका नाम बाहर जाने की लिस्ट में आता है तो वह पहले से ही अपनी नई व्यवस्था बनाकर रखें और नए जगह काम पर लग जाएं। इस बात की चिंता को लेकर ऐसे कर्मचारियों के एक-एक दिन व रात बड़ी ही मुश्किल से कट रहे हैं।

कोविड-19 के दौरान सरकार ने की थी सभी से अपील :

एक तरफ कोरोना संकटकाल के दौरान शासन के द्वारा गाईड लाईन बनाते हुए यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कोई भी निजी कंपनी या संस्थान अपने यहां पर कार्यरत कर्मचारियों को न निकाले और ऐसे समय पर कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखें, लेकिन शासन खुद इस प्रकार से कार्य करके अन्य निजी कंपनियों, संस्थाओं को बढ़ावा देने का काम कर रहा है, जिसकी आड़ लेकर ऐसी तमाम कंपनियां व संस्थाएं अपने-अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने लगेंगी।

इस दिन हुई थी प्रशासनिक बैठक, दिए गए थे निर्देश :

गौरतलब है कि 22 जून को संभागायुक्त महेशचन्द्र चौधरी, कलेक्टर भरत यादव, आयुक्त अनूप कुमार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि निगम की आर्थिक स्थिति और वैश्विक आपदा कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए नगर निगम की फिजूल खर्चो में कटौती करने जैसे अभी भी अनावश्यक वाहन लगे हैं उनमें कटौती, आउट सोर्स के कर्मचारियों में कटौती, आउटसोर्स के कम्प्यूटर हार्डवेयर को तत्काल वापिस करने के साथ-साथ ऑपरेटरों की संख्या में कटौती करने के साथ-साथ सुरक्षा गार्डो की संख्या में भी कटौती करने के सख्त निर्देश दिये गए हैं। जिससे ऐसे कर्मचारी चिंता में पड़ गए हैं।

कहीं न कहीं से निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर लग रहा प्रश्नचिन्ह :

संभागायुक्त, कलेक्टर व निगमायुक्त की संयुक्त रूप से आयोजित हुई बैठक में फिजूल खर्चो में कटौती करने की बात कहते हुए ठेके पर लगे वाहन, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा कर्मी सहित अन्य कंपनियों के कामों में कटौती करने कहा गया है। जिससे इस बात का और प्रमाण यह मिलता है कि निगम के खजाने को खाली करने व वहां पर वर्षो से एक ही कुर्सी में जमे अधिकारी ठेकेदारों से सांठगांठ करते हुए सुरक्षा कर्मी, वाहन व कम्प्यूटर ऑपरेटर सहित हार्डवेयर कंपनी का ठेका दे दिया करते हैं, जिससे निगम के ऊपर अतिरिक्त बोझ आता है और उसका भुगतान भी निगम प्रशासन के खाते से होता है।

चल रहा था सांठगांठ का खेल, उजागर हो रहा है मामला :

नगर निगम के ऐसे तत्कालीन अधिकारियों की कार्यप्रणाली की जांच होना चाहिए, जिन्होंने ठेकेदारों से कमीशन की सांठगांठ करके निगम के राजस्व को खाली करने व अपने घर के खजाने को भरने का काम किया है, जिन्होंने उपकृत करने के लिए कंपनियों को काम दिया, बिना वजह से चार पहिया वाहन ठेके पर लगवाए, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती करवाई सहित कम्प्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति ठेके पर करने के लिए ठेका निकलवाया आदि कई कार्य हैं जो वर्षो से एक ही कुर्सी में जमे अधिकारियों की कार्यप्रणाली को उजागर करते हैं, बताया गया है कि जब इनकी जरूरत थी ही नहीं तो इनके लिए ठेका क्यों निकाला गया।

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